नदी जल बंटवारे पर चर्चा...
CM मोहन यादव ने इआरसीपी को लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री से की मुलाकात !
जयपुर। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रविवार को राजस्थान सीएम भजन लाल शर्मा से उनके ओटीएस स्थित आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच सम सामयिक मुद्दों के साथ कई विषयों पर चर्चा हुई है। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री यादव ने सीएम भजन लाल के शपथ ग्रहण समारोह में भी हिस्सा लिया था। पार्टी ने इस बार दोनों प्रदेशों में नए हाथों में कमान दी है। सीएम से मुलाकात के बाद यादव सीधे दिल्ली के लिए रवाना होंगे। सीएम भजन लाल भी आज दिल्ली जा रहे हैं। वे दोपहर में जयपुर से दिल्ली के लिए रवाना होंगे। आज रात उनका दिल्ली रुकने का कार्यक्रम है। प्रदेश सरकार की ओर से फरवरी में लेखानुदान पेश होना है, इस पर भी वे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे। साथ ही लोकसभा चुनाव के संबंध में भी उनकी कई नेताओं से चर्चा और मुलाकात का कार्यक्रम है।
मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच नदियों के जल बंटवारे पर हुई चर्चा।
ऐसे में दोनो मुख्यमंत्रियों के दिल्ली दौरे को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में दोनों प्रदेशों में कुछ बड़ निर्णय हो सकते हैं। इससे पहले एयरपोर्ट पहुंचने पर यादव ने कहा कि इआरसीपी को लेकर मुख्यमंत्री के भजन लाल शर्मा से चर्चा की जाएगी। मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच जल बंटवारे का भी हम समाधान निकालेंगे। पार्वती, काली सिंध और चंबल नदियों के जल बंटवारे पर भी चर्चा होगी।
लोकसभा चुनाव पर फोकस
भाजपा का लोकसभा चुनाव पर फोकस है। राजस्थान में लोकसभा की 25 सीट हैं। पार्टी ने सभी सीटों पर जीतने का प्लान बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति के जयपुर में हुए रोड शो को लोकसभा चुनाव के आगाज के रूप में देखा जा रहा है। वहीं, मध्य प्रदेश में भी लोकसभा की 29 सीटें हैं। यहां भी पार्टी सभी सीटों पर जीत का प्लान तैयार कर रही है। दोनों मुख्यमंत्रियों की लोकसभा चुनाव को लेकर कई नेताओं से दिल्ली में चर्चा होगी
ईआरसीपी योजना राजस्थान की लाइफ लाइन है।
ईआरसीपी योजना राजस्थान की लाइफ लाइन है। इस योजना से राजस्थान के 13 जिलों में रहने वाले लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। इसके अलावार 13 जिलों में 26 विभिन्न बड़ी व मध्यम परियोजनाओं के जरिये 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना के शुरू होने से झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर जिलों के लोगों को काफी फायदा होगा। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली तत्कालीन बीजेपी सरकार ने साल 2017 में ईआरसीपी पर काम शुरू किया था, तब 37,237 करोड़ रुपए की लागत का अनुमान था। कांग्रेस राज में ईआरसीपी पर करीब 1600 करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। लेकिन, देरी के चलते ईआरसीपी की लागत अब 45,000 करोड़ तक पहुंच गई है।
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