संगठन में मीडिया प्रभारी ...
सामने आने लगा है भाजपा के नए मीडिया प्रभारी का पुराना रिकार्ड !
ग्वालियर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मुखिया ने संगठन में मीडिया प्रभारी के रुप में लोकेन्द्र पाराशर की जगह उनके कृपा पात्र आशीष अग्रवाल की ताजपोशी कर दी है, लेकिन उनकी ताजपोशी के साथ ही उनके विरोधियों द्वारा पुरानी फाइलें खोलना शुरु कर दी हैं। हाल ही में एक पुराना मामला इन दिनों सोशल मीडिया की सुर्खियां बटोर रहा है। जिसमें भाजपा के नवेले मीडिया प्रभारी पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज होने की बात कही जा रही है। हालांकि खुद आशीष अग्रवाल इस दावे से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
सोशल मीडिया पर चल रही खबरों में बताया गया है कि ग्वालियर निवासी महेश परमार ने आशीष अग्रवाल की एचजी कंस्ट्रक्शन कंपनी की बड़ा गांव में बन रही टाउनशिप में टाइल्स लगाने का काम किया था। महेश परमार को 12 लाख 69 हज़ार रुपए कम्पनी के मालिक आशीष अग्रवाल से लेने थे, लेकिन कंपनी काफी दिनों से महेश परमार को बकाया राशि का भुगतान नहीं कर रही थी। 29 अक्टूबर 2020 को महेश परमार ऑफिस पहुंचा। कंपनी में मौजूद लोगों ने उसे राशि की भुगतान करने के बजाय जलील किया। उसे बाद में पैसा देने की बात कह कर उसे भगा दिया। जिसके बाद परेशान हो कर महेश ने कंपनी के ऑफिस के बाहर ही मिट्टी तेल डाल कर खुद को आग के हवाले कर दिया। वहां पर मौजूद लोगों ने पानी डाल कर आग को बुझा दिया और आनन फानन में उसे बिरला अस्पताल में भर्ती किया गया। हालत बिगड़ने के बाद महेश परमार को इलाज के लिए दिल्ली ले जाया गया लेकिन महेश परमार की दिल्ली में इलाज के दौरान मौत हो गई।
इसके बाद परिजन महेश परमार का शव लेकर थाटीपुर थाने पहुंच गए। उनका आरोप था, पुलिस शिकायत करने के बावजूद राजनीतिक दबाव की वजह से आशीष अग्रवाल के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर रही। ऐसे में परिजन थाने के बाहर ही धरने पर बैठ गए। कांग्रेस नेताओं ने परिजनों का समर्थन किया, जिसके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। इस मामले में उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर से घटना को हल्के में लेने और आरोपी को गिरफ्तार करने में हीला हवाली करने के लिए थाटीपुर थाना प्रभारी पर कार्रवाई करने के लिए कहा था।
उल्लेखनीय है कि थाटीपुर थाने में आशीष अग्रवाल के खिलाफ धारा 306 के तहत केस दर्ज किया गया, लेकिन पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इसको लेकर महेश परमार के भाई ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया कि आरोपी को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर रही है, पुलिस उसे बचाना चाहती है। इस मामले में पुलिस की ओर से जवाब आया कि खात्मा रिपोर्ट तैयार कर ली है, लेकिन उसे पेश करने की तारीख बताने में असमर्थ हैं। एक मार्च को जवाब आया कि खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी है। 8 मार्च को थाटीपुर थाना प्रभारी ने शपथ पत्र पेश कर बताया कि खात्मा रिपोर्ट तैयार है। इसे एक हफ्ते में प्रस्तुत कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए कहा कि खात्मा रिपोर्ट पेश होने के बाद न्यायाधीश द्वारा शिकायतकर्ता को सुनने के लिए नोटिस जारी किया जाता है, उसे सुनने के बाद न्यायालय या तो क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर सकता है या अस्वीकार कर सकता है। न्यायालय अस्वीकार कर अपराध का संज्ञान लेने तथा आगे की कार्रवाई के लिए दिशा निर्देश दे सकता है। इस मामले में जांच अधिकारी द्वारा क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं करना उसकी मंशा को व्यक्त करता है।
अब जब यह मामला सोशल मीडिया की सुर्खियां बन रहा है तो भाजपा के नवेले मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल ने पहले तो अपनी बात कहने से परहेज़ किया लेकिन मामले की नज़ाकत को भांपकर आनन फानन में स्पष्टीकरण दिया। उन्होंने दावा किया कि मेरी जानकारी के अनुसार इस मामले में खात्मा लग चुका है। उच्च न्यायालय में अभी भी यह मामला लम्बित है, यह मेरी जानकारी में नहीं है। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपको अपने प्रकरण की जानकारी नहीं है या आप न्यायालय में उपस्थित नहीं होते हैं तो उन्होंने कहा कि वहां पर मुझे उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है। मेरे वकील इस मामले को देख लेते हैं । जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपको आपके वकील कोई जानकारी नहीं देते तो उन्होंने कहा कि मेरे पास पर्याप्त साक्ष्य हैं ।
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