सिद्धपीठ श्री गंगादास की बड़ी शाला में रविवार को…
रानी लक्ष्मीबाई और महंत गंगादास की प्रतिमा पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ अर्पित की पुष्पांजलि
ग्वालियर। सिद्धपीठ श्री गंगादास की बड़ी शाला में रविवार को 1857 के प्रथम स्वतंत्रता समर की अमर सैनानी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई एवं उनके साथ अंग्रेजों से लोहा लेते हुए शहीद हुए संतों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। रविवार सुबह 10 बजे लक्ष्मीबाई कॉलोनी स्थित शाला के प्रांगण में निर्मोही अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत मदनमोहन दास महाराज के मुख्य आतिथ्य में पूरण वैराठी पीठाधीश्वर स्वामी रामसेवक दास महाराज ने शाला के साधु संतों के साथ रानी लक्ष्मीबाई और महंत गंगादास की प्रतिमा पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पुष्पांजलि अर्पित की।
इसके साथ ही बलिदानी संतों की समाधियों पर पुष्प अर्पित कर उनके बलिदान को नमन किया। वहीं शाम को परशुराम सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. श्याम पाठक व सर्व ब्राह्मण महासंघ के युवा जिलाध्यक्ष कपिल भार्गव के नेतृत्व में महंतों सहित तीनों अनी अखाड़ों के संतों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर आशीष पारीक, संतोष शर्मा, पवन भार्गव, देवांश बोहरे, सचिन शर्मा आदि उपस्थित रहे।
बताना मुनासिब होगा कि सिद्धपीठ श्री गंगादास की शाला 1857 के स्वतंत्रता समर की जीती जागती मिसाल है। 18 जून 1857 को अंग्रेजों से लड़ते हुए जब रानी लक्ष्मीबाई वीर गति को प्राप्त हुईं तब शाला के तत्कालीन महंत गंगादास जी ने ही अंग्रेजों से उनकी पार्थिव देह की रक्षा करते हुए अपनी कुटिया में ही उनका अंतिम संस्कार किया था। इस दौरान शाला के 745 साधु संतों ने अंग्रेजों से लिहा लेते हुए अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया
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