राजा कपिलेंद्र देव ने 1460 में मंदिर को टन के हिसाब से सोना दिया था दान में ...
मंदिर के अरबों-खरबों के रत्न भंडार खोलने हेतु हाईकोर्ट में याचिका दायर
अधिकारियों ने बताया कि जनहित याचिका में, ओडिशा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने श्री जगन्नाथ मंदिर की डुप्लीकेट चाबी या रत्न भंडार की (केंद्रीय जांच ब्यूरो) सीबीआई से जांच कराने की भी मांग की. श्रीजगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी को लेकर बीजेपी नेता समीर मोहंती ने सीबीआई जांच की मांग की है. इस बीच, भगवान जगन्नाथ के बड़ाग्रही जगन्नाथ स्वैन महापात्र ने गुरुवार को वर्षों से पवित्र त्रिमूर्ति के नियमित अनुष्ठानों के दौरान पुराने आभूषणों के उपयोग पर नाराजगी व्यक्त की।
भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन-भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा ने गुरुवार शाम को 'राजराजेश्वर बेशा' धारण किया, जो 'सुना बेशा' के नाम से मशहूर है. दंतकथा के अनुसार, राजा कपिलेंद्र देब एक पड़ोसी राज्य पर विजय प्राप्त करके भारी मात्रा में सोने के आभूषण लाए थे. उन्होंने 1460 में मंदिर को सभी मूल्यवान सोना टन के हिसाब से दान कर दिया था. तब से रथ यात्रा के दौरान 'सुना बेशा' देवताओं के लिए एक प्रमुख अनुष्ठान रहा है पुराने दिनों में कपिलेंद्र देबा के शासनकाल के दौरान, देवताओं ने लगभग 138 डिज़ाइन के सोने के आभूषण पहने थे. लेकिन आजकल देवी-देवताओं को केवल 35 प्रकार के आभूषणों से ही सजाया जाता है. इन आभूषणों का वजन 208 किलोग्राम है. पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार करीब चार दशकों से नहीं खुला है. भगवान जगन्नाथ के 'सुना बेशा' को देखने के लिए 15 लाख से अधिक लोग पुरी पहुंचे.
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