सावन के पहले सोमवार पर पंचक का साया...
सावन सोमवार पर पंचक का साया,जानिए कैसे होगी शिव पूजा !
पहले सोमवार पर पंचक का साया
सावन में 6 जुलाई 2023 को दोपहर O1 बजकर 38 मिनट से पंचक की शुरुआत हो गई थी, जिसका समापन 10 जुलाई को सावन के पहले सोमवार वाले दिन शाम 6 बजकर 59 मिनट पर होगा। यानी इस दिन पूरे दिन पंचक का साया रहेगा। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि पंचक गुरुवार के दिन से शुरू हुआ था, इसलिए ये हानिकारक नहीं है।
पंचक के अलावा बन रहे ये शुभ योग
सावन के पहले सोमवार के दिन सुकर्मा योग और रेवती नक्षत्र है। साथ ही इस दिन श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि भी है। अष्टमी तिथि को रुद्रावतार बाबा काल भैरव की पूजा की जाती है।
सावन के पहले सोमवार वाले दिन श्रावण अष्टमी तिथि सुबह से लेकर शाम 06 बजकर 43 मिनट तक है। सुकर्मा योग दोपहर 12 बजकर 34 मिनट से है, जो पूरी रात रहेगा। वहीं पंचक सुबह 05 बजकर 30 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक है। इस दिन का शुभ मुहूर्त या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है।
पहले सावन सोमवार पर रुद्राभिषेक का समय
ज्योतिष के जानकारों के अनुसार पहले सावन सोमवार पर रुद्राभिषेक का संयोग बना है, क्योंकि इस दिन शिववास गौरी के साथ है और जब शिववास होता है, तभी रुद्राभिषेक किया जाता है। इस दिन रुद्राभिषेक का शुभ मुहूर्त प्रात: काल से लेकर शाम 06 बजकर 43 मिनट तक है।
सावन सोमवार पूजा सामग्री
फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री।
सावन सोमवार पर पंचक का साया,जानिए कैसे होगी शिव पूजा
- सावन सोमवार के दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
- साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
- इसके बाद पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।
- शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं। इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
- इसके बाद पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।
- शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं।
- इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
- प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी और शक्कर का भोग लगाएं।
- अंत में धूप, दीप से भगवान भोलेनाथ की आरती करें और पूरे दिन फलाहार हर कर शिव जी का स्मरण करते रहें।
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