आपके प्रयास से हम कतई संतुष्ट नहीं है...
नगर निगम स्वर्ण रेखा में सीवर का पानी जाने से रोकें : हाईकोर्ट
ग्वालियर। स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने के मामले में निगम की प्लानिंग पर हाई कोर्ट से अप्रसन्नता जाहिर की है। जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस दीपक कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने कहा -आपने जो कहा है कि नाले के दोनों तरफ समानांतर लाइन डालेंगे और उसमें सीवर का पानी बहाया जाएगा और नदी में साफ पानी बहेगा। ऐसी बात मत करिए, जिससे लगे कि चमन बरस रहा है। आपके प्रयास से हम कतई संतुष्ट नहीं है। आप जो प्लान बता रहे हैं, उसे पूरा होने में 3 से 4 साल लग जाएंगे। हमें एक्शन चाहिए। हाई कोर्ट ने नगर निगम को निर्देश दिया कि वे नदी में नालों व सीवर का पानी आने और कचरा डलने पर रोक लगाएं। साथ ही वीरपुर और हनुमान बांध क्षेत्र से अतिक्रमण हटाएं। मामले की अगली सुनवाई पांच सितंबर को होगी। यहां बता दें कि एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने जनहित याचिका दायर करते हुए स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान निगम, वन विभाग, स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। अगली सुनवाई पर निगमायुक्त हर्ष सिंह को उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है।
नमामि गंगे प्रोजेक्ट से मिल सकती है राशि
सुनवाई के दौरान ये बात भी सामने आई कि यदि नगर निगम नदी को पुनर्जीवित करने के संबंध में प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करे तो केंद्र के नमामि गंगे प्रोजेक्ट के अंतर्गत राशि दिलाई जा सकती है। इसके अलावा कोर्ट को ये भी बताया गया कि सेंट्रल वाटर कमीशन भी नदी को पुनर्जीवित करने के संबंध में प्रयासरत है।
मैनिट ने तैयार किये प्लान को माने तो बारिश में नहीं होगी परेशानी !
एडवोकेट अवधेश तोमर की ओर से आवेदन देते हुए बताया गया कि निगम 18 करोड़ खर्च कर सीवर लाइन डाल रहा है, जो स्वर्ण रेखा नदी में जाकर मिलेगी। ऐसे में एक तरफ कोर्ट साफ पानी बहाने के लिए प्रयासरत है। वहीं दूसरी ओर निगम गंदा, प्रदूषित पानी नदी में डालने की तैयारी में है। निगम के एडवोकेट दीपक खोत ने इसका विरोध करते हुए कहा कि चेतकपुरी, माधवनगर, बसंत विहार, महलगांव के क्षेत्र में स्टेट काल से अंडरग्राउंड सीवर लाइन है, जिससे शहर के बाहरी क्षेत्रों से आने वाला बारिश का पानी स्वर्ण रेखा नदी में जाता है। रानीपुरा क्षेत्र में पानी के समय बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के चलते स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट कमेटी ने निर्णय लिया कि पाइपलाइन के माध्यम से पानी को स्वर्ण रेखा नदी में लाया जाए। इसका प्लान मैनिट, भोपाल ने तैयार किया है। इस पाइपलाइन में सीवर का नहीं बल्कि बारिश का पानी बहकर स्वर्ण रेखा नदी में पहुंचेगा। इसलिए इसका नाम स्टोर्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम दिया गया है।
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