सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राष्ट्रपति से नई संसद के उद्घाटन की मांग वाली याचिका..
संसद के उद्घाटन का विपक्षी दलों द्वारा विरोध ! कारण कुछ समझ नहीं आया !
1947 में जब सत्ता का हस्तांतरण हुआ था तब अंग्रजों ने प्रधानमंत्री की हैसियत से ही नेहरू जी हाथों में सौंपी गई थी तो फिर अब देश के PM द्वारा सत्ता के संचालन केंद्र संसद के शुभारंभ का विरोध में खड़े दल बताएं तब और अब के बीच का अंतर जिसके कारण कर रहे हैं विरोध और इतना ही नहीं राजनैतिक लालसाओं की प्रतिपूर्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका तक लगा दी है l नेहरू जी ने एक PM की हैसियत से सत्ता का राजदंड अंग्रेजों से अपने हाथों में थमा था फिर अब यदि दूसरा PM इसके संचालन केंद्र का उद्घाटन तो विपक्षी दल उसका विरोध कर रहे हैं बात कुछ हज़म नहीं हुई !!!
नए संसद भवन का उद्घाटन का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया है। तमिलनाडु के एक वकील सी आर जयासुकिन ने PIL दाखिल कर संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने का अनुरोध किया है। इस पीआईएल में कहा गया है कि राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक हैं और संविधान के अनुच्छेद 79 के मुताबिक राष्ट्रपति संसद का भी अनिवार्य हिस्सा हैं। राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं और संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं। ऐसे में 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगी।
बीएसपी ने किया समर्थन !
नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बयानबाजी का दौर जारी है। इस बीच सत्ता पक्ष को एक और क्षेत्रीय दल का समर्थन मिला है। बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री द्वारा संसद के नये भवन के उद्घाटन का समर्थन किया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा - "केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है।"
पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण समारोह में शामिल नहीं होंगी मायावती
वैसे उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होने में असमर्थता जताई है। उन्होंने लिखा कि नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का निमंत्रण मुझे प्राप्त हुआ है, जिसके लिए आभार और मेरी शुभकामनायें। लेकिन अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तता के कारण मैं समारोह में शामिल नहीं हो पाऊंगी। इनके अलावा एनडीए से सहयोगी दलों बीजू जनता दल और शिरोमणि अकाली दल ने भी नये संसद भवन के उद्घाटन समारोह का समर्थन किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की राष्ट्रपति से नई संसद के उद्घाटन की मांग वाली याचिका
नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका पर आज (26 मई) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद के पीएम मोदी से उद्घाटन किए जाने के खिलाफ दी गई याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए इसे खारिज कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा, 'हम आप पर ऐसी याचिका दाखिल करने के लिए जुर्माना क्यों न लगाएं.' ये याचिका सीआर जयासुकिन नाम के वकील ने दाखिल की थी.
10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की नींव रखी थी. अब पीएम मोदी ही 28 मई को इसका उद्घाटन करेंगे. नया संसद भवन करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत से तैयार है. नया संसद भवन 4 मंजिला है. इसमें आज के दौर के हिसाब से कई सुविधाएं हैं. इसके अलावा सिटिंग अरेंजमेंट को भी बढ़ाया गया है. नई संसद में लोकसभा के 888 मेंबर बैठक सकते हैं जबकि राज्यसभा के 384 सदस्य भी बैठ सकते हैं. नए संसद भवन की बिल्डिंग पुरानी संसद से 17,000 स्क्वायर मीटर बड़ी है.
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