चुनावों के दौरान हिंसा मारपीट बूथ कैपचरिंग जैसी तमाम परेशानियों से निपटने में शासन को मिलेगी राहत ...
हिंसा मुक्त डिजिटली चुनावी प्रक्रिया ही देश की ज़रूरत !!!
हमारा देश भारत इतना बड़ा है कि इसके किसी न किसी राज्य या प्रांत में हर साल 2 साल में कभी लोकसभा, विधानसभा,नगर निगम या पंचायत के चुनाव अथवा उपचुनाव होते ही रहते हैं l यह चुनावी प्रक्रिया अत्याधिक खर्चीली और शासन प्रशासन के लिए एक प्रकार का सिर दर्द ही है क्योंकि इससे ना सिर्फ देश का पैसा बर्बाद होता है बल्कि देश, प्रदेश और प्रांतों में किसी न किसी स्थान पर चुनावों के दौरान हिंसा मारपीट बूथ कैपचरिंग जैसी तमाम परेशानियों से निपटने में शासन का पसीना छूट जाता है l इसमें खासकर पूर्वी व पशिचमी राज्य शामिल है l इसमें कोलकाता सबसे पहले नंबर पर आता है l इस हिंसा की जद में आम जनता भी आती है जिसका इस प्रकार की घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं होता है l यही कारण है कि लोगों में चुनावों के प्रति उदासीनता बढ़ती जा रही है l इसकी वजह से दिनोंदिन चुनावों के दौरान मतदान का प्रतिशत गिरता जा रहा है l
सोचने वाली बात है डिजिटल इंडिया बनने जा रहे हैं और अधिकतर काम डिजिटल रूप में मोबाइल या कंप्यूटर के किए जा रहे हैं तोवोटिंग प्रक्रिया को डिजिटली क्यों नहीं किया जा रहा है ? यदि वोटिंग प्रक्रिया को डिजिटल कर दिया जाता है तो ना सिरफ देश का करोड़ों रुपया बचेगा बल्कि चुनाव के दौरान देश जिस प्रकार की हिंसा,आगजनी और अराजकता का सामना करता है l इस दौरान तमाम लोगों की जानें चली जाती हैं l देश की संपत्ति को नुकसान होता है l इन सब रोक लगेगी, साथ ही चुनाव प्रक्रिया के डिजिटल हो जाने से मतदाता को अपना अपने मत के अधिकार का उपयोग करने में आसानी होगी l वह बिना किसी की नजरों में आए l मतदाता अपने घर से या कहीं से भी अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट देकर उसका चयन कर सकेगा और विरोधी उम्मीदवारों को इसकी भनक तक नहीं लगेगी l जो मोबाइल का उपयोग नहीं करते वे अपने किसी परिजन दोस्त या सहयोगी के मोबाइल से या ऑनलाइन अपना मत दे सकते है l जो बिल्कुल भी डिजिटल गेजेट्स के बारे में नहीं जानते है वे गुप्त रूप से डाक (पोस्ट) द्वारा अपने मत का उपयोग घर से कर सकें l
इस प्रक्रिया को अपनाने से ये फायदा होगा कि किसने किसको वोट दिया है ये एक दम गुप्त रहेगा l इस प्रक्रया से जब चुनाव संपन्न होंगे तो चुनावों के बाद जिस प्रकार के भेदभाव का सामना अभी जीते हुए उम्मीदवार के द्वारा वोटर्स के साथ किया जाता है उस पर अंकुश लग जायेगा l क्योंकि अभी जो चुनावी प्रक्रिया है उसमे प्रत्याशी के द्वारा ये पता लगा लिया जाता है कि उसे किस क्षेत्र से वोट नहीं मिले थे l उसी क्षेत्र के मतदाता के साथ भेदभाव किया जाता है l लेकिन मतदान जब डिजिटल रूप में होगा तो इसकी जानकारी सिर्फ और सिर्फ चुनाव संपन्न कराने वाली एजेंसी को ही होगी कि किस उम्मीदवार को कितने प्रतिशत वोट खान से मिले हैं l इसके आलावा फ़ेक वोटर्स पर भी अंकुश लग जायेगा l
चुनाव आयोग और केंद्र सरकार निश्चय कर निर्णय ले लें तो वर्तमान समय में अधिकतर मतदाता का आधार कार्ड और वोटर कार्ड पहले से ही आपस में लिंक्ड है और जिनका नहीं है उन्हें एक निश्चित समय देकर एक सूचना जारी कर लिंक कराने का आदेश जारी कर दे l जिस से आगमी चुनावी प्रक्रिया डिजिटली रूप में अपनाई जा सके l जो लोग वोटर कार्ड धारक हैं तो उनका आधार भी कहीं ना कहीं एक दूसरे से डिजिटल जुड़े हुए हैं l जिनके लिंक्ड नहीं है वे करवा सकते है l ऐसे वोटर्स की जानकारी केंद्र सरकार को भी है राज्य सरकारों को भी है जहां पर कुछ प्रतिशत हो सकता है जो मोबाइल का उपयोग न करते हैं ऐसे बोतल अभी भी तो सरकारी स्कीमों का फायदा लेने के लिए कंप्यूटर सेंटर पर जाकर ऑनलाइन केंद्रों पर जाकर योजनाओं का फायदा लेते हैं तो वे अपने मतदान का प्रयोग इन सेंटरों पर जाकर कर सकते हैं l
और जो लोग इसका विरोध करें उन्हें सरकारी योजनाओ से मिलने वाले सभी लाभ तत्काल रूप से बंद कर दिए जायें l इतना ही नहीं उनसे उनका मताधिकार भी छीन लिया जाना चाहिए l ऐसे लोगों को देश द्रोही की श्रेणी में रखा जाये l
-रवि यादव ,चीफ एडिटर -ग्वालियर न्यूज़ 24 ( जी.न्यूज़ 24 )
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