G.NEWS 24 : शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय नागरिक बनाना : कुलपति

जीवाजी विश्वविद्यालय में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न...

शिक्षा नीति का मूल उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय नागरिक बनाना : कुलपति

ग्वालियर। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत शैक्षणिक स्वायत्तता प्रावधान एवं संभावना विषय पर जीवाजी विश्वविद्यालय के गालव सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिवस पर समापन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि प्रो. एस के जैन कुलपति बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल ने कहा शिक्षा नीति का मूल्य उद्देश्य उच्च गुणवत्ता वाले भारतीय नागरिक बनाना है, हम उस देश के लोग हैं जिसकी माटी चंदन के समान है। हमें अपनी परंपराओं संस्कृति पर गर्व होना चाहिए यदि 135 करोड़ लोग ठान लें तो एक सौ 135 करोड़ अच्छी बातें हो जाएंगे। भारत देश में सीखों की लंबी श्रंखला है बस आप में सीखने की चाहत होनी चाहिए। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने कहा कि कक्षाओं में छात्रों की संख्या बढ़ाने को लेकर शिक्षकों को परामर्श दिए और कहा हमें मैं और मेरे की भावना को त्याग कर हम और हमारे की भावना पर चलना होगा तभी हम जल्दी सफल हो सकते हैं, शिक्षक को अपना लक्ष्य निर्धारित करते रहना चाहिए और वह अपनी पद्धति में क्या नयापन ला सकता है इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहना चाहिए। 

मुख्य वक्ता शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के क्षेत्रीय संयोजक जगराम जी ने अपने वक्तव्य में कहा यह कार्यक्रम का समापन है गोष्ठी तो चलती रहेगी गोष्ठी चिंतन की एक सतत प्रक्रिया है यदि शिक्षा पाकर करुणा और दयालुता का भाव नहीं आया तो शिक्षा किस काम की शिक्षा का कार्य है सोई हुई चेतना को जगाना पटना के खान सर 19 मिलीयन लोगों को पढ़ाते हैं शिक्षा उद्देश्यों की पूर्ति का मार्ग है प्रत्येक शिक्षक प्रत्येक माता-पिता का धर्म बनता है बच्चे को चरित्रवान संस्कारवान बनाना पहले भारत की शिक्षा धर्म से शुरू होती थी और मोक्ष पर खत्म आज अर्थ से शुरू होती है और धर्म तक पहुंच ही नहीं रही। रामचरित मानस मर्मज्ञ उमाशंकर पचौरी जी ने शिक्षा में भाषा की मेहता को बताते हुए कहा भाषा व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है भारतीय गिनती ऋषि मुनियों की शोध थी जिसके आधार पर व्यक्ति का जीवन चलता है। और अंत में शोधार्थियों को उनके शोध पत्र के लिए प्रमाण पत्र बांटे गए। 

कार्यक्रम मैं प्रतिवेदन प्रस्तुतीकरण प्रो.हेमंत शर्मा द्वारा किया गया ,संचालन प्रो. कल्पना कुशवाह, बासुंदी शर्मा ने किया और आभार व्यक्त प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह भदौरिया ने किया। प्रथम सत्र में मुख्य अतिथि प्रो. अखिलेश पांडे कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन ने कहा की भारत को विकसित करने के लिए पांच चीजों पर हमें विशेष ध्यान देना चाहिए अपनी विरासत पर गर्व करना गुलामी से आजादी अपने अधिकारों की पहचान एकता और अखंडता का संकल्प संस्कृति व समय के साथ तकनीक मैं आगे बढऩा इसी क्रम में मुख्य वक्ता प्रो पी. के. सिरोडिया ने कहा हमने पाश्चात्य के प्रभाव में अपने आदर्शों को भुला दिया है। आज हम फादर ऑफ इकोनॉमिक्स एडम स्मिथ को याद रखते हैं बल्कि इससे कई वर्षों पूर्व हमारे चाणक्य ने अर्थशास्त्र जैसे महान ग्रंथ को रच दिया जिसका कोई तोड़ नहीं है डॉ मंजू शर्मा ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति बहुआयामी नीति है। शोध पत्र ऐसे होने चाहिए जो गागर में सागर भरने जैसा हो प्रथम सत्र में मुख्य अतिथियों का स्वागत प्रो हेमंत शर्मा, प्रो.अशोक चौहान, प्रो. बासुंदी शर्मा ने किया तथा संचालन डॉ कल्पना कुशवाह ने किया।

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