सीजेआई के दो सुप्रीम फैसलों ने ....
इलेक्टोरल बॉन्ड के बाद अब चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर SCने बीजेपी को दिया झटका !
पीएम मोदी ने जब सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली कार्यक्रम में सीजेआई के कई कदमों की जमकर प्रशंसा की तो उसकी चर्चा राजनीतिक गलियारों में रही. अभी हाल ही में इलाहाबाद में विधि विश्वविद्यालय के शुभारंभ के मौके पर सीएम योगी और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की एक तस्वीर वायरल हुई जिसमें लोगों ने मजे मजे में कहा कि यह प्रयागराज है, यहां सारे संगम एक हो जाते हैं. ऐसे तमाम उदाहरण हैं जिसमें सरकार और न्यायपालिका के लोकतांत्रिक रिश्तों की गर्माहट देखने को मिली.
लेकिन कई ऐसे भी मौके आए जब तंज वाली भाषा का भी खूब उपयोग हुआ. इसी बीच हाल में ही, जबकि दो ऐसे फैसले सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिए जिससे ना तो बीजेपी खुश होगी और ना ही सरकार खुश होगी, तो इन पर चर्चा जरूरी है. इलेक्टोरल बॉन्ड और अब चंडीगढ़ मेयर चुनाव के मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक फैसला देते हुए तीखी टिप्पणियां भी सुना दीं. वैसे तो यह पहली बार नहीं है जब देश के सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को झटके दिए हैं. लेकिन 2024 वह साल है जिसमें चुनाव है और बीजेपी फिर से भारी बहुमत की जीत का दावा कर रही है. ऐसे में इसी साल की शुरुआत में ही चुनाव से ही जुड़े ये दो फैसले कितनी अहमियत रखते हैं, इसे सुप्रीम कोर्ट के नजरिए से समझा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दो झटके दिए
अभी पिछले ही सप्ताह सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मोदी सरकार द्वारा 2018 में लाए गए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था, इसके तहत चंदा देने वाले की पहचान गुप्त रखी जा सकती थी. कुछ सालों में सामने आई रिपोर्ट्स में यह जानकारी सामने आई थी कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए पार्टियों को मिले कुल पैसों का सबसे बड़ा हिस्सा केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी को ही मिला था. इसके विरोध में गए लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया था कि इसमें काला धन को सफेद किया गया है, साथ ही बड़ी कंपनियों और अमीरों से आसानी से फंड लिया जा सकता है.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इसे अवैध करार दिया था. चूंकि इसके तहत बीजेपी को अधिक फंड मिला तो यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका साबित हुआ. हालांकि इस फैसले के बाद बीजेपी नेतृत्व की तरफ से कोई बड़ा बयान तो देखने को नहीं मिला लेकिन अब पार्टी को इसके लिए कोई अलग स्कीम सोचनी होगी, या फिर सरकार को फैसला लेना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि यह कानून सूचना के अधिकार का उल्लंघन है.
अब जबकि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में भी सुप्रीम कोर्ट ने तीखी टिप्पणियां कर दी हैं. बीजेपी से जुड़े रिटर्निंग ऑफिसर के जरिए ही सही सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे से बीजेपी को सुना दिया और कहा कि यह लोकतंत्र का हनन है. रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा अवैध किए गए मतों को वैध करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी की जगह आप के उम्मीदवार को चंडीगढ़ का मेयर घोषित किया है. यह भी बीजेपी के लिए किसी झटके से कम नहीं है.
बीजेपी 36 में से 8 गायब कर सकती है तो नब्बे करोड़ में कितने गायब कर सकती है :केजरीवाल
ये दोनों झटके चुनाव से जुड़े हुए हैं. लोकसभा चुनाव सिर पर हैं और फैसले के बाद आप के केजरीवाल ने यह कहा कि जब बीजेपी 36 में से 8 गायब कर सकती है तो नब्बे करोड़ में कितने गायब कर सकती है, यह सोचना चाहिए. बीजेपी ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, बस रिटर्निंग ऑफिसर बलि का बकरा बन गए हैं. सीजेआई ने तो साफ कहा कि जानबूझकर आठ मतपत्रों को विकृत करने के लिए अनिल मसीह गंभीर अपराध का दोषी है. उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. अब देखना है कि विपक्ष इसको किस तरह भुना पाता है.
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