हिजाब न पहनना अब महिलाओं को पड़ेगा भारी...
हिजाबनहीं पहना तो भुगतनी होगी 10 साल की जेल और 360 मिलियन का जुर्माना
हिजाब को लेकर महसा अमिनी की मौत के बाद हुए देश व्यापी प्रदर्शनों का ईरान की कट्टरपंथी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है. अब वह हिजाब पर एक नया विधेयक तैयार कर रही है. एक्सपर्टों को डर है कि इसमें अभूतपूर्व रूप से कठोर दंडात्मक उपाय किए जाएंगे. मीडिआ रिपोर्ट के अनुसार ईरान के अधिकारियों ने हिजाब पर अनुच्छेद- 70 का ड्राफ्ट तैयार किया है. इस ड्राफ्ट में हिजाब न पहनने पर महिलाओं को जेल की लंबी सजा और नियमों का उल्लंघन करने वाले मशहूर हस्तियों व कारोबारियों के कठोर दंड की व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही ड्रेस कोड का पालन न करने वाली महिलाओं की पहचान के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल की बात कही गई है.
रिपोर्ट के अनुसार यह विधेयक ईरानी संसद में अभी पास नहीं हुआ है. इसके बावजूद इसके जरिए ईरानियों को स्पष्ट रूप से चेतावनी दे दी गई है कि पिछले साल हुए भारी विरोध के बावजूद सरकार हिजाब पर अपने रुख से पीछे नहीं हटेगी. इस विधेयक को इस साल की शुरुआत में ईरानी न्यायपालिका ने ड्राफ्ट करके विचार के लिए सरकार के पास भेजा था. इसके बाद उस ड्राफ्ट को कानूनी- न्यायिक आयोग में भेजा गया. सरकारी न्यूज एजेंसी ने बताया कि इस विधेयक को संसद के पटल पर पेश करने से पहले रविवार को गवर्नर्स बोर्ड में पेश किया जाएगा. इसके बाद अगले 2 महीने में ईरानी सांसद इस विधेयक को मंजूरी देने के लिए मतदान करेगी.
महसा अमीनी की मौत से शुरू था बवाल
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार,पिछले साल 22 वर्षीय कुर्द-ईरानी महिला अमिनी को ईरान की मोरल पुलिस ने अपनी हिरासत में ले लिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने हिजाब को ढंग से नहीं पहना था. इसके बाद पुलिस हिरासत में उनकी जबरदस्त पिटाई की गई, जिससे उनकी मौत हो गई. इस घटना के बाद देशभर में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गए. लोगों के गुस्से को देखते हुए मोरल पुलिस ने अपने कदम पीछे लिए और महिलाओं की पकड़ाधकड़ी बंद कर दी. हालांकि अब अगस्त की शुरुआत में पुलिस प्रवक्ता जनरल सईद मोंटाज़ेरोलमहदी ने कहा कि मोरल पुलिस पुलिस सार्वजनिक रूप से इस्लामी हेडस्कार्फ़ के बिना पकड़ी जाने वाली महिलाओं को चिह्नित करना और उन्हें हिरासत में लेने का काम फिर से शुरू करेगी.
ईरान में लंबे समय से विवाद का मुद्दा
ईरान में हिजाब लंबे समय से विवाद का मुद्दा रहा है. 1936 में नेता रेजा शाह के महिलाओं की मुक्ति के दौरान हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. हालांकि उनके उत्तराधिकारी ने 1941 में प्रतिबंध हटा लिया. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, 1979 की इस्लामी क्रांति में आखिरी शाह को उखाड़ फेंकने के बाद ईरान में 1983 में हिजाब अनिवार्य कर दिया गया था.
अब इतने साल तक हो सकेगी सजा
ईरान पारंपरिक रूप से अपने इस्लामी दंड संहिता के अनुच्छेद 368 को हिजाब कानून मानता है, जिसमें कहा गया है कि ड्रेस कोड का उल्लंघन करने वालों को 10 दिन से लेकर दो महीने तक की जेल या 50,000 से 500,000 ईरानी रियाल के बीच जुर्माना हो सकता है. अब नए विधेयक में हिजाब का उल्लंघन करने पर 5 से 10 साल की जेल की सजा के साथ-साथ 360 मिलियन ईरानी रियाल (8,508 अमेरिकी डॉलर) तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
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