ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे से....
रेलवे को पत्र लिखकर तीन महीने पहले ही अधिकारी ने जताया था दुर्घटना का अंदेशा !
लखनऊ । ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे से तीन माह पहले ही रेलव के बड़े अधिकारी ने दुर्घटना का संभावित अंदेशा जताया था। इसके लिए उसने सरकार को पत्र भी लिखा था। इस हादसे के पीछे की वजह तो जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगी, लेकिन फिलहाल रेलवे के एक अधिकारी का पत्र चर्चा में है।
इस चिट्ठी में रेल अधिकारी ने हादसे से करीब 3 महीने पहले ही बड़ी दुर्घटना का अंदेशा जताया गया है। अधिकारी ने बताया है कि कैसे सिग्नल सिस्टम की एक खामी के कारण बड़े हादसे हो सकते हैं। जिस अधिकारी हरिशंकर वर्मा ने रेलवे बोर्ड को पत्र लिखा है, वह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तैनात हैं। वह तीन साल तक दक्षिण पश्चिम रेलवे में तैनात रहे हैं। वह तब प्रिंसिपल चीफ ऑपरेशन मैनेजर थ। उनकी तैनाती के दौरान दक्षिण पश्चिम रेलवे में ट्रेन को गलत लाइन पर जाने के मामले सामने आए थे।
पत्र में रेलवे अधिकारी हरिशंकर ने जिस खामी की बात की। वह इंटरलॉकिंग के लिए बनाए गए सिस्टम को बाईपास करके लोकेशन बॉक्स में हुई छेड़खानी से जुड़ा हुआ था। पत्र में उन्होंने रेलवे बोर्ड को इस पर तत्काल रोक लगाने की अपील की है। तात्कालीन घटना का जिक्र करते हुए पत्र में लिखा गया है कि जो भी घटना हुई उसे सीरियसली तौर पर देखा जाए। जो भी इसके लिए दोषी है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए। हालांकि, पत्र के बाद भी कोई भी कारवाई नहीं की गई। उन्होंने अपने पत्र में कहा था कि सिस्टम में गंभीर खामियां हैं। यहां ट्रेन चलने के बाद डिस्पैच का रूट बदल जाता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सिग्नल से संबंधित बेहद जरूरी काम छोटे कर्मचारियों के पास है, जिससे गड़बड़ी होने की संभावना भी ज्यादा रहती है।रेलवे की तरफ से बताया गया कि ट्रेन नंबर 12481 कोरोमंडल एक्सप्रेस बहानगा बाजार स्टेशन के (शालीमार-मद्रास) मेन लाइन से गुजर रही थी, उसी वक्त डिरेल होकर वो अप लूप लाइन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। ट्रेन पूरी रफ्तार (फुल स्पीड) में थी, इसका परिणाम यह हुआ कि 21 कोच पटरी से उतर गए और 3 कोच डाउन लाइन पर चले गए। दरअसल, बहानगा बाजार स्टेशन पर इन ट्रेन का स्टॉपेज नहीं है। ऐसे में दोनों ही ट्रेनों की रफ्तार तेज थी।
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