प्रदेश में चुनाव आते ही राजस्व और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को लेकर एक मिथक की चारों तरफ चर्चा…
जिसे मिला महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्रालय वह हमेशा हारा चुनाव !
ग्वालियर l मध्य प्रदेश में विधानसभा का चुनाव निकट आता जा रहा है, वैसे वैसे प्रदेश के अंदर किस्सों और कहानियों का दौर भी प्रारंभ हो गया है l प्रदेश के अंदर कई ऐसे मिथक हैं जिनको लेकर अक्सर चर्चाएं बनी रहती हैं l इसका असर नेताओं के मानसिक स्तर पर भी पड़ता है l चुनाव आते ही मध्य प्रदेश के राजस्व और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को लेकर एक मिथक की चारों तरफ चर्चा होने लगती है l वैसे तो प्रदेश के अंदर महिलाओं एवं बच्चों के उन्नत जीवन एवं विकास के लिए तथा पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय कार्य करता है, लेकिन मंत्रियों और नेताओं के बीच में ऐसा मिथक है कि जो भी इस मंत्रालय का कार्यभार संभालता है, उसे आगामी चुनाव में हार का सामना करना पड़ता है l
इस बार सीएम शिवराज के पास है यह मंत्रालय
विशेषकर इस मंत्रालय की जिम्मेदारी महिला नेताओं को ही सौंपी जाती है लेकिन कुछ आंकड़े बड़े डरावने हैं जो कि यह बताते हैं कि जिसने भी इस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली है उसे अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा है l इधर इस बार यह मंत्रालय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है इसीलिए दबे स्वरों में इस मिथक की चर्चाएं बड़े जोरों पर हैं. कांग्रेस और संघ के सर्वे में इस बार बीजेपी की स्थिति खराब है तो क्या सीएम को इस बार अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है, इस बात को लेकर चर्चा जोरों पर है l
जिसे मिला यह मंत्रालय वही हारा चुनाव
2003 में महिला एवं बाल विकास मंत्री रही कुसुम मेहेंदले (पन्ना) 2008 में मात्र 48 वोटों से हार गई थी, 2007 की महिला एवं बाल विकास मंत्री रंजना बघेल (मनावर) 2008 में मनावर से अपना विधानसभा चुनाव हारी थी l 2013 की महिला एंव बाल विकास मंत्री माया सिंह (ग्वालियर) 2018 में अपना चुनाव हारी, ठीक इसी प्रकार ललिता यादव (छतरपुर) भी महिला एवं बाल विकास मंत्री बनने के बाद चुनाव हारीं l इसी प्रकार का मिथक पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस (बुरहानपुर) और इमरती देवी (डबरा) पर भी लागू हो गया l इसके बाद से लगातार चर्चाएं गर्म हैं क्योंकि इस बार विभाग सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान के पास है तो क्या विभाग के इस अभिशाप का शिकार वे भी हो सकते हैं? यह अपने आप में देखने वाली बात होगी l
कांग्रेस की जमुना देवी ने तोड़ा था यह मिथक
हालांकि, इस मिथक को कांग्रेस की कद्दावर और नेता प्रतिपक्ष रही स्व. जमुना देवी ने तोड़ा था l वह महिला एवं बाल विकास मंत्री भी रहीं और उसके बाद चुनाव भी जीतीं l जमुना देवी की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती थी l देखना होगा कि क्या शिवराज सिंह चौहान भी जमुना देवी की तरह इस मिथक को तोड़ पाएंगे या नहीं !
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