G News 24 : इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए चल रही खोदाई में मिला कुषाण काल का साक्ष्य !

 एएसआइ ने लिया खोदाई जारी रखने का फैसला…

 इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए चल रही खोदाई में मिला कुषाण काल का साक्ष्य !

नई दिल्ली। पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए पुराना किला में चल रही खोदाई में कुषाण काल का एक और साक्ष्य मिला है। खोदाई में कुषाण काल के मिल चुके चबूतरे के बाद अब मिट्टी के बर्तन पकाने की एक भट्टी मिली है। इसके साथ  काफी राख मिली है। पुरातात्विक अध्ययन में यह भट्टी उत्तर कुषाण काल की बताई गई है। यानी की कुषाण काल के शुरुआती समय की है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने खोदाई आगे जारी रखने का फैसला लिया है। मानसून शुरू होने से पहले तक खोदाई जारी रहेगी। 

आजादी के बाद से पांचवी बार पुराना किला में खोदाई हो रही है और यह पहला मौका है जब कुंती मंदिर के पास खोदाई हो रही है। खोदाई को विस्तार दिया गया है और एएसआइ इस उम्मीद के साथ आगे बढ़ रहा है कि इंद्रप्रस्थ को लेकर शायद इस बार किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जा सके। इस स्मारक में 1955 के बाद 1969 से 1972 तक इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए खोदाई हुई है। इसके बाद 2013-14 और 2017-18 में भी खोदाई हुई है। पूर्व की दो खोदाई वरिष्ठ पुरातत्वविद प्रो बी बी लाल के नेतृत्व में हुई थीं। और बाद की दो खोदाई पुरातत्वविद वसंत स्वर्णकार के नेतृत्व में हुई हैं। 

अभी जो खोदाई चल रही है इसका नेतृत्व भी स्वर्णकार कर रहे हैं। 1955 के बाद यह पहला मौका है जब खोदाई को लेकर एएसआइ आरपार की लड़ाई के मूड में है एएसआइ चाहता है कि इस बार किसी निष्कर्ष पहुंचा जाना चाहिए। दरअसल यहां वे चित्रित मृदभांड मिले हैं जिन्हें महाभारत काल का माना जाता है। यही चित्रित मृदभांड हस्तिनापुर और लाक्षागृह आदि के आसपास हुई खोदाई में भी मिले हैं। खोदाई का नेतृत्व कर रहे एएसआइ के निदेशक वसंत स्वर्णकार कहते हैं कि कि खोदाई में जो भट्टी निकली है उसकी निर्माण शैली से इसे प्रारंभिक कुषाण काल यानी कुषाण काल के शुरुआती समय का आंका गया है। भट्टी के साथ ही काफी राख भी मिली है।



Reactions

Post a Comment

0 Comments