शिव भक्तों की उमड़ी भीड़...
सोमवती अमावस्या: बम-बम भोले से गूंजे शिवालय
ग्वालियर। सावन के दूसरे सोमवार को सोमवती अमावस्या पढ़ने से इस दिन का महत्व और बढ़ गया है। यह दुर्लभ संयोग करीब 57 साल बाद बना है। यही कारण है कि सोमवार सुबह से मंदिरों पर शिवभक्तांे की भीड़ लगी है। लोग शिवालयों में शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं। बेल पत्र चढ़ाकर अराधना कर रहे हैं। रात 12 बजे से ही शहर के प्रमुख शिव मंदिरों पर कांवड़ियों का आना शुरू हो गया था। विभिन्न स्थानों से भरकर लाए गए गंगाजल से अभिषेक किया। सोमवती अमावस्या होने पर मंदिरों पर फेरी देने वालों की भीड़ भी देखते ही बन रही थी। सोमवार सुबह 4 बजे से ही शहर के अचेश्वर महादेव, कोटेश्वर महादेव, गुप्तेश्वर महादेव शिवालयों पर भक्तों की भीड़ लगना शुरू हो गई थी।
मंदिर में दर्शन करने के लिए सड़कों पर दूर-दूर तक लाइन लगी थी। मंदिरों के आसपास बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही पंचामृत की दुकानें सजी हैं। अचलेश्वर मंदिर रोड को भक्तों की भीड़ को देखते हुए बड़े व चार पहिया वाहनों का प्रवेश बैरीकेड्स लगाकर बंद कर दिया था। इंदरगंज से आने वाले वाहन जीवायएमसी में ही पार्क हो रहे हैं। सावन के सोमवार को विधि-विधान से शिव पूजन कर शांति-समृद्धि मिलती है। इतना ही नहीं विवाह के इच्छुक युवक-युवतियों को भी शिव की कृपा जरूरी है। सोमवती अमावस्या और सावन का सोमवार के दुर्लभ संयोग पर पूजा अर्चना करने से मनचाहा वर मिलता है। सोमवार को मंदिरों पर उमड़ने वाली भीड़ को देखते हुए मंदिर समितियों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। साथ ही महिला एवं पुरुष भक्त अलग-अलग लाइन में लगकर दर्शन कर रहे हैं। इससे व्यवस्थाएं बनी रहती हैं और आसानी से भगवान के दर्शन भी हो जाते हैं।
ग्वालियर में अचलेश्वर महादेव मंदिर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, गुप्तेश्वर महादेव मंदिर, चकलेश्वर और भूतेश्वर, हजारेश्वर शिव मंदिर हैं। इन शिव मंदिरों पर सोमवार सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी है। ग्वालियर के भितरवार सर्कल में सिंध और पार्वती नदी के संगम तट पर प्राचीन धूमेश्वर मंदिर है। यह कब बना और किसने बनवाया यह कोई नहीं बता पाता, लेकिन सावन के हर सोमवार को यहां मेला लगा है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं और मंदिर के किनारे बसी नदी में स्नान कर शिवलिंग की पूजा अर्चना की हैं। यह मंदिर ग्वालियर शहर से करीब 75 किलोमीटर दूर है।
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