गायों के नाम पर रात -दिन राजनीति करने वाले ...
विधायक और सांसद ने गायों के लिए एक रुपया भी नहीं दिया जबकि पिछले एक वर्ष में ही 6 लाख रूपये मिले
प्रतीकात्मक तस्वीर
भोपाल l प्रदेश में गायों को लेकर हमेशा राजनीति होती है, लेकिन जब उनके लिए दान देने की बात आती है तो जनप्रतिनिधि मुट्ठी बांध लेते हैं। गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड ने सांसद, विधायक, जनप्रतिनिधियों समेत आम लोगों से गोग्रास के प्रतिदिन गायों 10 रुपये दान करने का आग्रह किया था। एक वर्ष में छह लाख रुपये दान में मिले, लेकिन किसी विधायक या सांसद ने एक रुपये भी दान नहीं किया बता दें कि गोशालाओं को सरकार की तरफ से प्रतिदिन प्रति गाय सिर्फ 20 रुपये भोजन और अन्य खर्च के लिए दिया जाता है, जो बहुत कम है। उत्तर प्रदेश में यह राशि 30 रुपये है। प्रदेश में एक हजार 762 गोशालाएं हैं।
गोवंश की कुल संख्या दो लाख 87 हजार है। गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड की कार्यकारिणी समिति के अध्यक्ष महामंडलेश्वर अखिलेश्वरानंद गिरी ने पिछले वर्ष चैत्र प्रतिपदा से गोग्रास के लिए हर व्यक्ति से प्रतिदिन 10 रुपये दान करने का आह्वान किया था। इसके पीछे उनका तर्क यह था कि पहले लोग भोजन के पूर्व गाय के लिए एक रोटी निकालते थे।
अब शहरों में रोटी खिलाने के लिए गाय नहीं मिल पातीं, इस कारण प्रति रोटी 10 रुपये के मान से दान करें तो एक वर्ष में तीन हजार 650 रुपये एकत्र हो जाएंगे। उन्होंने सभी विधायकों और सांसदों को प्रतिदिन 10 रुपये दान करने या फिर वर्ष में एक दिन का वेतन दान करने के लिए पत्र भी लिखा था। इसके बाद भी किसी ने गोपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड के खाते में एक रुपये भी दान नहीं किया है।
हालांकि, आमजन की बात करें तो 400 से अधिक लोगों ने छह लाख रुपये गोशालाओं के लिए दान किया है। विधानसभा और लोकसभा के चुनाव नजदीक हैं। भाजपा सरकार गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कदम उठाने जा रही है। कांग्रेस भी अपने वचन पत्र में इसे शामिल करने की तैयारी में है। गोशालाओं की दुर्दशा को लेकर दोनों पार्टियां एक-दूसरे को कोसती रहती हैं, लेकिन वास्तविकता में गोवंश के प्रति दोनों दलों के नेता कितने संवेदनशील हैं यह सामने आ गया है।
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