कनाडा को करारा जवाब देगा भारत...
भारत के समर्थन में बोले कनाडा के सत्तारूढ़ नेता और जस्टिन ट्रूडो के सहयोगी !
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद से ही भारत और कनाडा में तनाव व्याप्त है। राजनयिक रिश्तों में आए इस तनाव के बीच कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह अनर्गल बयान भारत सरकार के विरोध में दिया है। इस पर वे अपने ही देश और अब अपनी ही सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के विरोध का सामना कर रहे हैं। कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी से सांसद रहे रमेश संघा ने खुलकर भारत का समर्थन किया है और प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो पर राजनीति करने का आरोप लगाया है।
शांति के खिलाफ खतरा पैदा करने वालों के खिलाफ हो कार्रवाई: कनाडाई सांसद
लिबरल पार्टी से सांसद रहे रमेश संघा ने कहा कि ट्रूडो ने शुरू से ही इस मुद्दे (खालिस्तान) का राजनीतिक इस्तेमाल किया है। पूर्व सांसद रमेश संघा ने आगे कहा, पन्नू (खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू) जैसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जो शांति के लिए खतरा हैं। दोनों सरकारों (भारत-कनाडा) से साथ बैठकर समाधान निकालने की अपील करते हैं। साथ ही किसी तीसरे देश से मध्यस्थता की भी अपील करते हैं। ऐसी स्थिति नहीं बननी चाहिए। बता दें कि पन्नू प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का मुखिया का है।
क्यूबेक के मुद्दे पर ये बोले कनाडा के सांसद संघ
रमेश संघा ने क्यूबेक (अलग राष्ट्र की मांग उठ रही) के सवाल पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, वहां पहले ही एक जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें हार हुई थी। इन मुद्दों को नहीं उठाया जाना चाहिए। स्थिति को सुलझाने के लिए दोनों देशों को मिलकर काम करना चाहिए। बता दें कि कनाडा लंबे वक्त से भारत के खिलाफ अलगावाद का समर्थक रहा है। लेकिन, खुद कनाडा का एक बड़ा इलाका इसी तरह के हालात से गुजर रहा है।
कनाडा को करारा जवाब देगा भारत
इसी बीच आज भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर संयुक्त राष्ट्र में भाषण देंगे। इस दौरान वे कनाडा मामले पर करारा जवाब देते हुए भारत का पक्ष रख सकते हैं। उनके वक्तव्य पर दुनिया की नजर है। भारत अभी इंतजार कर रहा है कि कनाडा कानूनी सबूत मुहैया कराए जिसमें वह दावा कर रहा है कि भारत का निज्जर हत्याकांड से संबंध है। वह भी तब जब ट्रूडो की सिख राजनीति उन्हें इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में नहीं जाने देगी। भारत अभी देखेगा कि कनाडा जो भी साक्ष्य देता है, वह कानूनी प्रक्रिया में कहीं टिक पाएगा या नहीं।
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