संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर के मुख्य आतिथ्य में हुआ आयोजन ...
महान कलाकारों की धरती है मध्यप्रदेश : राज्यपाल
ग्वालियर। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय का 16वाँ स्थापना दिवस शनिवार 19 अगस्त को समारोहपूर्वक मनाया गया। स्थापना दिवस समारोह को प्रदेश के राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने वर्चुअल रूप से संबोधित किया। यहाँ संगीत विश्वविद्यालय के सभागार में स्थापना दिवस समारोह का आयोजन प्रदेश की पर्यटन, संस्कृति, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री सुश्री उषा ठाकुर के मुख्य आतिथ्य व सांसद श्री विवेक नारायण शेजवलकर के विशिष्ट आतिथ्य में हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने की।
अपने वर्चुअल संदेश के जरिए राज्यपाल एवं कुलाध्यक्ष श्री मंगुभाई पटेल ने कहा कि अपना प्रदेश महान कलाकारों की धरती है। इस धरती ने ऐसे महान कलाकार दिए हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय पटल पर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने कहा यह विश्वविद्यालय संगीत एवं कला के क्षेत्र में प्रदेश का एकमात्र विश्वविद्यालय है। इसमें युवाओं को संगीत एवं कला की शिक्षा के माध्यम से हमारी संस्कृति से भी परिचित कराया जा रहा है। उन्होंने 16वे स्थापना दिवस पर विद्यार्थियों व आचार्यों को बधाई दी। साथ ही कहा कि आने वाली पीढ़ी को भारतीय परंपरा और संस्कृति के बारे में बार-बार बताते रहें, ताकि नई पीढ़ी हमारी गौरवशाली परंपरा से परिचित होकर योग्य नागरिक बन सके। इस अवसर पर उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. के. रत्नम, साधारण परिषद के सदस्य श्री अतुल अधोलिया, श्री चंद्रप्रताप सिकरवार और अनीता करकरे विशेष तौर पर मौजूद रहे। विवि की ओर से वित्त नियंत्रक श्री दिनेश पाठक व सांस्कृतिक समिति की अध्यक्ष प्रो. रंजना टोणपे सहित कर्मचारीगण और छात्रगण मौजूद रहे।
संस्कृति मंत्री सुश्री उषा ठाकुर ने स्थापना दिवस समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए कहा कि कला मनुष्य को संवेदनशील बनाती है। साथ ही हमारे सर्वांगीर्ण विकास में योगदान देती है। राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय इसी भाव के साथ भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने इस अवसर पर भरोसा दिलाया कि ग्वालियर के संगीत एवं कला विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने में सरकार हर संभव सहयोग देगी। उन्होंने कहा जल्द ही अधोसंरचनागत कार्य और पदों की स्वीकृति सहित विश्वविद्यालय की सभी मांगें पूरी की जायेंगीं। इनकी स्वीकृति की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
अपने घर की बैठक में क्रांतिवीरों के चित्र लगाएँ
सुश्री उषा ठाकुर ने इस अवसर आह्वान किया सभी संकल्प लें कि अपने घरों में देश की आजादी के नायकों के चित्र लगाएंगे, ताकि आने वाली पीढ़ी क्रांतिवीरों के बारे में जान सके। साथ ही उनके भीतर राष्ट्रभक्ति की भावना मजबूत हो सके। नई शिक्षा नीति में हम अपने गौरवशाली इतिहास और संस्कृति को पढेंगे, जिससे आने वाली पीढ़ी उसके माध्यम से हमारे महान क्रांतिकारियों के बारे में जान सके। हमारे देश में संगीत के माध्यम से ईश्वर की आराधना की जाती है वहीं नाट्यशास्त्र को पांचवा वेद कहा गया है। इस अवसर पर उन्होंने यह भी कहा कि अनुकूल परिस्थितियों में तो सभी कार्य कर लेते हैं, लेकिन व्यक्ति की असली पहचान तब होती है, जब वह विपरीत परिस्थितियों में कार्य करता है।
सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने कहा कि ग्वालियर को संगीत की धरती कहा जाता है। ग्वालियर ने विश्व को तानसेन व बैजू बावरा जैसे बड़े-बड़े संगीतज्ञ दिए हैं। उन्होंने कहा खुशी की बात है कि मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में 19 अगस्त के दिन ग्वालियर को राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय और राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय की सौगात दी थी। इस तरह ग्वालियर ऐसा शहर है जिसे एक दिन में दो विश्वविद्यालयों की सौगात मिली थी। उन्होंने इस अवसर पर भरोसा दिलाया कि वे संगीत विश्वविद्यालय के विकास में हर संभव सहयोग देने के लिये सदैव तत्पर हैं।
कुलपति प्रो. साहित्य कुमार नाहर ने कहा कि संगीत और कला हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। बच्चों को शुरूआत से ही संगीत और कला की शिक्षा देनी चाहिए ताकि जब पौधा बड़ा होकर वृक्ष बने तो उसमे हमारी संस्कृति की झलक दिख सके। इस दौरान उन्होंने स्वरचित रचना की मंच से कही, जिसके बोल थे आओ नमन करें...। उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक डॉ. के. रत्नम ने कहा कि वैश्विक पटल पर भारत ही ऐसा देश है जिसके शास्त्रों में संगीत का वर्णन है। किसी भी घटना के संबंध में टाइम फैक्टर बहुत महत्वपूर्ण है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हमारे देश की संस्कृति और इतिहास की वास्तविकता पढने को मिलेगी, जो आने वाली पीढ़ी के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. राकेश कुशवाह ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन पढ़कर सुनाया। आरंभ में अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने संगीतमय सरस्वती वंदना और विश्वविद्यालय का कुलगीत प्रस्तुत किया। पिछले 14 अगस्त से स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में जारी विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेता विद्यार्थियों को इस अवसर पर पुरस्कृत किया गया। साथ ही विश्वविद्यालय के उत्कृष्ट कर्मचारियों को भी सम्मानित किया गया। स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में विश्वविद्यालय में चित्रकला व मूर्तिकला विभाग के छात्रों ने एक आकर्षक प्रदर्शनी भी परिसर में लगाई। कार्यक्रम का संचालन नाट्य एवं रंगमंच विभागाध्यक्ष डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया।
स्थापना दिवस समरोह में दिल्ली से पधारे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बांसुरी वादक पं. चेतन जोशी के बाँसुरी वादन ने समा बांध दिया। राष्ट्रपति द्वारा केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित पं. जोशी ने इस अवसर पर कहा कि संगीत को समझने की नहीं वरन उसे अनुभव करने की जरूरत है। उन्होने अपने बांसुरी वादन का प्रारंभ राग मधु मल्हार में आलाप जोड़ तथा झाला से किया।
इसमें उन्होंने अति मंद्र सप्तक बजाने का भी अद्वितीय प्रयोग किया, जिसके लिए उनका नाम कई शोध प्रबंधो में भी आया है। इसके बाद उन्होने विलंबित रूपक ताल में एक गत सुनाई, जिसमें विभिन्न प्रकार की लयकारियों का अद्भुत समावेश सुनने को मिला। मध्य लय की बंदिश प्रणव घन छाए ... बजाने से पहले उन्होने उसे गाकर भी सुनाया। श्रोताओं की फरमाइश पर अंत में पं जोशी ने एक परंपरागत कजरी कचैड़ी गली सून कइले... की भी प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर डॉ. मनीष करवड़े ने सधी हुई संगत की।
0 Comments