हर बड़े चौराहे पर पुलिस और प्रशासन के कैमरे फिर भी कार्यवाही नहीं,बढ़ता ही जा रहा है इनका आतंक !
ग्वालियर भिखारियों और अवैध फेरी वालों की गिरफ़्त में,एकदम से से बढ़ गई है इनकी तादात
ग्वालियर। पड़ाव,फूलबाग और गोला का मंदिर आदि चौराहों पर ऐसा लगता है की इन पर सर और सिर्फ भिखारियों का ही कब्जा है। जिसमे महिलाओं के साथ -साथ छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल हैं दिनभर पड़ाव चौराहे पर वाहन चालकों को परेशान करते रहे। दिनों-दिन इनकी बढ़ती तादात पर कोई अंकुश नहीं लगा प् रहा है ! क्या ये स्मार्ट सिटी और नगर निगम के कैमरे नहीं देख पा रहे हैं,पुलिस आखिर इन्हें चौराहों पर से क्यों नहीं खदेड़ रही है। कहीं ऐसा तो नहीं है ये पुलिस को भी कुछ दान-दक्षिणा चढ़ाते है। इसलिए इनको यूं वाहन चालकों को परेशान करने के लिए छोड़ दिया गया है। ये भिखारी जैसे ही कोई वाहन रुकता है चालक या वाहन में बैठे व्यक्ति से पैसे की मांग करते हैं चालक या सवारी द्वारा इनको अनदेखा करने पर ये हाथ पकड़कर या कपडे खींच कर उस से पैसा मांगते है। इनमें सबसे ज्यादा यंग महिलाओं की है जिनमें से अधिकतर की गोदी में कोई बच्चा होता है या फिर कोई प्रग्नेंट महिला होतीं है। इसलिए शायद इन्हें कोई कुछ कहता भी नहीं है और 5 -10 देकर इनसे पीछा छुड़ा कर चलता बनता है.
यही हाल अवैध फेरीवालों ने कर रखा है सुबह सोकर नहीं उठ पाते हैं की ये सुबह से माइक पर चिल्लाने लगते है कोई कबाड़ खरीदने,कोई बाल,पुराने मोबाइल खरीदने और चावल-ज्वार, गेंहूं खरीदने और बच्चों के कपड़े,चादर बेचने, गैस- कूकर रिपेयरिंग, चैन रिपेयरिंग आदि के बहाने गली-मोहल्लों,कॉलोनियों में अल सुबह से घूमना शुरू क्र देते है। इन पर लगातार निगरानी करने के बाद पता चला कि इनमें से अधिकतर रोजना ही चक्कर लगाते है। यहां गौर करने वाली बात ये है कि किसी क्षेत्र में रोज-रोज आखिर इनके चक्कर लगाने का राज क्या है ! क्यों कि अगर धंधे के पर्पज से देखें तो साफ जाहिर है रोजना एक ही धंधे के लिए ग्राहक तो मिलना संभव नहीं है फिर इनका यूं चक्कर लगाने का मोटिव क्या हो सकता है।
फुटपाथ पर ड्राय फ्रूट बेचने वाले लोग भी संदिग्ध लगते है आखिर कौन लोग है ये कहां से आये है क्या शासन और पुलिस प्रशासन को इनके बारे में जानकारी नहीं जुटाना चाहिए। भिखारियों और अवैध फेरीवालों की खबरें प्रकाशित होने के बाद भी जिला, निगम, पुलिस प्रशासन भी ध्यान नहीं दे रहा है। क्या ये सभी विभाग किसी अनहोनी या बड़ी घटना का इंतज़ार कर रहे है। जिसके बाद ही इनकी नींद टूटेगी। आख़िरकार ये किसकी परमिशन से मेला ग्राउंड में जमे हुए है। जहां इनकी झुग्गियों की अच्छी-खासी तादात है।
इन्हें यहां से हटाया क्यों नहीं जा रहा है। इनसे प्रशासन को आखिर इतना लगाव क्यों है ? क्यों स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कारपोरेशन के कैमरे पुलिस जिम्मेदार अधिकारी इनको देख पा रहे है, जरा जरा से बात पर हमारा हाई कोर्ट स्वत संज्ञान लेकर शासन-प्रशासन को आदेशित करता है तो फिर इनके खिलाफ क्यों मोन है। उन्हें पड़ाव,फूलबाग और गोला का मंदिर आदि चौराहों पर भिखारियों का कब्जा दिखाई नहीं दे रहा है !
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