ईश्वर ने कमिश्नर बनाकर ग्वालियर भेजा है तो...
ऐसा काम कीजिए शहर सालों तक याद रखे
खबर का हुआ असर
ग्वालियर। हाई कोर्ट की युगल पीठ ने स्वर्ण रेखा नदी की हालत पर नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह से कहा कि ईश्वर ने आपको कमिश्नर बनाकर ग्वालियर भेजा है। आप शहर के लिए ऐसा काम कीजिए, जिससे सालों तक आपको याद रखा जाए। अपने घर को हर कोई साफ कर लेता है, लेकिन शहर को साफ करने की जिम्मेदारी आपकी व हमारी है। फंड की जरूरत है तो हाई कोर्ट न्यायिक आदेश से पूर्ति कराएगा।सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीन दिशा-निर्देश भी कमिश्नर को दिए। पहला नदी में गंदे नालों के पानी को आने से रोका जाए। उसे पूरी तरह से सूखा बनाया जाए।
नदी के ऊपर अतिक्रमण है, उसे हटाया जाए। जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को आदेश दिया कि नदी में साफ पानी कैसे बहेगा, उसकी कार्य योजना बनाएं। याचिका की सुनवाई अब जुलाई में होगी। बता दें, ग्वालियर के गोसपुरा निवासी विश्वजीत रतोनिया ने वर्ष 2019 में स्वर्ण रेखा नदी में गंदगी व अतिक्रमण को लेकर जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि स्वर्ण रेखा अब नाला बन गई है। इसके तल में कंक्रीट की गई थी, जिससे वाटर रीचार्ज सिस्टम भी खत्म हो गया है। सीवर लाइनें जोड़ने सेगंदगी हो रही है। कंक्रीट को हटाकर स्वर्ण रेखा को मूल रूप में लाया जाए।
अतिरिक्त महाधिवक्ता के तर्क पर कोर्ट ने कहा
न नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी नदी के सुंदरीकरण के लिए कोर्ट ने जो दिशा-निर्देश दिए थे, उनका पालन नहीं हुआ था। गुरुवार को अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी ने तर्क दिया कि स्वर्ण रेखा में बड़ी संख्या में नाले मिलते हैं। इस वजह से यह नदी के स्वरूप में लौटना मुश्किल है। यह जवाब सुनकर कोर्ट ने कहावत सुनाते हुए कहा कि न नौ मन तेल होगा, ना राधा नाचेगी, आप तो इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। हमें असंभव को ही संभव करके दिखाना है। कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए लंच के बाद नगर निगम आयुक्त हर्ष सिंह, अपर कलेक्टर, जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता को तलब कर लिया। तीनों अधिकारी कोर्ट में उपस्थित हुए, उन्हें कैसे स्वर्ण रेखा का सुंदरीकरण करना है, उसके बारे में बताया।
कोर्ट ने ये दिए सुझाव
स्वर्ण रेखा के सुंदरीकरण के लिए शहर के प्रतिष्ठित नागरिक, चैंबर आफ कामर्स सहित अन्य संस्थाओं को भागीदार बनाया जाए। उनके सुझाव लिए जाएं कि कैसे नदी का सुंदरीकरण किया जा सकता है और साफ रखा जा सकता है।
गुजरात की साबरमती नदी व वाराणसी में गंगा घाट को कैसे साफ किया गया है, उस योजना का अध्ययन करके ग्वालियर में लागू किया जाए।
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