G News 24 : शरिया और हदीस की सिर्फ 4 शादी करने के वक्त ही आती है याद’ : अमित शाह

 CAA कानून हमारा अपना नहीं है,बल्कि संविधान निर्माता,कांग्रेसी नेताओ ने ही इसे स्वीकार किया था :गृह मंत्री 

शरिया और हदीस की सिर्फ 4 शादी करने के वक्त ही आती है याद’ : अमित शाह

समान नागरिकता संहिता (UCC) पर विपक्षी दलों के विरोध और इस मुस्लिम पर्सनल लॉ या सरिया के खिलाफ बताए जाने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीखे सवाल पूछे हैं. उन्होंने कहा है कि सिर्फ 4 शादी करने के वक्त ही शरिया और हदीस क्यों याद आता है ? गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि जब भी कोई मुस्लिम देश की किसी भी अदालत में कोई वाद दायर करता है तो हमारे संविधान और कानून के मुताबित ही सिविल सूट होता है, ना कि शरिया या हदीस के हिसाब से. उन्होंने कहा कि देश में समान नागरिकता की बात बीजेपी का एजेंडा नहीं है, बल्कि हमारे संविधान निर्माताओं ने यह बात कही है।  

धार्मिक स्वतंत्रता में कोई दखल नहीं,परंतु कानून एक होना चाहिए  :अमित शाह 

राइजिंग भारत के मंच पर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत में हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई या बौद्ध सभी को एक कानून के साथ जीना चाहिए. धार्मिक स्वतंत्रता में कोई दखल नहीं होना चाहिए. परंतु कानून एक होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने समान नागरिक संहिता- यूसीसी को मूलभूत सिद्धांतों में स्वीकार किया था. संविधान बनाने वाले सभी कांग्रेसी नेता थे और उन्होंने स्वीकार किया कि उचित समय पर देश के विधानमंडल और संसद इस देश के अंदर यूनिफॉर्म सिविल कोड लेकर आएगी. यह एक आदर्श हमारे सामने उन्होंने रखा था। 

शरिया और हदीस से जीना है तो पूरी तरह से जीना चाहिए,सिर्फ चार शादी के लिए शरिया क्यों ?

अमित शाह ने कहा कि शरिया और हदीस के हिसाब से तो चोरी करने वालों के हाथ काट देने चाहिए, बलात्कार करने वालों को सड़क पर पत्थर मारकर मार देना चाहिए, कोई मुसलमान बचत खाता नहीं खोल सकता है, ब्याज नहीं ले सकता है, लोन नहीं ले सकता है. उन्होंने कहा कि शरिया और हदीस से जीना है तो पूरी तरह से जीना चाहिए. सिर्फ चार शादी के करने के लिए शरिया और हदीस क्यों आता है. ऐसा नहीं होना चाहिए. अमित शाह ने कहा कि इस देश का मुसलमान शरिया और हदीस की सारी चीजों से अंग्रेजों के जमाने से कटा हुआ है. और कई इस्लामिक देश भी इसे छोड़ चुके हैं। 

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