G News 24 :प्लास्टिक से कम जहरीला नहीं है कागज का कप

नए रिसर्च के अनुसार बायोप्लास्टिक में पारंपरिक प्लास्टिक जितने ही रसायन होते हैं. ..

प्लास्टिक से कम जहरीला नहीं है कागज का कप

पृथ्वी को प्रदूषण से बचाने के लिए कई तरह के कार्यक्रम चलते रहते हैं. प्लास्टिक की जगह पेपर के भी यूज की बातें होती रहती हैं. लेकिन इसके बारे में नए अध्ययन सामने एते रहते हैं. इसी कड़ी में एक अध्ययन सामने आया जिसमें बताया गया कि जहरीले रसायनों से बचने के लिए पेपर कप प्लास्टिक कप का कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि पेपर कप फेंके जाने के बाद प्रकृति में पहुंचने पर जीवित जीवों को भी नुकसान पहुंचा सकती है. पृथ्वी के सभी हिस्सों और सभी जीवित चीजों को प्रदूषित करने वाले प्लास्टिक प्रदूषण की रिपोर्ट ने वैकल्पिक सामग्रियों की ओर बदलाव को तेज कर दिया है.इसका मतलब यह हुआ कि पेपर कप प्लास्टिक कप की तरह ही जहरीले होते हैं 

आजकल होटलों पर चाय पिलाने के लिए डिस्पोजेबल पेपर कप का अधिक इस्तेमाल हो रहा है। ताजा खबर यह है कि ये डिस्पोजेबल पेपर कप सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), खड़गपुर ने अपने अध्ययन में पाया है कि डिस्पोजेबल पेपर कप चाय पीने के लिए सुरक्षित नहीं हैं। ऐसे कप में 3 बार चाय पीने वाला व्यक्ति 75000 माइक्रो प्लास्टिक कण शरीर में चले जाते हैं। यह प्लास्टिक कण कैंसर समेत कई घातक बीमारियों का कारण बन सकते हैं।अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, जब ऐसे कप में गर्म चाय परोसी जाती है तो उसमें शामिल माइक्रो प्लास्टिक और अन्य खतरनाक घटक चाय में घुल जाते हैं। बता दें, बाजार में बिक रहे अधिकांश डिस्पोजेबल पेपर कप हाईड्रोफोबिक फिल्म की एक पतली परत से बने होते हैं, जो ज्यादातर प्लास्टिक से बने होते हैं।

1. हॉट अल्ट्रप्रचर पानी (85-90 डिग्री सेंल्सियस) को डिस्पोजेबल पेपर कप में डाला गया और इसे 15 मिनट तक रहने दिया गया।

2. कागज के कपों को शुरू में गुनगुने पानी (30-40 डिग्री सेल्सियस) में मिलाया गया। इसके बाद हाईड्रोफोबिक फिल्म को सावधानीपूर्वक कप की परत से अलग किया गया और 15 मिनट के लिए गर्म पानी (85-90 डिग्री सेल्सियस) के संपर्क में लाया गया। सलाह दी जाती है कि इनके स्थान पर चीनी के कप या कुल्हड़ का इस्तेमाल किया जा सकता है।

अध्ययन में यह दिखाया

दरअसल, स्वीडन में गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने तितली मच्छर के लार्वा पर विभिन्न सामग्रियों से बने डिस्पोजेबल कप के प्रभाव का परीक्षण करते हुए एक अध्ययन में यह दिखाया है. गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर बेथानी कार्नी अल्मरोथ ने कहा कि हमने कुछ सप्‍ताह के लिए कागज के कप और प्लास्टिक के कप को गीली तलछट और पानी में छोड़ दिया और देखा कि उनसे निकलने वाले रसायनों ने लार्वा को कैसे प्रभावित किया. सभी मगों ने लार्वा के विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाला है. 

खाद्य पैकेजिंग सामग्री

बताया गया कि खाद्य पैकेजिंग सामग्री में उपयोग किए जाने वाले कागज की सतह पर प्‍लास्टिक की कोटिंग चढ़ाई जाती है. यह प्लास्टिक कागज को कॉफी से बचाता है. आजकल प्लास्टिक फिल्म अक्सर पॉलीलैक्टाइड, पीएलए से बनी होती है जो एक प्रकार का बायोप्लास्टिक है. बायोप्लास्टिक्स का उत्पादन जीवाश्म ईंधन की बजाय नवीकरणीय संसाधनों (पीएलए का उत्पादन आमतौर पर मक्का, कसावा या गन्ने से होता है) से किया जाता है, जैसा कि बाजार में 99 प्रतिशत प्लास्टिक के मामले में होता है.

प्लास्टिक जितने ही रसायन

पर्यावरण प्रदूषण जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, पीएलए को अक्सर बायोडिग्रेडेबल माना जाता है, जिसका अर्थ है कि यह सही परिस्थितियों में तेल आधारित प्लास्टिक की तुलना में तेजी से टूट सकता है, लेकिन फिर भी यह जहरीला हो सकता है. बायोप्लास्टिक जब पर्यावरण में, पानी में पहुँचते हैं तो प्रभावी ढंग से नहीं टूटते हैं. अल्मरोथ ने कहा कि ऐसा जोखिम हो सकता है कि प्लास्टिक प्रकृति में बना रहे और परिणामी माइक्रोप्लास्टिक्स सामान्‍य प्‍लास्टिक की तरह ही जानवरों और मनुष्यों की आहार श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है. बायोप्लास्टिक में पारंपरिक प्लास्टिक जितने ही रसायन होते हैं. 

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