भव्य श्रीराम मंदिर एवं अयोध्या को खास सजाया संवारा जा रहा है....
जनकपुर वासी बेटी सीता के घर जाने के लिए उपहारों के साथ है तैयार
अयोध्या। देश और दुनिया को उस खास दिन का इंतजार है जब मर्यादा पुरषोत्तम राम अपने भव्य घर में विराजेंगे. राम मंदिर को बनाने का काम जोरशोर से किया जा रहा है. तो वहीं जनकपुर के लोगों को भी इंतजार है जब उनकी बेटी उस भव्य मंदिर में प्रवेश करेंगी. जिस तरह से श्रीराम के विराजमान होने से पहले अयोध्या को सजाया संवारा जा रहा है ठीक वैसे ही जनकपुर में भी तैयारी चल रही है. जनकपुर के लोग अपनी बेटी के घर बास के लिए उपहारों को इकट्ठा करने की तैयारी में जुट गए हैं. वो तीन जनवरी को जनकपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगे और 6 जनवरी को उपहार श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौपेंगे.
सूत्रों के मुताबिक करीब 500 लोग भगवान राम की ससुराल या यूं कहें कि सीता जी के मायके से अयोध्या आने वाले हैं. खास बात यह है कि ये लोग उसी रास्ते का इस्तेमाल करेंगे जिसके जरिए मर्यादा पुरुषोत्तम राम जनकपुर से अयोध्या पहुंचे थे. 3 जनवरी को ये लोग जनकपुर से मिथिला के लिए चलेंगे. यह रास्ता जंगल के जरिए तय करेंगे जो हाइवे पर मिलेगा. चार जनवरी को नेपाल के चंद्रपुर जिले में सफर तय कर भारत में दाखिल होंगे. यानी बिहार के रक्सौल पहुंचेंगे. फिर वहां से सुगौली होते हुए बेतिया और उसके बाद गोपालगंज, कुशीनगर गोरखपुर होते हुए पांच जनवरी को अयोध्या धाम पहुंचेंगे. उसके अगले दिन यानी 6 जनवरी को अयोध्या में घर बास की सामग्री श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंप देंगे और उसी दिन जनकपुर के लिए रवाना हो जाएंगे.
बेटी की आने पर ससुराल वाले लाते है उपहार जिसे घर बास
अब आपको बेसब्री से इंतजार होगा कि सीता जी के मायके से उपहार में क्या क्या चीज आने वाले हैं. इस संबंध में जनकपुर में जानकी मंदिर के महंत रोशन दास का कहना हैं कि जनकपुर की परंपरा में जब कोई बेटी अपने नए घर में प्रवेश करती है तो मायके वाले अपने दामाद को उपहार देते हैं जिसे घर बास कहा जाता है. घर बास परंपरा के तहत जनकपुर से पांच सौ लोग 1100 डाली में प्रभु श्रीराम और सीता के लिए कपड़े, गहने, फल और मेवा लाएंगे. सामानों को पैक करने की तैयारी भी शुरू हो चुकी है. इन सामानों को 17 दिसंबर को विवाह पंचमी कार्यक्रम में लोगों को दिखाया भी जाएगा.
जनकपुर से आ रहे हैं ये उपहार
- सभी 1100 डलियों तो लाल और पीले कपड़े से सजाया गया है.
- 10-10 किलो मेवा, 20-20 किलो मिठाइयां, मालपुएौर दूसरे पकवान होंगे.
- मौसमी फलों से भरी 100 से अधिक डलियां होंगी.
- सीता के लिए पीली धोती, लाल चुनरी, श्रृंगार और सुहाग के सामान होंगे.
- दामाद मर्यादा पुरुषोत्तम राम के लिए पीली धोती, कुर्ता के साथ गमछा लाएंगे.
बिहार के दरभंगा जिले से करीब 40 किमी दूर है जनकपुर
बिहार के दरभंगा जिले से करीब 40 किमी जनकपुर है जो नेपाल का हिस्सा है. वाल्मीकि रामायण के मुताबिक जनकपुर में ही माता सीता का जन्म हुआ था. यहीं पर राजा जनक को खेत में हल चलाते हुए वो मिली थीं, 1816 से पहले यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा था. लेकिन 1816 में सुगौली की संधि के बाद अंग्रेजों ने जनकपुर को नेपाल को सौंप दिया.
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