फिर दे दिया दगा...
धोखेबाजी में पाकिस्तानियों का जवाब नहीं !
इजरायल और हमास की जंग में पाकिस्तान अपना नफा-नुकसान तलाश रहा है. पाकिस्तान पूरे युद्ध को मजहबी रंग देने की कवायद में है. फिलिस्तिनियों पर अत्याचार का राग तो पाकिस्तानी हुकूमत अलाप रही है. लेकिन मदद के नाम पर उसका डबल गेम बेनकाब हो गया है. पाकिस्तान में हर दूसरे दिन ऐसी ही रैलियां निकलती हैं. पाकिस्तानी खुद को फिलिस्तीन का सबसे बड़ा हमदर्द बताने की कोशिश करते हैं. लेकिन अब पाकिस्तान की गाजा के साथ धोखेबाजी सबके सामने आ चुकी है. पाकिस्तान में खुद को फिलिस्तीन सरमर्थक बताने की होड़ लगी है. इस प्रदर्शन के जरिए पाकिस्तान में क्या खेल हो रहा है इसकी हकीकत भी पाकिस्तानी ही बता रहे हैं. पाकिस्तान के एक आम नागरिक ने कहा कि पाकिस्तान की हालत सबके सामने है. हम यहां नारे लगा रहे हैं. भाषण दे रहे हैं. हमारे मौलाना पता नहीं कितने बयान दे रहे हैं. मैं तो इनको इतना कहूंगा चाहे इनको बुरा लगे.
लेकिन मौलवियों की तो रोजी खुल गई है. एक पाकिस्तानी ने कहा कि मैं 20 किलोमीटर जाता हूं तो 4 कैंप लगे होते हैं. फिलिस्तीन के लिए चंदा दो और वो चंदा कहां जाना है हमें पता है. वहां क्रूजर खरीदी जानी हैं. 6 गार्ड रखने हैं. लोगों से मेरी अपील है कि खुदा का वास्ता इन लोगों को पैसा ना दें. इन्होंने अपनी तोंद बढ़ानी है. गौरतलब है कि चंदे के नाम पर खेल करने वाले पाकिस्तानी इजरायल के खिलाफ खूब जहर उगल रहे हैं. लेकिन हकीकत ये है कि पाकिस्तान को फिलिस्तीन से नहीं बल्कि हमास से हमदर्दी है. उसका सबूत पाकिस्तानी नेता फजलुर रहमान की हमास चीफ इस्माइल हानिया के साथ मुलाकात है. हमास के सबसे बड़े आतंकी से मिलने फजलुर रहमान पहुंच गए. मगर जब बात फिलिस्तीनियों को मदद पहुंचाने की आई तो पाकिस्तान की पोल खुल गई. पाकिस्तान के कुछ लोग फिलिस्तीनियों तक मदद पहुंचाने की कोशिश में हैं. लेकिन केयर टेकर सरकार उसमें अड़ंगा लगा रही है. पाकिस्तान की सरकार ने बैंकों से फिलीस्तीन के लिए आने वाली किसी भी डोनेशन को मंजूर ना करने का फरमान जारी किया है. पाकिस्तान का यही चाल, चरित्र और चेहरा उसकी बेहाली की वजह है.
पाकिस्तान दिखाता कुछ है और हकीकत कुछ और होती है. गाजा में चल रही जंग के मुद्दे पर भी पाकिस्तान बेनकाब हो गया है. पाकिस्तानी मीडिया ने अरब वर्ल्ड पर ही सवाल उठा दिए हैं. पाकिस्तानी मीडिया में लिखा गया है कि फिलिस्तीनी मारे जा रहे हैं और अरब देश हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. इजरायल की बमबारी में लोगों की जान जा रही है लेकिन अरब देशों की बोलती बंद है. दक्षिण अफ्रीका और बोलिविया जैसे देशों ने नैतिकता दिखाते हुए इजरायल से अपने राजदूत वापस बुला लिए लेकिन इस संकट में अरब देश कहां हैं? पाकिस्तानी मीडिया में ये भी कहा जा रहा है कि जंग के इस दौर में अरब और मुस्लिम वर्ल्ड ने सिर्फ बयान जारी कर अपना फायदा देखा. ऐसे में पाकिस्तान की खुद की हालत मदद करने वाली नहीं है. पर वो जिस तरह हमास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है उससे उसकी आतंकवाद वाली सोच फिर से सबके सामने उजागर हो चुकी है.
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