तीन साल की बच्ची खेलते-खेलते खदान में गिरी...
बंद खदान ने ली मासूम की जान,ज़िम्मेदार जिला प्रशासन मौन !
ग्वालियर। ग्वालियर में एक तीन साल की मासूम खेलते-खेलते बरा गांव की खदान में जा गिरी। बंद पड़ी गिट्टी की खदान में दल-दल के बीच वह समा गई। बच्ची को गिरने का पता चलते ही उसकी मां ने पीछे से छलांग लगा दी और वह भी दल-दल में धसने लगी। जब आसपास के लोगों ने यह दृश्य देखा तो एक दूसरे का हाथ पकड़कर चेन बनाई और खदान में उतर कर महिला को बचा लिया, लेकिन मासूम तब तक कीचड़ में समा गई थी। करीब 20 मिनट टटोलने के बाद उसकी फ्रॉक हाथ में आई जिसके बाद उसके शव को निकाला जा सका। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पार्षद व अन्य लोग वहां पहुंच गए। घटना की सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस भी मौके पर पहुंची है, लेकिन सभी लाचार दिखे। इस लाचारी की असली वज़ह है प्रशासनिक जिम्मेदारियों का सही प्रकार से निर्वहन न किया जाना।
माइनिंग विभाग जब खदानों की लीज करता है तब उस लीज पत्र में स्पष्ट लिखा होता है कि माइनिंग खत्म होने के बाद उस जगह का समतलीकरण ठेकेदार के द्वारा किया जायेगा। ऐसा न करने पर जुर्माने व सजा का भी प्रावधान है। लेकिन अक्सर ठेकेदार माइनिग करने और अपना लाभ कमाने के बाद गड्डे यूं ही छोड़ देता है जिनमे गिरकर बेजुबान जानवरों के अलावा लोगों की जान भी चली जाती है। जब लीज होती है तब जिम्मेदार अधिकारी सारे नियमों का हवाला देते हुए लीज धारक को पूरी फॉर्मेलिटीज करवाते है तो फिर लीज ख़त्म होने पर क्यों धृतराष्ट्र बन जाते हैं। क्यों कोई इस पर संज्ञान नहीं लेता है कि ये खदाने वर्षों बाद भी अभी तक यूं ही पड़ी है।
ग्वालियर बहोड़ापुर न्यू किशनबाग कॉलोनी गौड मोहल्ला बरा गांव के पास कभी काली गिट्टी की खदान हुआ करती थीं। यहां से निकली गिट्टी का उपयोग रेल की पटरियों के बीच में सपोर्ट के लिए होता था। शहर का विस्तार होने पर खदान शहर के अंदर आई और उसे बंद करवा दिया गया, लेकिन लापरवाही से छोड़े गए खदान के गड्ढे आए दिन लोगांे की जान खतरे में डाल रहे हैं। रविवार दोपहर रिंकू की 3 साल की बेटी आशिकी गौड़ घर के बाहर खेल रही थी। खेलते-खेलते कब वह खदान के गड्ढे के पास पहुंच गई किसी को पता ही नहीं चला। खदान के पास पहुंचकर उसका पैर पड़ते ही मिट्टी धसकी और वह खदान में नीचे दल दल में जा गिरी। देखते ही देखते वह कीचड और कचरे में समा गई। पास ही काम कर रही मां को पता लगा, तो वह बेटी को बचाने खदान में कूद गई।
घटना का पता चलते ही आसपास रहने वाले लोग वहां पहुंचे और एक दूसरे का हाथ पकड़कर खदान के गड्ढे में उतरे और किसी तरह बच्ची की मां वंदना गौड़ को निकाल लिया, लेकिन बच्ची का कुछ पता नहीं चल रहा था। इसके बाद लोगों ने दल-दल में करीब 20 मिनट तक हाथों से यहां वहां टटोला तो मासूम की फ्रॉक हाथ में फंस गई। जिसके बाद उसे बाहर निकाला गया है। घटना की सूचना मिलते ही वार्ड क्रमांक-1 के पार्षद आसिफ अली मौके पर पहुंचे और स्थानीय नागरिकों की मदद। साथ ही मामले की सूचना पुलिस को दी है।
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची। बहोड़ापुर पुलिस ने शव को निगरानी में लेने का प्रयास किया, लेकिन बच्ची के परिजन ने मना कर दिया कि वह पोस्टमार्टम कराना नहीं चाहते हैं। उनकी बच्ची हादसे का शिकार हुई है। इसके बाद पुलिस वापस लौट आई है। परिजन ने बच्ची के शव को दफना दिया है।
मासूम के पिता रिंकू गौड का कहना है आशिकी पूरे घर की जान थी। पूरे घर में नटखट की तरह घूमती रहती थी। कभी मेरी शर्ट पहनकर निकल आती थी और सभी को हंसाती थी। सोचा नहीं था कि वह इस तरह हमें छोड़कर चली जाएगी। बंद खदान के गड्ढे में लोग कचरा डालते रहते हैं। जिस कारण वहां दलदल बन गया है। जिसमें कई बार हादसे हो चुके हैं।
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