सकारात्मक सोच द्वारा संस्कार परिवर्तन: आदर्श दीदी
सहनशीलता,शांति और नम्रता जैसे गुणों से हमारा जीवन जाता संवर हैं
ग्वालियर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्व विद्यालय के प्रभु उपहार भवन माधौगंज केंद्र पर "सकारात्मक सोच द्वारा संस्कार परिवर्तन" तीन दिवसीय योग साधना शिविर सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में माउंट आबू से मुख्य वक्ता के रूप में पधारे बीके हरगोविंद भाई, स्थानीय केन्द्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी, बीके डॉ गुरचरन सिंह, बीके प्रहलाद भाई, बीके सुरभि, बीके रोशनी, बीके महिमा, बीके पवन मुख्य रूप से मौजूद रहे।
योग साधना शिविर को संबोधित करते हुए माउंट आबू से आए बीके हरगोविंद भाई ने सकारात्मक सोच से संस्कार परिवर्तन विषय पर अपने विचार रखे और कहा कि हमारे जीवन में कैसे भी कड़े संस्कार हो यदि सकारात्मक सोच को अपने जीवन मे अपनाते है और ध्यान साधना के पथ पर चलते है तो हम पुराने संस्कारों को परिवर्तन कर लेते है। राजयोग से हमारे अंदर सहनशीलता शांति नम्रता जैसे गुणों का उदय होता है। हम सब परम पिता परमात्मा के बच्चे है। वह तो शांति के सागर है, ज्ञान के सागर है, दयालु है, कृपालु है यदि हम सच्चे मन से अपने मन की तार उनसे जोड़ते है तो अवश्य ही उनकी शक्तियां और वरदान हमें प्राप्त होते है।
उन्होंने बताया कि हमें अपनी सोच को सदा सकारात्मक और अच्छा रखना चाहिए। अगर हम सकारात्मक सोच रहे हैं। तो हमारा जीवन सदा सुखी बन जाएगा। सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे यदि हम स्वयं का परिवर्तन करते है तो हमारे आसपास का वातावरण स्वतः परिवर्तित होता है। यदि हमारे में क्रोध का अंश है तो उसे समाप्त कर अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाना चाहिए। सदैव खुश रहने के तरीके ढूढ़ने चाहिए। बुरे संग से अपनी संभाल करनी चाहिए। हर परिस्थिति में अपने मन में शुभ संकल्प ही रखने चाहिए।
तत्पश्चात केंद्र प्रभारी बीके आदर्श दीदी ने सभी को संबोधित किया और कहा कि जीवन में सुख और शांति की अनुभूति करनी है तो स्वयं के लिए थोडा समय अवश्य निकालें। आज ज्यादातर लोग एक दौड़ में भाग रहे है। जिस दौड़ का कोई अंत नही है । अपने लिए समय नहीं है और यही कारण है कि चिंता, भय जैसी बातें लोगो के जीवन में आ रही है |
यदि सबसे बचने के लिए यदि हम सुबह से लेकर रात तक अपनी व्यवस्थित दिनचर्या बनाते है जिसमें शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम, मानसिक स्वास्थ्य के मैडिटेशन आदि को शामिल करते है तो निश्चित ही हम अपने जीवन को सुन्दर बना सकते है | तथा हर कार्य मे सकारात्मकता को अपनाएं जिससे हमें अपने संस्कार परिवर्तन करने में मदद मिलती है दीदी ने सभी को राजयोग का महत्व बताते हुए तीन दिन तक गहन ध्यान साधना भी कराई |
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए बीके डॉ. गुरचरण सिंह ने कहा कि आज मोबाइल इन्टरनेट सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग ने मनुष्य के जीवन में अबसाद जैसी समस्यों को ला दिया है | हम सभी को इस ओर ध्यान देने की जरूरत है तथा इनका उपयोग सही दिशा में और आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए तो हम अपने मन को स्वस्थ्य और शक्तिशाली बनाकर रख सकेंगे | और नैतिक मूल्यों को जीवन में धारण करने के लिए आध्यात्मिकता को अपने जीवन का हिस्सा बनायें तो हम खुद भी जीवन अच्छा जी सकेंगे और दूसरों को भी अच्छी प्रेरणाएं दे सकेंगे|
कार्यक्रम में बीके प्रहलाद ने कहा कि जब तक हम जीवन में कुछ सिद्धांत या नियम नहीं बनायेंगे तब तक हमारे जीवन में कुछ न कुछ उतार चढाव आते रहेंगे | यदि हम अपने लिए कुछ नियम बनाते है और उस पर चलते है तो आन्तरिक सुकून का अनुभव होता है और व्यर्थ से अपने आप को बचा पाते है | इस तरह के साधना शिविर हमें स्व निरीक्षण कर परिवर्तन की दिशा में आगे ले जाते है जिससे हम अपना जीवन अच्छा बना पाते है | कार्यक्रम में 500 से 600 लोगो ने प्रतिदिन शिरकत की और शिविर का लाभा उठाया | कार्यक्रम का संचालन बीके सुरभि ने किया। तथा बीके रोशनी ने सभी का आभार माना |
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