MBBS डुप्लीकेट मार्कशीट मामले में बड़ा खुलासा…
ग्वालियर l डॉक्टरों की एमबीबीएस की अंकसूची और डिग्री की डुप्लीकेट कॉपी निकलवाने का मामला गहराता जा रहा है। इस मामले में ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने जीवाजी विश्वविद्यालय से पांच साल का रिकॉर्ड मांगा था। 32 घंटे बीत जाने के बाद विश्वविद्यालय ने 13 डॉक्टरों को एमबीबीएस की अंकसूची और डिग्री की डुप्लीकेट कॉपी देने की बात स्वीकार की है, लेकिन उन डॉक्टरों के नाम अब तक क्राइम ब्रांच को नहीं बताए गए हैं। जो डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट लेकर गए हैं। इसलिए विश्वविद्यालय प्रबंधन पुलिस की जांच में शक के दायरे में है।
वहीं इस पूरे मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के एएसपी ऋषिकेश मीणा का कहना है कि मालेगांव पुलिस से जानकारी जुटाने पर पता चला है कि प्रतीक्षा दायमा एक ड्रग्स सप्लायर हैं और दूसरा आरोपी मोहम्मद रफीक मालेगांव का मोस्ट वांटेड आरोपी है। दोनों आरोपियों की मालेगांव पुलिस तलाश कर रही थी। वहीं, जांच में आरोपी प्रतीक्षा दायमा का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां उसने मुंबई के पल्स केयर अस्पताल के स्टाफ होने का फर्जी प्रमाण पत्र नौकरी के दौरान लगाया था।
अब ग्वालियर पुलिस को अपनी भरोसेमंद क्राइम ब्रांच की टीम के मालेगांव से लौटने का इंतजार है, जो चार दिन से वहां डेरा डाले हुई है। वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फर्जी डिग्री बेचने का एक बड़ा रैकेट चलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। आरोपियों की सात दिन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद न्यायालय में रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन भी किया जाएगा और विश्वविद्यालय प्रबंधन के कर्मचारी अधिकारियों से भी पूछताछ जारी है।
बता दें, कि ग्वालियर की महिला डॉक्टर प्रतिक्षा शर्मा एमबीबीएस की इंटर्नशिप और लीव सर्टिफिकेट की डुप्लीकेट कॉपी निकलवाने में पकड़ी गईं। मालेगांव महाराष्ट्र की प्रतिक्षा दायमा और उसका साथी शफीक मोहम्मद क्राइम ब्रांच की पूछताछ में शक की सुई जीवाजी विश्वविद्यालय की ओर की है। इस मामले में पांच साल का रिकॉर्ड भी क्राइम ब्रांच ने विश्वविद्यालय से मांगा है, विश्वविद्यालय ने 13 डॉक्टरों को डुप्लीकेट डाक्यूमेंट्स देने की बात तो की है, लेकिन डॉक्टरों के नाम बताने पर चुप्पी साध गया है, लेकिन क्राइम ब्रांच की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। पुलिस को उम्मीद है कि एक बड़े रैकेट का खुलासा हो सकता है।
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