G News 24 : 20 बरस से इंतजार करने वाले रह गए और 10 वाले पा गए प्रमोशन !

 पुलिस विभाग में प्रमोशन, सीएम को रखा अंधेरे में ...

 20 बरस से इंतजार करने वाले रह गए और 10 वाले पा गए प्रमोशन !

मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद 1 हजार से ज्यादा पुलिस वालों की तरक्की हुई। इस तरक्की से वे प्रमोटी पुलिस वाले दुःखी है, जो नीचे से पसीना बहाकर ऊपर तक आये थे। एसआई के प्रमोशन में गृह विभाग ने सिपाही से एसआई बने पुलिस वालों का नाम ही नही जोड़ा। जबकि विभागीय नियम है कि किसी भी प्रमोशन में प्रमोटी व डायरेक्ट भर्ती वालो को बराबर का हक मिलता हैं। कई एसआई के रिटायरमेंट में गिनती के दिन भी नही बचे। यानी नए सीएम डॉ यादव के कहने के बाद भी इंतजार खत्म नही हुआ। अब सीएम से ही इन सबको आस हैं। 

ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। हर मोर्चे पर मुस्तेद रहे। बस क्या, फिर प्रमोशन मिल गया। सुनी वर्दी पर तीन लाल फीते लग गए। आरक्षक से प्रधान आरक्षक हो गए। डिपार्टमेंट ने ध्यान रखा तो नोकरी और जिम्मेदारी से बढ़ती गईं। न दिन देखा न रात। न सर्दी-न देखी बरसात। होली-दिवाली भी सड़क पर मन गई। परिवार कई कई बार इंतजार करता रहा गया लेकिन कर्तव्य पथ न छोड़ा। घर-परिवार, नाते-रिश्तेदार, समाज से ताने-उलाहने सुने-झेले लेकिन ड्यूटी के प्रति जज्बा कम नही हुआ। परिणाम वर्दी पर एक सितारे के रूप में सामने आया और प्रधान आरक्षक, सहायक सब-इंस्पेक्टर बन गए। घर मे खुशियों का ठिकाना न रहा। घर का आरक्षक, सितारे टँगते ही सितारे से चमकने लगा। 

 इस सबमें जीवन के 20-25 से ज्यादा बरस खर्च हो गए। नोकरी की मुस्तेदी ने एक से दो सितारे वर्दी पर टांग दिए। यानी सहायक सब इंस्पेक्टर से सब इंस्पेक्टर हो गए। बस इंस्पेक्टर से एक कदम दूर। यानी थाना प्रभारी से एक सीढ़ी दूर। साथ ही नोकरी का कार्यकाल भी तेजी से समाप्ति की तरफ बढ़ने लगा। लगा कि डिपार्टमेंट जल्द ही अंतिम सीडी को भी पार करवा देगा और तीसरा सितारा वर्दी पर आ जायेगा। लेकिन हाय री किस्मत! आँखे पथरा गई लेकिन इंतजार खत्म नही हुआ। तरक्की की बाट जोहते जोहते कई पथराई आंखे सेवानिवृत्ति की कगार पर आ गई। कगार ही नही, कई तो इंतजार करते ही रिटायरमेंट को प्राप्त हो गए लेकिन प्रमोशन नही मिला। 

बूढ़े माँ-बाप बेटे को थाना प्रभारी बनते देखने की आस लिए परलोक सिधार गए। पत्नी बच्चे भी उस इंतजार का हिस्सा बने जो बेमतलब का था, अगर वक्त रहते डिपार्टमेंट तरक्की की फ़ाइल पर हस्ताक्षर कर देता। बरसो बरस बाद जगी थी आस। ये आस नए सीएम डॉ मोहन यादव की संवेदनशीलता से उस वक्त जगी थी जब उन्होंने स्वतः संज्ञान लेकर पुलिस महकमे में बरसों से अटके प्रमोशन की विसंगतियों को दूर करने का संकल्प लिया। ये संकल्प भी पुलिस वालों की मौजूदगी वाले कार्यक्रम में लिया। लेकिन गृह विभाग ने नए मुख्यमंत्री की पवित्र मंशा को ही धता बता दिया। प्रमोशन तो किये लेकिन उसमें तय विभागीय नियम कायदों को ताक में रख दिया गया। यहां तक कि सीएम को अंधेरे में रखते हुए ये प्रमोशन किये गए। अब नए सीएम डॉ यादव को कौन बताए कि इस प्रमोशन में वे असली हकदार तो हाथ मलते ही रह गए जिन्हें 30-30 बरस से इस प्रमोशन का इंतजार था। 

 मुख्यमंत्री के निर्देश के महज 15 दिन में अब डिपार्टमेंट ने प्रमोशन तो किये लेकिन वे पथराई आंखों के हिस्से में फिर इंतजार ही आया जिनके प्रमोशन के लिए मुख्यमंत्री चिंतित थे क्योकि ये सेवानिवृत्ति की कगार तक आ गए थे। 370 पदों पर 298 सब इंस्पेक्टर प्रमोट तो हुए लेकिन इस प्रमोशन में सिपाही से एसआई बना एक भी नही। इस वर्ग में अब गहरी नाराजगी और क्षोभ पैदा कर दिया है। सिपाही से एसआई बने पुलिस वालों का कहना है कि प्रमोशन उन्हें मिल गया जो डायरेक्ट एसआई से भर्ती हुए थे। ऐसे लोगो को महज 10 बरस में प्रमोशन मिल गया और वे 2 से 3 सितारा होकर टीआई बन गए। 30 बरस से इंतजार करने वाले फिर खड़े रह गए। जबकि नए मुख्यमंत्री डॉ यादव की प्रमोशन की मंशा ऐसे ही पुलिस वालों के लिए थी जो बरसो से अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे। 

गृह विभाग ने ताजा प्रमोशन में वे नियम कायदे भी दरकिनार कर दिए जिनका प्रमोशन में पालन अनिवार्य है। इस नियम के तहत प्रमोशन में फिफ्टी फिफ्टी का फार्मूला अपनाया जाता हैं। यानी कुल प्रमोशन का आधा उनका जो डायरेक्ट पोस्ट पर आते है और आधा हिस्सा उनका जो प्रमोशन पा कर यहां तक का मुकाम पाते हैं। इस लिहाज से पुलिस विभाग में हुए ताजा प्रमोशन में 50 प्रतिशत प्रमोशन, प्रमोटी पुलिसकर्मियो का होना था। लेकिन पुलिस महकमे ने डायरेक्ट सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर तैनात हुए अमले का प्रमोशन कर दिया। इनके प्रमोशन से कही कोई गुरेज नही लेकिन ये क्या कि नियमो को दरकिनार कर सिर्फ डायरेक्ट पोस्ट वालो को ही तरक्की दी गई। जबकि अभी 72 पद और रिक्त है लेकिन एक भी प्रमोटी एसआई को इंस्पेक्टर नही बनाया गया। उसकी जगह उन 298 पुलिस वालों को इंस्पेक्टर बना दिया गया जो डायरेक्ट सब इंस्पेक्टर पद पर पदस्थ हुए थे।

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