9 घंटे तक वोटरों का इंतजार करते रहे निर्वाचन अधिकारी ...
अलग राज्य की मांग को लेकर, 6 जिलों के एक भी वोटर ने नहीं किया मतदान !
कोहिमा। नगालैंड के 6 पूर्वी जिलों में मतदान कर्मी मतदान केंद्रों पर 9 घंटे तक इंतजार करते रहे, लेकिन 'फ्रंटियर नगालैंड टेरिटरी' (FNT) की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए एक संगठन द्वारा आहूत बंद के बाद क्षेत्र के 4 लाख मतदाताओं में से कोई भी मतदान करने नहीं आया। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने शुक्रवार को इसकी पुष्टि की कि राज्य सरकार को ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) की FNT की मांग से कोई दिक्कत नहीं है, क्योंकि वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी है। बता दें कि ENPO पूर्वी क्षेत्र के सात जनजातीय संगठनों की शीर्ष संस्था है। अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन और अन्य आपातकालीन सेवाओं से जुड़े लोगों एवं वाहनों को छोड़कर सड़कों पर किसी भी व्यक्ति या वाहन की कोई आवाजाही नहीं दिखी।
9 घंटे तक इंतजार करते रहे मतदान कर्मी
नगालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग ने बताया कि 20 विधानसभा क्षेत्रों वाले इस क्षेत्र के 738 मतदान केंद्रों पर मतदान कर्मी सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक मौजूद रहे। सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि इन 9 घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया। 20 विधायकों ने भी अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं किया। नगालैंड के 13.25 लाख मतदाताओं में से पूर्वी नगालैंड के 6 जिलों में 4,00,632 मतदाता हैं। मुख्यमंत्री ने राज्य की राजधानी से करीब 41 किलोमीटर दूर तौफेमा में अपने गांव में वोट डालने के बाद पत्रकारों से कहा कि उन्होंने FNT के लिए ‘ड्राफ्ट वर्किंग पेपर’ स्वीकार कर लिया है, जिसे उन्हें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था।
20 विधायकों ने भी नहीं डाला वोट
ENPO यह आरोप लगाते हुए छह जिलों को मिलाकर एक अलग राज्य की मांग कर रहा है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है, ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके। CM रियो ने कहा कि ‘‘जब एक स्वायत्त निकाय बनाया जाता है, तो निर्वाचित सदस्यों के साथ एक उचित प्रणाली होनी चाहिए। राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। विधायकों और ENPO को एक सूत्र पर काम करने के वास्ते बातचीत के लिए बैठना चाहिए। हम उसके बाद ही बात कर सकते हैं।'' यह पूछे जाने पर कि क्या वोट न डालने के लिए पूर्वी नगालैंड के 20 विधायकों के खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू की जाएगी? इस पर उन्होंने कहा कि ‘‘हम टकराव नहीं चाहते हैं। देखते हैं क्या होगा।’’
चुनाव से पहले किया बंद का ऐलान
बता दें कि नगालैंड में लोकसभा चुनाव शुरू होने से कुछ घंटे पहले, ENPO ने गुरुवार शाम 6 बजे से राज्य के पूर्वी हिस्से में अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद घोषित कर दिया। संगठन ने यह भी आगाह किया था कि यदि कोई व्यक्ति मतदान करने जाता है और कानून-व्यवस्था की कोई स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित मतदाता की होगी। नगालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) वायसन आर. ने बंद को चुनाव के दौरान अनुचित प्रभाव डालने का प्रयास बताते हुए गुरुवार रात ENPO को ‘कारण बताओ नोटिस’ जारी किया। उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा (1) के तहत "जो कोई भी स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने का अपराध करता है।"
क्या बोले ENPO के अध्यक्ष
हालांकि, ENPO के अध्यक्ष त्सापिकीउ संगतम ने शुक्रवार को दावा किया कि यह धारा इस संदर्भ में लागू नहीं होती है। उन्होंने कहा कि "सार्वजनिक नोटिस (बंद के लिए) का मुख्य लक्ष्य पूर्वी नगालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है।" उन्होंने कहा कि पूर्वी नगालैंड वर्तमान में "सार्वजनिक आपातकाल" में है। उन्होंने दावा किया कि बंद क्षेत्र के लोगों द्वारा की गई एक स्वैच्छिक पहल थी। संगतम ने कहा कि ENPO ने एक अप्रैल को निर्वाचन आयोग को पूर्वी नगालैंड के लोगों के लोकसभा चुनाव में भाग लेने से दूर रहने के इरादे के बारे में सूचित किया था। उन्होंने कहा कि ENPO के पास अपने प्रस्तावों या आदेशों को लागू करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, वह पूर्वी नगालैंड के लोगों के बीच स्वैच्छिक भागीदारी और आम सहमति के आधार पर संचालित होता है।
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