मध्यप्रदेश में कांग्रेस को मनोबल बचाने की चुनौती...
कांग्रेस का लोग ऐसे ही साथ छोड़ते रहे तो आगे का सफर मुश्किल है !
ग्वालियर। पं.बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की अध्यक्ष ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस पर की गई टिप्पणी कड़वा सत्य है कि कांग्रेस उत्तरप्रदेश , मध्यप्रदेश , राजस्थान में लोकसभा चुनाव जीत कर दिखाए। मध्यप्रदेश में देखें तो यहां आम कांग्रेसियों का मनोबल गिरा हुआ है ! आये दिन कांग्रेसी भाजपा में शामिल हो रहे हैं। जो भगदड़ जैसे हाल विधानसभा चुनाव के समय भाजपा में थे, अब कांग्रेस में नजर आ रहे हैं। विधानसभा चुनाव में भाजपा की बम्पर जीत और अब राममंदिर माहौल ने भाजपा का नारा 'अब की बार 400 पार का अकड़ा आसान लगता है ! ऐसे प्रतिकूल माहौल में कांग्रेस को यूपी-एमपी में सशक्त उम्मीदवार मिलने मुश्किल हो गये हैं।
अभी हाल ही में मुरैना महापौर और कांग्रेस नेत्री शारदा सोलंकी अपने पति कांग्रेस नेता राजेन्द्र सोलंकी के साथ केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से दिल्ली में मिली हैं। इधर सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक अन्य महापौर के परिवार ने भी भाजपा प्रदेश संगठन के समक्ष प्रस्ताव रखा है कि उनके परिवार के सदस्य को मुरैना से लोकसभा टिकट मिल जाता है तो महापौर भाजपा में शामिल हो जाएंगी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी मायूसी सी है। उत्साह नजर नहीं आ रहा है। जबकि पिछले बार की भारत जोड़ो यात्रा ने कुछ समय के लिए कांग्रेसमय माहौल कर दिया था।
मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह पार्टी हाईकमान के यहां कमजोर पड़ने से भी जिलों के कांग्रेसियों विशेष रूप से ग्वालियर चम्बल संभाग के पार्टी कार्यकर्ताओं में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर आशंकाएं उठ रही हैं । वे चर्चा कर रहे हैं कि नया नेतृत्व जीतू पटवारी , उमंग सिंघार जैसे नेताओं से उनके घनिष्ट संबंध नहीं है। ये नेता उन्हें जानते भी नहीं हैं। ऐसे में यदि कांग्रेस नेतृत्व ने यदि लोकसभा चुनाव के पहले अपने छोटे-बड़े नेताओं को साधा नहीं, उन्हें एकजुट नहीं किया और उनके भीतर की आशंकाओं का समाधान नहीं किया तो कांग्रेस का नुक्सान होना तय है-रामवीर यादव
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