G.NEWS 24 : जब एस जयशंकर ने सांसद शशि थरूर से पूछा कि तब आपका खून नहीं खौला !

ब्रिटेन दूतावास में लगे तिरंगे झंडे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई, तब…

जब एस जयशंकर ने सांसद शशि थरूर  से पूछा कि तब आपका खून नहीं खौला !

मैसुरु। केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर विरोधियों को तगड़ा और तत्काल सटीक जवाब देने के लिए जाने जाते हैं। विरोधी घरेलू स्तर पर हों या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, इस बात का जयशंकर पर कोई फर्क नहीं पड़ता। कर्नाटक में इनदिनों विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार चल रहा है। सभी पार्टियों के नेता प्रचार कर रहे है। इसी क्रम में भाजपा की ओर से जयशंकर मैसुरु में आयोजित मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित एक संवाद सत्र में हिस्सा लेने के लिए पहुँचे थे। यहां उन्होंने कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर संबंधी सवालों के इस तरह के जवाब दिए जिससे कांग्रेस नेताओं के छक्के छूट गए। 

बता दें कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ चुके थरूर जोकि पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के दौरान विदेश राज्य मंत्री भी रह चुके हैं, उन्होंने हाल ही में विदेश मंत्री एस. जयशंकर को सलाह दी थी कि उन्हें थोड़ा कूल रहना चाहिए और हमेशा गुस्से में नहीं भड़के रहना चाहिए। इससे जुड़ा सवाल जब जयशंकर से पूछा गया तब उन्होंने कहा कि ब्रिटेन स्थित भारतीय दूतावास में लगे तिरंगे झंडे को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हुई, तब क्या आपका खून नहीं खौला? उन्होंने कहा कि एक भारतीय होने के नाते अगर विश्व के किसी देश में तिरंगे का अपमान होगा, तब क्या आप सहन कर पाएंगे? उन्होंने कहा कि मैं बिल्कुल सहन नहीं कर सकता। 

मेरी स्किन पतली है और अगर आपके देश का कोई अपमान करता है तब हम सभी को ये बात बुरी लगना स्वाभाविक है।मोदी सरकार की विदेश नीति पर आयोजित सवाल-जवाब के एक सत्र को संबोधित कर जयशंकर ने कहा कि विदेश में भारत की प्रतिष्ठा कम न हो यह सुनिश्चित करना सामूहिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में चीन पर काफी गलतबयानी की गई है। जयशंकर से यह पूछा गया कि देश में ही इस तरह की आलोचना से क्या अंतरराष्ट्रीय मंच पर बातचीत करने की भारत की क्षमता पर असर पड़ा है। 

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मुद्दों पर हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि कम से कम इस तरीके से बर्ताव करें कि विदेश में हमारी सामूहिक स्थिति कमजोर न हो।  इसतरह के मुद्दों को राजनीतिक रंग देने की आलोचना कर उन्होंने कहा कि पूर्व में जो भी हुआ वह ‘‘एक सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी’’ थी। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘जो कुछ हुआ सो हुआ। यह हमारी सामूहिक नाकामी या जिम्मेदारी थी। मैं इस राजनीतिक रंग नहीं देना चाहता। मैं असल में चीन पर गंभीर संवाद चाहता हूं। उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण रूप से विदेश नीति भी राजनीति का अखाड़ा बन गई है।

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