तब वाजपेयी के ऐलान से हिल गया था अमेरिका...
विश्व पटल पर शक्तिशाली भारत की छवि दिखाने वाले पोखरण की विजिट पर हैं पीएम मोदी !
पोखरण का नाम जेहन में आते ही शक्तिशाली भारत की छवि उभरती है. आज 40-50 साल के हो चुके लोगों को याद होगा उनकी जवानी के दिनों में अटल बिहारी वाजपेयी ने एक घोषणा की थी. भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए थे. राजस्थान के उसी पोखरण में भारतीय सेनाओं का पराक्रम देखने पीएम मोदी आज मौजूद होंगे.
आज 15.45 बजे भारत ने पोखरण रेंज में तीन अंडरग्राउंड न्यूक्लियर टेस्ट किए...' करीब 28 साल पहले यह घोषणा सुनते ही दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका हिल गया था. उसने पोखरण के ऊपर सैटलाइट लगा रखे थे लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उसकी आंखों में धूल झोंककर यह कमाल कर दिखाया. तब पूरी दुनिया ने भारत की ताकत देखी थी. आज एक बार फिर वह भारतीय सेनाओं का पराक्रम देखेगी. जी हां, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पोखरण जा रहे हैं तो लोगों को वो कहानी फिर याद आ रही होगी. भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण की ये कहानी दिलचस्प और थोड़ी फिल्मी है.
नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात कर कहा था कि सामग्री तैयार है
1998 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के कुछ दिनों के अंदर ही पूर्व पीएम नरसिम्हा राव ने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मुलाकात कर कहा था कि सामग्री तैयार है, आप आगे बढ़ सकते हैं. संसद में विश्वास मत हासिल करने के 15 दिन के भीतर ही अटल ने एपीजे अब्दुल कलाम को मिशन पर आगे बढ़ने की हरी झंडी दे दी. राष्ट्रपति के. आर. नारायणन लैटिन अमेरिकी देश की यात्रा पर जाने वाले थे. उनसे यात्रा स्थगित करने को कहा गया. चीफ साइंटिस्ट डॉ. चिदंबरम की बेटी की शादी टाली गई क्योंकि शादी में वह नहीं दिखते तो लोगों (जासूस, दुश्मन देश) को शक हो जाता कि कुछ बड़ा होने वाला है.
वैज्ञानिक नाम बदलकर कई जगहों से घूमकर पोखरण पहुंचे थे
कलाम की सलाह पर बुध पूर्णिमा के दिन 11 मई 1998 को विस्फोट की योजना बनी. परमाणु शोध केंद्र के वैज्ञानिकों को करीब 20 अप्रैल तक जानकारी दे दी गई थी. उन लोगों ने छोटे-छोटे समूह में पोखरण जाना शुरू कर दिया. कुछ लोगों ने पत्नियों को दिल्ली जाना बताया तो कुछ ने सम्मेलन में जाने की बात कही जहां 20 दिन तक फोन पर बात नहीं हो सकेगी. वैज्ञानिक नाम बदलकर कई जगहों से घूमकर पोखरण पहुंचने लगे. पोखरण पहुंचते ही उन्हें सेना की वर्दी पहना दी जाती, जिससे सैटलाइट की तस्वीरों में हलचल न दिखे.
अमेरिका को उपग्रहों को ताजा बिछाए गए तारों से भारत के इरादों के बारे में पता चल गया था
दरअसल, 1995 में जब नरसिम्हा राव ने परमाणु विस्फोट का फैसला किया था तो अमेरिकी उपग्रहों को ताजा बिछाए गए तारों से भारत के इरादों के बारे में पता चल गया था. उस समय गाड़ियों की काफी मूवमेंट ने भी अमेरिका को सतर्क कर दिया था. वैसे, 1998 में भी सीआईए ने पोखरण के ऊपर चार सैटलाइट लगा रखे थे लेकिन टेस्ट से कुछ समय पहले केवल एक सैटलाइट उस क्षेत्र पर नजर रखे हुए था. वह भी सुबह 8 बजे से 11 बजे के बीच उस क्षेत्र से गुजरता था. 11 मई को परीक्षण वाले दिन मौसम ठीक था. शाम ठीक 3.45 बजे धरती के अंदर का तापमान लाखों डिग्री सेंटीग्रेट तक पहुंच गया. हॉकी के मैदान के बराबर बालू हवा में उठी. कई जगहों पर भूकंप के झटके महसूस किए गए. कलाम के मुंह से निकला- हमने दुनिया की परमाणु शक्तियों का प्रभुत्व समाप्त कर दिया है. 1 अरब वाला हमारा देश खुद तय करेगा, हमें क्या करना है.
सैटलाइट तस्वीरों में पोखरण क्षेत्र में एक बड़ा गड्ढा देखा गया था
हां, अटल बिहारी अपने तीन मंत्रियों के साथ इंतजार कर रहे थे. जैसे ही खबर मिली उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. कुछ देर बाद उन्होंने जोर का ठहाका भी लगाया था. घर से बाहर निकले वाजपेयी तो मंच पर तिरंगा झंडा लगा था. प्रेस रिलीज पहले से तैयार थी और घोषणा हो गई. बाद में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि अभिनंदन होना चाहिए उन वैज्ञानिकों का, उन इंजीनियरों का जिन्होंने पोखरण में जो कुछ हुआ, उसे सफलतापूर्वक करके दिखाया है. सैटलाइट तस्वीरों में पोखरण क्षेत्र में एक बड़ा गड्ढा देखा गया. अटल बिहारी वाजपेयी मजबूत डेटरेंस के साथ देश को ताकतवर देखना चाहते थे. जब 13 दिन के लिए उनकी सरकार बनी थी तब उन्हें महसूस हुआ था कि ऐसे महत्वपूर्ण टेस्ट के लिए समय पर्याप्त नहीं है.
तब भारत पर काफी जियो-पॉलिटिकल प्रेशर था
पूर्व राष्ट्रपति और पोखरण टेस्ट में शामिल रहे वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम ने बताया था कि काफी जियो-पॉलिटिकल प्रेशर था लेकिन अटल जी ने फैसला लिया कि भारत टेस्ट करेगा. अटल के कुछ करीबी मंत्रियों को ही भारत के इस प्लान के बारे में पता था. प्रोजेक्ट का नाम रखा गया- ऑपरेशन शक्ति. अमेरिकी सैटलाइट की नजर में ना आएं इसलिए कंस्ट्रक्शन का काम रात में किया गया. कलाम का कोडनेम मेजर जनरल पृथ्वीराज था. सेना के इंजीनियरों ने वैज्ञानिकों को पूरा सपोर्ट दिया. शाम 3.45 बजे पहला बम धमाका हुआ और धरती कांप गई.वाजपेयी ने पहले परमाणु बम इस्तेमाल न करने का ऐलान किया. बाद में वह पोखरण भी गए और वैज्ञानिकों के साथ उस जगह को देखा जहां टेस्ट किए गए थे.
आज मोदी पोखरण क्षेत्र में तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास देखेंगे
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान के उसी पोखरण क्षेत्र में तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास देखेंगे. सेनाओं के लाइव फायर और अभ्यास के दौरान स्वदेशी रक्षा क्षमताओं का प्रदर्शन होगा, जिसे 'भारत शक्ति' नाम दिया गया है. करीब 50 मिनट के दौरान इंडियन आर्मी, नेवी और एयरफोर्स भारत में बने हथियारों का प्रदर्शन करेंगी.
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