भगवान अचलनाथ होली खेलने पालकी में सवार होकर निकले...
रंगपंचमी पर भगवान अचलनाथ ने भगवान राम, कृष्ण संग खेली होली
ग्वालियर। शनिवार को रंगपंचमी का उत्सव बड़े उत्साह से मनाया गया। होली खेलने के लिए भगवान अचलनाथ पालकी में सवार होकर निकले थे। अचलनाथ ने भगवान कृष्ण और भगवान राम से होली खेली। इस दौरान काफी संख्या में अचलनाथ के भक्त पालकी को लेकर चल रहे थे। सड़क पर अबीर-गुलाल उड़ता नजर आ रहा था। हर कोई रंग-बिरंगे रंगों से सराबोर नजर आ रहा था। लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लागू है। इसलिए इस बार चल समारोह में कई तरह की बंदिशें थीं। डीजे साउंड पूरी तरह बैन था, लेकिन बैंड की धुन पर होली रंग अलग ही आनंद बिखेरते नजर आ रहे थे।
ग्वालियर में शनिवार को रंगपंचमी का उत्सव पूरे जोर-शोर से मनाया गया। हर वर्ष की तरह अचलेश्वर मंदिर से निकलने वाला चल समारोह इस बार भी निकला। अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास द्वारा रंगपंचमी को चल समारोह करने की अनुमति शर्तों के साथ प्रदान की गई थी। यह चल समारोह शनिवार दोपहर 12 बजे अचलेश्वर मंदिर से प्रारंभ हुआ। इसमें भगवान अचलनाथ पालकी रथ में सवार होकर शहर में होली खेलने निकले। मंदिर से रंग, गुलाल उड़ाते हुए अचलनाथ के भक्त आगे चल रहे थे। यह चल समारोह अचलेश्वर मंदिर से निकलकर इंदरगंज पहंचा तो यहां भक्तों ने बाबा अचलनाथ का फूलों से स्वागत दिया।
बाबा अचलनाथ के चरणों में गुलाल अर्पित किया। इसके बाद भगवान अचलनाथ का चल समारोह दाल बाजार, लोहिया बाजार होते हुए ऊंट पुल पर पहुंचा। यहां पाटनकर चौराहा पर चल समारोह का जबरदस्त स्वागत हुआ। बाबा के भक्त चल समारोह में पालकी के आगे नाचते और घूमते नजर आ रहे थे। इसके बाद बाबा अचलनाथ का चल समारोह दौलतगंज, महाराज बाड़ा, सराफा होते हुए राममंदिर पहुंचा। यहां बाबा अचलनाथ ने भगवान राम से होली खेली। इसके बाद गिर्राज मंदिर पहुंचकर कृष्ण भगवान से भी होली खेली और अचलेश्वर अपने धाम पर लौट आए।
चल समारोह की अनुमति में स्पष्ट किया गया था कि चल समारोह के दौरान यातायात की सुचारू व्यवस्था, कार्यक्रम आयोजन के दौरान कानून व्यवस्था बनाए रखना एवं साम्प्रदायिक तथा धार्मिक सौहार्द्र बनाए रखने की जिम्मेदारी भी अनुमति प्राप्तकर्ता की होगी। आयोजन के दौरान ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग कोलाहल अधिनियम में निहित प्रावधानों और न्यायालयों द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए करना होगा। डीजे का उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित रहा। भगवान अचलनाथ जिस गली मोहल्ला, बाजार व चौराहा से निकले। वहां उनका भक्तों ने जोरदार स्वागत किया। भक्तों ने बाबा को गुलाल लगाकर आशीर्वाद लिया। चल समारोह के रूट पर दूर-दूर तक गुलाल ही गुलाल नजर आ रहा था।
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