ISRO के पहले सौर मिशन ने रचा इतिहास...
भारत के आदित्य एल-1 ने किया सूर्य नमस्कार !
सोलर मिशन आदित्य-L1 लैग्रेंज पॉइंट पर पहुंचा:126 दिन चला सफर, अब पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर; यह 5 साल सूर्य की स्टडी करेगा .इसरो का आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट 126 दिनों में 15 लाख किमी की दूरी तय करने के बाद आज सन-अर्थ लैग्रेंज पॉइंट 1 (एल1) पर पहुंच गया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने आदित्य-एल1 के हेलो ऑर्बिट में एंट्री करने की देशवासियों को बधाई देते हुए एक्स पर पोस्ट शेयर की है। ये मिशन 5 साल का होगा।
स्पेसक्राफ्ट में 440एन लिक्विड अपोजी मोटर लगी है, जिसकी मदद से आदित्य-एल1 को हेलो ऑर्बिट में पहुंचाया गया। यह मोटर इसरो के मार्स ऑर्बिटर मिशन में इस्तेमाल की गई मोटर के समान है। इसके अलावा आदित्य-रु1 में आठ 22एन थ्रस्टर और चार 10एन थ्रस्टर हैं, जो इसके ओरिएंटेशन और ऑर्बिट को कंट्रोल करने के लिए जरूरी हैं। एल1 अंतरिक्ष में ऐसा स्थान है, जहां पृथ्वी और सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां संतुलित होती हैं। हालांकि एल1 तक पहुंचना और स्पेसक्राफ्ट को इस ऑर्बिट में बनाए रखना कठिन टास्क है। ल1 का ऑर्बिटल पीरियड करीब 177.86 दिन है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा, 'भारत ने एक और लैंडमार्क कायम किया है।Ó सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का स्पेसक्राफ्ट आदित्य एल1 अपने डेस्टिनेशन पर पहुंच गया है। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता को फायदा पहुंचाने के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी ISRO की इस सफलता पर बधाई दी है, उन्होंने X पर लिखा है कि इस महान उपलब्धि के लिए पूरे भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को बधाई! यह मिशन सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बारे में हमारे ज्ञान को बढ़ाएगा और पूरी मानवता को लाभान्वित करेगा.
ISRO ने इस मिशन को लेकर कहा है कि हेलो (Halo) कक्षा में आदित्य-L1 का प्रवेश करना एक बहुत क्रिटिकल मिशन चरण है, जिसके लिए सटीक नेविगेशन और नियंत्रण की जरूरत होती है. ऑनबोर्ड थ्रस्टर्स का इस्तेमाल करके अंतरिक्ष यान की गति और स्थिति के एडजस्टमेंट के साथ-साथ निरंतर निगरानी भी शामिल थी. ऑर्बिट में स्थापित होने की सफलता न केवल इस तरह के जटिल कक्षीय युद्धाभ्यास में ISRO की क्षमताओं को दर्शाती है, बल्कि ये भविष्य के इंटरप्लेनेटरी मिशनों को संभालने का आत्मविश्वास भी देती है.
अंतरिक्ष यान आदित्य L1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के ‘लैग्रेंज प्वाइंट 1’ (L 1) के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में पहुंचा है. ‘L1 प्वाइंट’ पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग 1% है. ‘L1 प्वाइंट’ के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में उपग्रह से सूर्य को लगातार देखा जा सकता है. इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके असर का निरीक्षण करने में अधिक फायदा मिलेगा.
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