G News 24 :व्यवस्थाओ को दुरुस्त करने एवं कर्मचारियों के उत्पीड़न पर रोक लगाने की पूर्व सूचना सचिव ने उठाई मांग

 श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास में सबकुछ ठीक नहीं है का लगाया आरोप !

व्यवस्थाओ को दुरुस्त करने एवं कर्मचारियों के उत्पीड़न पर रोक लगाने की पूर्व सूचना सचिव ने उठाई मांग 

ग्वालियर। ग्वालियर के सर्वाधिक प्राचीन एवं लाखों भक्तों की श्रद्धा एवं आस्था के केंद्र श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है। प्रशासन द्वारा यहां बार-बार न्यास के उत्तरदायी अधिकारियों व प्रबंधन को बदला जा रहा है, प्रत्येक नया अधिकारी या प्रबंधक अपने हिसाब से नए प्रयोग कर रहा है, ऐसा करते वक्त न तो इस ऐतिहासिक मंदिर के युगीन महत्व को ध्यान रखा जा रहा है और न ही मंदिर विधान के नियम प्रावधानों का पालन किया जा रहा है। अब तो यहां श्रद्धालुओं का पूजा-अनुष्ठान करना व बाल भोग, भंडारे कराना भी महंगा हो गया है। भक्तों पर जजिया कर थोपे जा रहे हैं। मंदिर में वर्षों पुराने कर्मचारियों को उत्पीड़ित किया जा रहा है। नई भर्ती का शिगूफा छेड़कर छंटनी की जाने लगी है। 

यह कहना है श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास के आजीवन सदस्य एवं न्यास के पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया का। भदकारिया ने इस पूरी असहज व चिंताजनक स्थिति से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, संभागायुक्त दीपक सिंह, कलेक्टर अक्षय कुमार सिंह, न्यायमूर्ति श्री निशीथ मोदी का ध्यान आकर्षित कराया है। उन्होंने श्री अचलेश्वर मन्दिर की पटरी से उतरी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए तत्काल कठोर कदम उठाने का आग्रह किया है। पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया ने इस प्राचीन मन्दिर के परिसर में उत्पन्न हुई अव्यवस्थाओं, कर्मचारियों से दुर्व्यवहार एवं भोग भंडारा शुल्क में वृद्धि पर तीखा रोष व्यक्त किया है। उन्होंने द्रवित ह्दय से कहा कि मन्दिर के सदियों पुराने गौरवशाली इतिहास में ऐसी विषम परिस्थितियां कभी निर्मित नहीं हुई हैं। दुःखी होकर अचलेश्वर महादेव के कई भक्तों ने मन्दिर आना ही छोड़ दिया है और अब वे घर पर ही बाबा की पूजा अर्चना कर रहे हैं। 

श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास के आजीवन सदस्य एवं न्यास के पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया ने भक्तों पर थोपे गए जजिया कर गिनाते हुए बताया कि बाल भोग के लिए पहले 500  रुपये की रसीद कटती थी, दो जज आए, उन्होंने 600  रुपए कर दी और अब एन के मोदी ने इसे और अधिक बढ़ाते हुए 700  रुपये कर दिया है। इसी तरह मन्दिर में भंडारा कराने के लिए पहले 3100  रुपये लगते थे, अब इसे 5100  रुपये कर दिया गया है। भंडारे का शुल्क तो बढ़ा दिया गया लेकिन सामग्री की क्वांटिटी कम करते हुए तीस किलो आटे से घटाकर बीस किलो कर दिया गया है।

 मन्दिर न्यास में उत्पन्न अव्यवस्थाओं व अनिश्चितता की स्थिति के कारण ही मन्दिर के जीर्णोद्धार व पुनर्निर्माण का कार्य वर्षों बाद भी पूर्ण नहीं हो पा रहा है। मन्दिर प्रबन्धन का ठेकेदार से सामंजस्य ही नहीं है। मन्दिर के जीर्णोद्धार व पुनर्निर्माण कार्य में जो भी आर्थिक या अन्य व्यवधान हैं, उन्हें अतिशीघ्र दूर किया जाना चाहिए ताकि मन्दिर का निर्माण कार्य अतिशीघ्र पूर्ण हो सके ताकि मन्दिर परिसर को भव्यता का स्वरूप मिल सके एवं यहाँ प्रतिदिन आने वाले भक्तों को भी पूजा अर्चना एवं अभिषेक इत्यादि कार्य में किसी प्रकार का व्यवधान न हो। 

 श्री अचलेश्वर बाबा के भक्तों ने कहा कि मन्दिर के पुनर्निर्माण में जो नवीन भौगोलिक संरचना बन रही है, उसे अंतिम स्वरूप देते समय श्र्द्धालुओं की सुविधा व सहूलियत को दृष्टिगत व प्रथम वरीयता देना आवश्यक है। यहां जो आधार स्तंभ लग रहे हैं, आधार तल पर उनकी चौङाई साढ़े तीन फुट हो गई थी, जिससे भक्तों के बैठने लिए जगह कम बच रही थी, भक्तों के दवाब बनाने पर इन स्तंभों की चौङाई को घटाकर पौने दो फुट कर दिया गया है। हालांकि कमी अभी भी रह गई है। इन स्तंभों को कटिंग कर गोलाकार स्वरूप दिया जाना चाहिए ताकि दर्शनार्थियों को मन्दिर परिसर में अधिकाधिक स्थान मिल सके। हालांकि मन्दिर परिसर में साफ सफाई की व्यवस्था अभी ठीक है लेकिन इस दिशा में और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। 

 पत्र के आखिर में श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास के आजीवन सदस्य एवं न्यास के पूर्व सूचना सचिव महेन्द्र भदकारिया ने आग्रह किया है कि श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर न्यास अपनी कार्यप्रणाली को सुधारते हुए इसे निष्पक्ष, सकारात्मक, श्र्द्धालुओं के प्रति हितैषी का स्वरूप दे एवं मन्दिर के पुराने कर्मचारियों, पुजारियों के प्रति पूर्वाग्रह व दुराग्रह न रखते हुए सभी के प्रति समान व्यवहार रखें ताकि श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर परिसर का गौरवशाली वैभव बना रहे। उन्होंने मांग की कि मन्दिर में भोग एवं भंडारे का शुल्क कम करते हुए पूर्ववत किया जाए, भक्तों पर थोपा गया जजिया कर वापस लिया जाए, नई भर्ती का स्वागत है लेकिन कई वर्षों से बाबा की सेवा में जुटे पुजारियों व कर्मचारियों की अनावश्यक छंटनी नहीं की जाए। आर्थिक एवम सामाजिक समरसता न्याय पूर्वक कार्य किया जाए।


Reactions

Post a Comment

0 Comments