प्राथमिक स्कूल के शिक्षक की दादागिरी...
एमडीएम की महिला का सामान फेका बाहर,कहा नीच जात की महिला नही बनाएगी खाना !
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री वैसे तो जाट पात भेदभाव को लेकर चाहे कितने ही दावे करते हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है ताजा मामला बैतूल जिले के ग्राम मरामझिरी से सामने आया है। जहाँ प्राथमिक स्कूल के शिक्षक की भेदभावपूर्ण नीति का शिकार एक एमडीएम महिला कर्मचारी हुई है जब इस मामले की हकीकत जानने हम ग्राम मरामझिरी पहुँचे तो हमे महिला रसोइया गंगा नागले द्वारा बताया गया कि वह पिछले 12 सालों से बच्चों के लिए खाना बना रही है और आजतक उसके खाने में कोई शिकायत नही आई अभी कुछ माह पहले एक शिक्षक सुभाष रघुवंशी की पोस्टिंग स्कूल में हुई है जो बात बात पर ताने देता है.
बच्चों को भड़काता है पालकों से बच्चों का टिफिन साथ मे भेजने का कहता है कि वो बाई नीच जात की है उसके हाथ का खाना नही खाना और इस तरह से जाति को लेकर कमेंट भी करता है महिला रसोईया का आरोप यह भी है कि शिक्षक की नीयत ठीक नही है वह गलत नजर रखता है बार बार किचन में आकर वीडियो बनाता है। इस बात की शिकायत महिला द्वारा अजाक थाने में भी की गई है जिसकी जांच के लिए कल पुलिस दल भी वहाँ पहुँचा था पुलिस ने ही बच्चों से पूछा कि आखिर स्कूल में खाना मिलता है तो बच्चे टिफिन घर से क्यों लाते है.
इस पर एक मासूम ने बताया की शिक्षक सुभाष रघुवंशी द्वारा टिफिन घर से लेकर आने का दबाव बनाया जाता है नही लाने पर शिक्षक डांटते है और इन मामले को लेकर ही जिला मुख्यालय के पत्रकार स्कूल पहुँचे थे और उसके बाद वापस आने के बाद जानकारी मिली कि शिक्षक द्वारा पालकों को भड़काकर पत्रकारों के खिलाफ थाना कोतवाली में झूठी शिकायत की गई अब इस पूरे मामले से तो साफ है कि विवादित छवि वाला शिक्षक ही मासूमों को अभी से जात पात का भेदभाव करवाने की सीख दे रहा है.
इसमें पालकों को भी गलत जानकारी देकर इस तरह भड़काने वाले शिक्षक पर विभाग द्वारा त्वरित और कड़ी कार्यवाही होनी ही चाहिए चूंकि ऐसे शिक्षक देश के भविष्य को गलत दिशा में ले जाने की तैयारी में लगे है जानकरी यह भी है कि शिक्षक सुभाष रघुवंशी पहले भी इसी व्यवहार के चलते 2 बार निलंबित भी हो चुका है ।
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