मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन जप्त होंगे ...
हजारों ट्रेक्टर के साथ JCB-पोकलेन लेकर किसान MSP लेने निकले हैं या कुछ और !
बोलती तस्वीरMSP मांग रहे किसानों के पास अलग तरह की जेसीबी मशीन देख लोग हैरान हैं. हां, सड़क पर लगाए अवरोधकों से नाराज किसान अब आर-पार के मूड में दिख रहे हैं. आज वे पंजाब-हरियाणा सीमा से आगे दिल्ली की तरफ बढ़ने वाले हैं. इससे पहले दिखी तस्वीरों ने पुलिस की भी टेंशन बढ़ा दी है. अंबाला पुलिस ने किसान आंदोलन में पोकलेन और जेसीबी जैसी भारी मशीनों के इस्तेमाल को देखते हुए एक केस दर्ज किया है. इसे चलाने वाले संदिग्धों के फोटो भी जारी हुए हैं. माना जा रहा है कि अगर ये मशीनें आगे बढ़ीं तो सरकारी संपत्ति को नुकसान होगा और बैरिकेड तोड़े जा सकते हैं. पोकलेन मशीनों का इस्तेमाल आमतौर पर इंडस्ट्री और सुरंग बनाने आदि जैसे बड़े कामों में होता है. इसकी कीमत भी 50 लाख के करीब होती है. किसानों के बीच ऐसी मशीनें देखे जाने से कई तरह के सवाल भी उठने लगे हैं. इन मशीनों से पुलिस द्वारा लगाई गई सीमेंट की दीवार तोड़ी जा सकती है. इससे बवाल बढ़ सकता है.
नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन जप्त होंगे !
हरियाणा के पुलिस महानिदेशक शत्रुजीत कपूर ने पंजाब के अपने समकक्ष गौरव यादव को पत्र लिखकर पंजाब पुलिस से नियमों का उल्लंघन करने वाले उन वाहनों आदि बुलडोजर और मिट्टी खोदने वाले उपकरणों को जब्त करने को कहा है, जिन्हें किसान अवरोधकों को नुकसान पहुंचाने के लिए लाए हैं. ऐसे उपकरण सुरक्षा बलों के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.
ये कैसा शांतिपूर्ण प्रदर्शन !
एक तरफ किसान नेता अशोक बुलारा जैसे लोग कह रहे हैं कि उनकी मांगें सरकार स्वीकार करें या उन्हें शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली की ओर जाने की अनुमति दी जाए. हालांकि पोकलेन-जेसीबी मशीनें देख इन किसानों की मंशा पर शक गहराने लगा है. दिल्ली और हरियाणा के बीच बॉर्डर के दो रास्तों टिकरी और सिंघु पर भारी पुलिस बल तैनात हैं. इसे सील कर दिया गया है. वहां कंक्रीट और लोहे की कील के कई लेवल के अवरोधक लगाए गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि जरूरत हुई तो आज गाजीपुर सीमा भी बंद की जा सकती है.
200 किमी दूर हैं किसान
सरकार ने जो प्रस्ताव दिया है, किसान नेता उस पर राजी नहीं हैं. फिलहाल किसान दिल्ली से 200 किमी से ज्यादा दूरी पर हैं. हालांकि दिल्ली पुलिस ने यह सुनिश्चित किया है कि वे सड़क पर लगाए गए अवरोधकों को पार ना कर सकें. अब तक किसान हरियाणा के साथ लगती पंजाब की सीमा पर शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. कोर्ट ने कहा है कि मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार ट्रैक्टर-ट्रॉली राजमार्गों पर नहीं चलाई जा सकतीं. किसान बस या सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके दिल्ली जा सकते हैं. फिर भी किसान अड़े हुए हैं.
'हमें दिल्ली आने दे सरकार'
शंभू बॉर्डर पर आज किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, 'हमारा इरादा किसी तरह की अराजकता पैदा करने का नहीं है... हमने 7 नवंबर से दिल्ली जाने का कार्यक्रम बनाया है. अगर सरकार कहती है कि उन्हें पर्याप्त समय नहीं मिला तो इसका मतलब है कि सरकार हमें नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है. ये ठीक नहीं है कि हमें रोकने के लिए इतने बड़े-बड़े बैरिकेड लगाए गए हैं. हम शांति से दिल्ली जाना चाहते हैं, सरकार बैरिकेड हटाकर हमें अंदर आने दे... नहीं तो हमारी मांगें मान लें... हम शांत हैं... अगर वे एक हाथ बढ़ाएंगे तो हम भी सहयोग करेंगे. हमें धैर्य के साथ स्थिति को संभालना होगा. मैं युवाओं से अपील करता हूं कि वे नियंत्रण न खोएं.'
किसान नेताओं को ज्यादा नहीं लगती है 1.5-2 लाख करोड़ की रकम !
आज के 'दिल्ली चलो' मार्च पर किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, 'हमने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की. हम बैठकों में शामिल हुए, हर बिंदु पर चर्चा हुई और अब फैसला केंद्र सरकार को लेना है. हम शांत रहेंगे...प्रधानमंत्री को आगे आना चाहिए और हमारी मांगों को स्वीकार करना चाहिए. 1.5-2 लाख करोड़ रुपये ज्यादा बड़ी रकम नहीं है. इन बाधाओं को हटाकर हमें दिल्ली की ओर मार्च करने की अनुमति दी जानी चाहिए. तस्वीर में देखिए बॉर्डर पर पुलिस की तैयारी.
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