G News 24 : मेट्रो के गेट में साड़ी फंसकर घिसटने से महिला की मौत !

  चढ़ते या उतरते समय भूल से भी ना करें ये गलतियां...

मेट्रो के गेट में साड़ी फंसकर घिसटने से महिला की मौत !

नई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो ट्रेन और स्टेशनों में आए दिन लापरवाही से लोगों के घायल होने या मरने की खबरें आती हैं. इसलिए देशभर में मेट्रो सेवाओं का इस्तेमाल करने वालों को जागरूक करने की जरूरत महसूस की जा रही है. ताजा मामले की बात करें 35 साल की एक महिला की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि वो ट्रेन में सवार हुईं, लेकिन बेटा प्लेटफॉर्म पर छूट गया. वो ट्रेन से उतरीं, उनकी साड़ी गेट में फंस गई, मेट्रो चल पड़ी और वो घिसटती गईं. अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. ऐसे में आप सभी को भी मेट्रो ट्रेन में, मेट्रो स्टेशन पर और एस्क्लेटर का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए.

दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन के कमिश्नर (मेट्रो रेलवे सेफ्टी) यानी CMRS को मामले की जांच सौपी गई है. वो हादसे की वजह पता लगाएंगे. मेट्रो के दरवाजे में कपड़े या बैग फंसने की तो कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. लेकिन कपड़े फंससे से मौत का ये शायद पहला मामला होगा. ऐसे में सभी की उत्सुकता यह जानने में है कि आखिरकार ये हादसा कैसे हुआ? इस केस स्टडी से इतर आइए आपको अब बताते हैं कि दिल्ली मेट्रो हो या कानपुर मेट्रो, मुंबई मेट्रो हो या किसी और शहर की मेट्रो, आपको कैसे सावधान रहना है? ताकि आप हादसों से बच सकें.

मेट्रो सेफ्टी अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल देश की अधिकांश मेट्रो स्टेशनों के दरवाजों को तमाम सुरक्षा मानकों/स्थितियों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है. इस हिसाब से मेट्रो ट्रेन के हर दरवाजे में सेंसर लगे होते हैं. जिनमें 15mm से मोटी परत वाली कोई भी चीज या सामान फंसता है तो गेट ऑटोमेटिकली बंद नहीं होता है. आर्टिफिशिय इंटेलिजेंस से गेट 3 बार खुद से बंद होने की कोशिश करता है. 3 बार में दरवाजा बंद नहीं होता तब उसे मैनुअली बंद करना पड़ता है. हालांकि इसकी नौबत कभी-कभार ही आती है. ये काम ट्रेन कंट्रोलर करते हैं. ऐसे में इस हादसे में शुरुआती दौर में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि महिला की साड़ी या कोई सामान दरवाजे में फंस गया होगा जिसे सेंसर नहीं रीड कर पाया होगा. 

मेट्रो में हादसों में चढ़ते और उतरते समय खुद को सुरक्षित रखने के लिए एक मंत्र 'दुर्घटना से देर भली' याद कर लें. हालांकि पता तो आपको भी होगा, लेकिन जितनी जल्दी ये बात दिमाग में बैठा ली जाए यानी अपनी आदत में शुमार कर ली जाए उतना अच्छा होगा. मेट्रो में जल्दबाजी यानी हड़बड़ी नहीं करनी है. अधिकांश मेट्रो स्टेशंस पर ज्यादा भीड़ होती है. ऐसे में दो मिनट बचाने के चक्कर में जान जोखिम में न डालें. जब भी ट्रेन में दाखिल हों या उतरें तो ढीले कपड़े जैसे साड़ी, दुपट्टा आदि को संभाल कर रखें ताकि वे गेट में न फंसे. ऐसा लगे कि दरवाजा बंद हो रहा है तो उसे रोकने के लिए बैग या शरीर का कोई अंग फंसाने की कोशिश न करें. फिर भी ऐसा हो जाए तो इमरजेंसी बटन दबाने के लिए साथा यात्रियों को बोलें. ताकि ड्राइवर समय रहते ब्रेक लगा कर आपको बचा सके.

बच्चों, बुजुर्गों को मेट्रो में ले जाते वक्त विशेष सावधानी बरतें. पहले यात्रियों को उतरने दें फिर अंदर दाखिल हों. अगर आपका बच्चा ट्रेन में नहीं चढ़ पाया तो पैनिक न करें जबरन बाहर कूदने की जानलेना गलती न करें. अगले स्टेशन पर उतरकर मेट्रो स्टाफ की मदद से पिछले स्टेशन स्टाफ को बच्चे के बारे में बता सकते हैं. वहां चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी लगे हैं. ऐसे में धैर्य रखें सूचना देने से आपका बच्चा सकुशल मिल जाएगा. ट्रेन का इंतजार करते वक्त पीली रेखा से पीछे खड़ें हो. कान पर लीड लगाकर तेज आवाज में गाने न सुनें. क्योंकि ध्यान भटकने पर चढ़ते या उतरते समय हादसा हो सकता है. सावधान रहें, सतर्क रहें ताकि आप बच सकें. ये भी याद रखें कि घर पर आपकी फैमिली मां-बाप या बीबी-बच्चे आपका इंतजार कर रहे हैं. ऐसी छोटी-छोटी सावधानियां बरतकर आप एक अच्छे रेल यात्री का फर्ज भी निभा सकते हैं.

Reactions

Post a Comment

0 Comments