G.NEWS 24 : मूर्तियों का क्षतिग्रस्त होना महाकाल का अपमान है : जयवर्धन सिंह

भाजपा सरकार ने 400 करोड़ रुपये खर्च किए...

मूर्तियों का क्षतिग्रस्त होना महाकाल का अपमान है : जयवर्धन सिंह

उज्जैन के महाकाल महालोक में 28 मई को आंधी-तूफान की वजह से सप्तऋषि की मूर्तियों को नुकसान हुआ। सात में से छह मूर्तियां गिर गई। इस पर कांग्रेस हमलावर हो गई है और शिवराज सिंह चौहान सरकार पर सवाल उठा रही है। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि महाकाल लोक पर भाजपा सरकार ने 400 करोड़ रुपये खर्च किए। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महालोक का लोकार्पण किया। वहां एक हवा चलने से सप्तऋषि की सात में से छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई। यह महाकाल का अपमान है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के बेटे और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने कहा कि महाकाल भगवान के प्रति हमारे प्रदेश और देश के लोगों की आस्था जुड़ी है। 

बहुत अफसोस की बात है कि महाकाल लोक में सप्तऋषि की सात में छह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गई। हम देखते हैं कि सरकार तो दूर की बात है, निजी तौर पर भी लोग मूर्ति स्थापित करते हैं। पांच से 20 लाख रुपये तक खर्च करते हैं। वह मूर्ति क्षतिग्रस्त नहीं होती, टिकी रहती है। यहां भाजपा की भ्रष्ट सरकार ने 400 करोड़ रुपये खर्च किए और एक ही आंधी में सब चौपट हो गया। ये सिर्फ भ्रष्टाचार नहीं है। महाकाल भगवान का अपमान है, जो भाजपा सरकार कर रही है। मेरे अनुसार देश व प्रदेश की जनता ऐसी भ्रष्ट सरकार को कभी स्वीकार नहीं करेगी। यह लोग जनता से माफी मांगे। इन्होंने जो पाप किया है, उसे ये कैसे साफ करेंगे ? 

इस भ्रष्टाचार में जो लोग शामिल रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने कहा कि महाकाल की नगरी उज्जैन में 370 करोड़ की लागत से निर्मित महाकाल लोक में हुए भ्रष्टाचार की बानगी रविवार को देखने को मिल गई। थोड़ी-सी आंधी में मूर्तियां खंड़ित हो गईं। किसी का सिर धड़ से अलग हो गया तो किसी का कोई अंग खंडित हो गया। उन्होंने कहा कि आजादी के पहले हुए निर्माण आज भी मौजूद हैं। 

बाबा केदारनाथ धाम में बना भोलेनाथ का मंदिर इतनी सुनामी झेलने के बाद भी टस से मस नहीं हुआ, लेकिन महाकाल लोक में हवा के एक झोंके से तस्वीर ही बदल गई। ऐसा होना महापाप है। इसकी सजा सरकार और उसके नुमाइंदों और निर्माण में गड़बड़ी करने वालों को जरूर मिलेगी। उज्जैन महालोक निर्माण की उच्चस्तरीय जांच ऐसे लोगों से कराई जाए जो सरकार के दबाव में न हो तो प्रदेश के एक बड़े घोटाले के रूप में इस लोक में हुए निर्माण कार्य शुमार होंगे।

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