मध्य प्रदेश चुनाव के बीते चुनावी नतीजे...
भाजपा ने जहां तय किए उम्मीदवार वहां का कुछ ऐसा है सियासी गणित
भारतीय जनता पार्टी ने मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए मंगलवार को छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा सीट से मोनिका बट्टी की उम्मीदवारी घोषित कर दी। इससे पहले सोमवार रात को ही पार्टी ने 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। वहीं, 17 अगस्त को पार्टी ने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी। पहली सूची की तरह की दूसरी सूची में भी कई चौंकाने वाले नाम देखने को मिले । दूसरी सूची में तीन केंद्रीय मंत्री, सात लोकसभा सांसदों को भी विधानसभा चुनाव में उतार दिया गया है। जिन 39 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान हुआ है उनमें सिर्फ तीन पर इस वक्त भाजपा के विधायक हैं। आइये जानते हैं अब तक घोषित 79 सीटों का सियासी समीकरण कुछ ऐसा है।
विजयवर्गीय 10 साल बाद फिर से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं
दूसरी सूची में 39 उम्मीदवारों में से तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रह्लाद सिंह पटेल के नाम शामिल हैं। इन तीनों के साथ ही मौजूदा सांसदों राकेश सिंह, गणेश सिंह, रीति पाठक और उदय प्रताप सिंह को भी विधानसभा चुनाव के लिए टिकट मिला है। इन सात नामों के साथ ही कैलाश विजयवर्गीय के नाम की भी चर्चा सबसे ज्यादा है। विजयवर्गीय 10 साल बाद फिर से विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं।
39 में से सिर्फ चार सीट पर 2018 में भाजपा को जीत मिली थी। इनमें सीधी, नरसिंहपुर, मैहर और आगर सीटें शामिल हैं। इनमें से आगर सीट पर 2020 में हुए उपचुनाव में यह सीट भाजपा के हाथ से चली गई। इस वक्त सीधी से भाजपा के केदार नाथ शुक्ल विधायक हैं। सीधी कांड के चलते शुक्ल का टिकट कट गया है। उनकी जगह से सीधी से सांसद रीति पाठक को यहां से उतारा गया है।
आपको बता दें कि नरसिंहपुर सीट से इस वक्त जालम सिंह पटेल विधायक हैं। जालम सिंह केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के भाई हैं। उनकी जगह यहां से प्रह्लाद पटेल को उम्मीदवार बनाया गया है। वहीं, मैहर सीट से नारायण त्रिपाठी विधायक हैं। त्रिपाठी लगातार बगावती तेवर दिखाते रहे हैं। जुलाई में ही उन्होंने विंध्य जनता पार्टी के नाम से नई पार्टी बनाने का एलान किया था। अब कहा जा रहा है कि इस वह कांग्रेस के टिकट पर ताल ठोंक सकते हैं। मैहर सीट से भाजपा ने श्रीकांत चतुर्वेदी को टिकट दिया है। श्रीकांत केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेहद करीबी बताए जाते हैं।
इससे पहले भाजपा ने 17 अगस्त को उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की थी। इस दौरान भाजपा ने राज्य में 39 नामों की घोषणा कर दी थी। राज्य की इन 39 सीटों में से 38 पर भाजपा को 2018 में हार मिली थी। वहीं, झाबुआ सीट पर 2018 में पार्टी को जीत जरूर मिली थी। लेकिन, बाद में हुए उपचुनाव में यहां से कांग्रेस के कांतिलाल भूरिया विधायक बने थे। इस तरह से अब तक घोषित कुल 79 सीटों में से केवल तीन सीटों पर इस वक्त भाजपा के विधायक हैं। इन तीन विधायकों में से एक अपनी पार्टी बना चुका है।
क्षेत्रवार आंकड़े देखें तो मालवा नीमाड़ में सबसे ज्यादा नाम सामने आए हैं
प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए अब तक भाजपा ने कुल 79 नामों की घोषणा कर दी है। इनमें क्षेत्रवार आंकड़े देखें तो मालवा नीमाड़ में सबसे ज्यादा नाम सामने आए हैं। क्षेत्र की 66 में से 22 सीटों पर उम्मीदवार घोषित हो चुके हैं। इसके बाद महाकौशल की 38 में से 21 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित किए गए हैं। इसके अलावा ग्वालियर चंबल की 34 में से 15, भोपाल-नर्मदापुरम की 36 में से सात, विध्य की 30 में से सात और बुंदेलखंड की 26 में से सात सीटों पर अब तक उम्मीदवार घोषित किए गए हैं।
2018 में 73 सीटों पर भाजपा को हार मिली थी
जिन 79 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उनमें से सिर्फ पांच में ही पिछले चुनाव में जीत हासिल हुई थी। इस चुनाव में भाजपा को आगर सीट पर 2,490 वोट से, मैहर सीट पर 2,984 वोट से, झाबुआ सीट पर 10,437 वोट से, नरसिंहपुर सीट पर 14,903 वोट से और सीधी सीट पर 19,986 वोट से जीत मिली थी। इनमें आगर और झाबुआ सीट पार्टी ने उप-चुनावों में गंवा दी थी। जिन 73 सीटों पर भाजपा को हार मिली थी। उनमें से पथरिया सीट पर बसपा की राम बाई जीतीं थीं। अन्य 72 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।
2013 और 2008 में कुछ ऐसे रहे थे नतीजे
2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कुल 79 घोषित उम्मीदवार वाली सीटों में से 49 पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2008 के विधानसभा चुनावों में इन 79 में से 35 सीटों पर भाजपा उम्मीदवार विजयी हुए थे। डबरा, लाहर, पिछोर, भितरवार जैसी सीटों पार्टी को लगातार हार मिल रही है।
भाजपा का 65 सीटों पर हार का अंतर दो हजार और 40 हजार के बीच का रहा था
कुल 74 में से पांच वो सीटें हैं जहां भाजपा पिछले चुनाव में 40 हजार से भी ज्यादा वोटों से हारी थी। ये सीटें कुक्षी, डबरा, राघोगढ़, शाजापुर और श्योपुर हैं। वहीं, तीन ऐसे भी सीटें हैं जहां पार्टी को 2000 से भी कम वोटों से हार झेलनी पड़ी थी। ये सीटें गुन्नौर, राजपुर (एस.टी.) और राजनगर हैं। इसके अलावा 65 सीटों पर हार का अंतर दो हजार और 40 हजार के बीच का था।
परिवार के सदस्यों का टिकट काट मुखिया को उतारा
पहली सूची में नेताओं के परिवार वालों को टिकट दिया गया वहीं दूसरी लिस्ट में भी कुछ ऐसे नाम हैं जिन्हें परिवार के लोगों का टिकट काटकर उतारा गया है। भाजपा ने केंद्रीय मंत्री मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते चुनावी मैदान में उतारा है। कद्दावर आदिवासी नेता फग्गन सिंह कुलस्ते 33 साल बाद विधानसभा चुनाव मैदान में उतरे हैं। फग्गन छह बार के लोकसभा और एक बार के राज्यसभा सांसद हैं। उन्हें निवास सीट से टिकट दिया गया है। इससे पहले निवास सीट से उनके भाई राम प्यारे चुनाव लड़े थे और हार गए थे। 2013 में राम प्यारे को यहां से जीत मिली थी। इसी तरह नरसिंहगढ़ सीट से केंद्रीय मंत्री प्रह्राद पटेल को टिकट दिया गया है। यहां से उनके भाई जालम सिंह पटेल विधायक हैं।
इंदौर-1 से कैलाश विजयवर्गीय को टिकट दिया गया है। उनके बेटे आकाश विजयवर्गीय तीन नंबर विधानसभा क्षेत्र से विधायक है और इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार है, लेकिन पिता का टिकट तय होने के बाद उनकी दावेदारी पर संशय है। पिछली बार विजयवर्गीय ने चुनाव नहीं लड़ा था, इस कारण बेटे आकाश के टिकट की राह आसान हुई थी।
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