उप्र के सभी जिलों में चला अभियान...
मस्जिदों सहित अन्य धार्मिकस्थलों से उतरवाए गए लाउडस्पीकर
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अब लाउडस्पीकर के खिलाफ अभियान चला रही है. मंदिर-मस्जिद और जगह-जगह जाकर लाउडस्पीकर को चेक किया जा रहा है और अगर इनकी आवाज तय मानक से ज्यादा निकलती है तो एक्शन लिया जा रहा है. यूपी सरकार का लाउडस्पीकर के खिलाफ ये एक्शन सुबह 5 से 7 बजे तक चलता है. और शाम को भी कुछ समय के लिए चेकिंग की जाती है. 23 नवंबर से ये अभियान शुरू हो गया है और 22 दिसंबर तक चलेगा.
सरकार की ओर से बयान जारी कर बताया गया है कि अब तक प्रदेशभर में 61,399 लाउडस्पीकर को चेक किया गया जा चुका है. इनमें से 7,288 लाउडस्पीकर की आवाज कम करवाकर मानक के अनुसार कराई गई. जबकि 3,238 लाउडस्पीकर को हटवा दिया गया. सरकार ने हर जिले में एक टीम बनाई है, जो धार्मिक स्थलों के साथ-साथ सार्वजनिक स्थलों पर लगे अवैध लाउडस्पीकर या ध्वनि विस्तारक यंत्र को चेक कर रही है.
लाउडस्पीकर को लेकर बवाल नया नहीं है. पिछले साल भी मई में यूपी में 54 हजार से ज्यादा मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटा दिया गया था. जबकि, 60 हजार लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई थी. लाउडस्पीकर को लेकर कुछ साल पहले बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम ने भी आपत्ति जताई थी. उन्होंने कहा था कि सुबह-सुबह लाउडस्पीकर की तेज आवाज से नींद में खलल पड़ता है.
बहरहाल, देशभर में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर मनाही नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें रखी गई हैं, ताकि इसका इस्तेमाल करते वक्त दूसरे के जीवन पर कोई असर न पड़े. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है.नियम है कि किसी भी सार्वजनिक जगह पर लाउडस्पीकर या कोई भी वाद्य यंत्र बजाना है तो उसके लिए पहले इजाजत लेनी होगी. इतना ही नहीं, अगर आप अपने घर पर या रिहायशी इलाके में इनका इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो उसके लिए भी नियम हैं.
लाउडस्पीकर के लिए ये हैं नियम
नियमों के मुताबिक, सुबह के 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक ही लाउडस्पीकर या वाद्य यंत्र बजाने की इजाजत है. अगर इसका इस्तेमाल सार्वजनिक जगहों पर कर रहे हैं तो प्रशासन से लिखित अनुमति लेनी जरूरी है. हालांकि, राज्य सरकार चाहे तो कुछ मौकों पर इसमें रियायत दे सकती है. सरकार किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के लिए लाउडस्पीकर या दूसरे यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक कर सकती है. हालांकि, ऐसी अनुमति साल में सिर्फ 15 बार ही दी जा सकती है. नॉयज पॉल्यूशन रूल्स के अंतर्गत सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने चार अलग-अलग इलाकों के हिसाब से ध्वनि का मापदंड तय कर रखा है. इसके मुताबिक इंडस्ट्रियल, कमर्शियल, रेसिडेंशियल और साइलेंस जोन में कितनी आवाज रहेगी, इसका मापदंड तय है.
- - इंडस्ट्रियलः यहां ध्वनि का स्तर दिन के समय 75 डेसीबल और रात के समय 70 डेसीबल तय है.
- - कमर्शियलः यहां पर दिन में 65 डेसीबल और रात में 55 डेसीबल तक की लिमिट है.
- - रेसिडेंशियलः दिन के वक्त ध्वनि का स्तर 55 डेसीबल और रात के समय 45 डेसीबल की लिमिट है.
- - साइलेंस जोनः दिन में 50 डेसीबल और रात में 40 डेसीबल का स्तर होगा.
नियमों के मुताबिक, साइलेंस जोन में लाउडस्पीकर या कोई भी तेज आवाज वाला यंत्र बजाने पर रोक नहीं है. साइलेंस जोन में अस्पताल, स्कूल और कोर्ट जैसी जगहें शामिल हैं. हालांकि, अनुमति और शर्तों के साथ बजा सकते हैं. वहीं, दिन का समय यानी सुबह के 6 बजे से लेकर रात के 10 बजे तक और रात का समय यानी रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक.
घर को लेकर ये हैं नियम
हां. घर पर भी लाउडस्पीकर या कोई वाद्य यंत्र बजाने को लेकर नियम है. नियमों के मुताबिक, रिहायशी इलाकों में लाउडस्पीकर या कोई भी तेज आवाज के यंत्र की ध्वनि का स्तर दिन में 55 डेसीबल और रात में 45 डेसीबल से ज्यादा नहीं होगा. अगर ऐसा होता है तो नियमों के उल्लंघन पर आपको कैद और जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है. इन नियमों को तोड़ने पर 5 साल कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है.
इतना ही नहीं, संविधान का अनुच्छेद 19 (1) (A) और अनुच्छेद 21 हर नागरिक को बेहतर वातावरण और शांति से जीवन जीने का अधिकार देता है. 1992 में पीए जैकब बनाम कोट्टायम एसपी के मामले में केरल हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अनुच्छेद 19 (1) के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी व्यक्ति को तेज आवाज में लाउडस्पीकर बजाने की इजाजत नहीं देता है.
55 डेसीबल मतलब !
अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन डेफनेस एंड अदर कम्युनिकेशन डिसऑर्डर के मुताबिक, इंसान के कान के लिए 70 डेसीबल तक की आवाज सामान्य है. वहीं, भारत के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने इसकी लिमिट 65 डेसीबल तय कर रखी है. यानी, इतनी तेज आवाज से कोई नुकसान नहीं होगा, लेकिन अगर इससे ज्यादा तेज आवाज है तो नुकसान हो सकता है. 55 डेसीबल कितना होता है, इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि जब दो लोग आपस में बातचीत करते हैं तो उस आवाज का लेवल 60 डेसीबल होता है. इंसान के सांस की आवाज भी 10 डेसीबल के आसपास होती है. पिन के गिरने से भी 10 डेसीबल की आवाज निकलती है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि अगर आवाज का स्तर 70 डेसीबल से कम है तो ये ठीक है, लेकिन अगर कोई 80 डेसीबल से ज्यादा की आवाज में 8 घंटे से ज्यादा रहता है तो ये खतरनाक हो सकता है. ज्यादा तेज आवाज सुनने से हियरिंग लॉस होने का खतरा भी है. WHO के मुताबिक, आने वाले समय में 1.1 अरब लोगों में हियरिंग लॉस का खतरा है और उसकी वजह पर्सनल ऑडियो डिवाइस होगी.
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