G News 24 : संदिग्ध रूप से घूमने वाले प्रवासी बेंडर्स और भिखारियों पर अंकुश जरूरी है !

 शहर में बढ़ती ही जा रही है इनकी तादात ...

संदिग्ध रूप से घूमने वाले प्रवासी बेंडर्स और भिखारियों पर अंकुश जरूरी है !

ग्वालियर। ग्वालियर शहर के सड़कों चौराहों पर भिखारियों और शहर के हर गली मोहल्ले में अवैध रूप से घूमने वाले प्रवासी बेंडर्स की तादात बढ़ती ही जा रही है। ये कहीं शहर के लिए खतरे की घंटी तो नहीं है। संदिग्ध रूप से घूमने वाले प्रवासी बेंडर्स और भिखारियों पर अंकुश जरूरी है !ये सुबह-सुबह ही हर गली मोहल्ले में निकल पड़ते हैं और हमें सुनाई देने लगती है। गेहूं बेच लो, चावल बेच लो, जवार बेच लो, बाल बेच लो, चैन लगवा लो, कैंची धार लगा लो,बच्चों के कपड़े खरीद लो कंबल ले लो, आदि तमाम तरह की आवाज लगाने वाले ये अनजान वेंडर्स हर गली मोहल्ले में घूमते दिखाई दे जाते हैं। उनकी वेशभूषा और इनकी चाल ढाल को देखकर ऐसा लगता है कि यह वेंडर्स ना होते हुए कोई रैकी करने वाले जासूस हो। 

इनकी तादाद कोरोना कल के बाद से एकदम शहर में बढ़ गई है जहां पुरुष गली मोहल्ले में दिखाई देते हैं तो वहीं महिलाएं पार्कों में चौराहों की लाल बत्ती पर छोटे-छोटे बच्चों के साथ डॉट पेन बेचने या हाथों में कपड़ा लेकर गाड़ियों की सफाई करने का नाटक करते हुए भीख मांगने का काम करते हैं। कभी-कभी तो ये लोग भीख मांगने के लिए लोगों के हाथ या कोई महिला पीछे बैठी है तो उसके कपड़े पकड़ कर के भीख  मांगते हैं । मजबूरनवाहन चालक को इन्हें कुछ ना कुछ देना पड़ता है।

 कुछ लोग इन्हें इसे पीछा छुड़ाने के लिए पैसा देते हैं तो कुछ लोग उनकी गोदी में मासूम बच्चों को देखकर दया दिखाते हुए पैसा देते हैं।और जब इन्हें दूर हटने के लिए कहो तो ये उल्टा झगड़ने के लिए भी तैयार रहती हैं। लेकिन लेकिन इन पैसा देने वाले लोग पैसा देते समय यह भूल जाते हैं कि वे ऐसा करके ग्वालियर में भिखारी कल्चर को बढ़ावा देने के अलावा और कुछ नहीं कर रहे हैं। 

जिसे वे दान दे रहे हैं या जिसकी कुछ आप मदद कर रहे हैं पहले उसके बारे में यह तो जानने का प्रयास तो करें कि कि वे मदद कर रहे हैं वह कहां का है, कहां से आया है, क्या करता है, क्यों ग्वालियर में रुका हुआ है ? क्योंकि इसी प्रकार की अनदेखी का नतीजा है की आज जितने भी हमारे बॉर्डर के प्रदेश हैं वहां बांग्लादेशी रोहिंग्या या महामारी घुसपैठियों की तादाद एकदम से बढ़ गई है और जब वहां शक्ति होने लगी तो यह पूरे देश में फैलने लगे हैं। 

अपना नया आशियाना तलाश रहे। जब इन्हें शेल्टर मिल जाता है तो यह अनैतिक गतिविधियों को अंजाम देने से भी नहीं हिचकिचाते हैं जिस प्रकार की अभी कुछ दिन पहले ही हरियाणा के नूंह में और और अभी हाल ही में उत्तराखंड के अंदर जिस प्रकार का बवाल इन लोगों ने काटा और इनकी वजह से तमाम जान गई देश व प्रदेश की संपत्ति का नुकसान हुआ, सैकड़ो वाहन और 2 पुलिस थाने फूंक दिए गए। ऐसे लोगों के लिए ग्वालियर का आश्रय स्थल बनता जा रहा है। और इनका एपिक सेंटर है ट्रांसपोर्ट नगर, फूल बाग चौराहा, पडाव चौराहा, गोला का मंदिर और मेला ग्राउंड। जहां यह भीख मांगने का काम करते हैं। 

हद तो तब हो जाती है जब ये शहर के बीचो-बीच फूल बाग मैदान के पास नगर निगम जनसंपर्क ऑफिस के सामने अपनी झुग्गियां बनाकर रहने लगते हैं और रह भी रहे हैं। सड़कों के किनारे बनी पानी और फ्लेक्स से बनी इनकी ये झुग्गियां क्या प्रशासनिक अधिकारियों, नगर निगम के मदाखत को और पुलिस प्रशासन को  दिखाई नहीं देती है। और यदि दिखाई देती हैं तो क्या इनके बारे में इन विभागों को जानकारी एकत्रित नहीं करना चाहिए और सड़कों से इन्हें हटाना नहीं चाहिए। यह आए हैं उन्हें वापस भेजा जाए। क्योंकि कल को शहर में हरियाणा उत्तराखंड जैसा अगर कुछ हुआ। शहर की शांति व्यवस्था के साथ किसी भी प्रकार की कोई खिलवाड़ हुई तो यह जवाबदारी पुलिस प्रशासन की स्थानीय प्रशासन की और नगर निगम की होगी। जिस प्रकार से शहर में अचानक से क्राइम बड़ा है आशंका होती है कि कहीं ना कहीं उसके लिए ऐसे लोग ही जिम्मेदार हैं। इसलिए समय रहते जिम्मेदार विभागों को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और इन पर अंकुश लगाना चाहिए-रामवीर यादव (रवि)


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