G News 24: कांग्रेस चुनावी मुद्दा PAYCM पोस्टर कैंपेन का नया वर्जन अब MP में चलेगा !

 जिसके दम पर कर्नाटक में पाई सत्ता…

कांग्रेस चुनावी मुद्दा PAYCM पोस्टर कैंपेन का नया वर्जन अब MP  में चलेगा !

कांग्रेस को कर्नाटक में मिली जीत के बाद पार्टी मध्यप्रदेश में भी वहां की तर्ज पर बीजेपी को घेरने का प्लान बना रही है। कांग्रेस कर्नाटक में सबसे सफल चुनावी मुद्दा PAYCM पोस्टर कैंपेन का नया वर्जन बीजेपी के खिलाफ लाने की तैयारी में है। वह आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार को लेकर बीजेपी पर हमले तेज करेगी। कांग्रेस 396 पॉइंट की एक बुकलेट तैयार कर रही है, जो प्रदेश के हर घर में बांटी जाएगी। इसमें आर्थिक अनियमितता, कुशासन और कुप्रबंधन के मामले शामिल हैं। पार्टी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को घेरने के लिए उनके कार्यकाल के 5 बड़े ऐसे मुद्दों को उछालेगी, जिसकी वजह से सरकार समय-समय पर बैकफुट पर रही है।

कांग्रेस कर्नाटक में बीजेपी को कमीशनखोरी, करप्शन, महंगाई, कट्टरवाद के मामले में घेरने में सफल रही है। मध्यप्रदेश में भी बीजेपी को हराने के लिए पार्टी इसी लाइन पर स्ट्रेटजी तैयार कर रही है। कांग्रेस की रणनीति के मुताबिक जैसे-जैसे चुनाव करीब आते जाएंगे, शिवराज सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार पर हमले तेज किए जाएंगे। कांग्रेस मानती है कि 40 फीसदी कमीशन का फार्मूला कर्नाटक में हिट रहा है। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाया था। वह केंद्र से लेकर राज्य सरकार के नेताओं पर हमलावर रही थी।

कर्नाटक में 'PAYCM' अभियान स्टेट कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के पत्र के आधार पर शुरू किया गया था। एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा था कि टेंडर पास करने के लिए कॉन्ट्रैक्टरों से 40% कमीशन मांगा जा रहा है और वे देने के लिए मजबूर हैं। इसके लिए कांग्रेस ने यूपीआई ऐप के क्यूआर कोड की कॉपी करते हुए PAYCM अभियान चलाया ताकि लोगों को ये संदेश दिया जा सके कि भाजपा सरकार भ्रष्ट है। इसके पोस्टर पूरे बेंगलुरु में चिपकाए गए थे। ऐसा करते हुए जब कुछ पार्टी कार्यकर्ता गिरफ्तार हुए तो कांग्रेस नेताओं ने सरकार को चुनौती दी। शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे शीर्ष नेताओं ने खुद जाकर पोस्टर चिपकाना शुरू किए थे। नेताओं ने प्रदर्शन कर गिरफ्तारी भी दी थी।

110 करोड़ का टेक होम राशन घोटाला : मध्यप्रदेश में पिछले साल टेक होम राशन और मुफ्त भोजन योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है। यह खुलासा सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की रिपोर्ट में हुआ था। कांग्रेस इस घोटाले को बिहार के चारा घोटाले की तरह जनता के सामने पेश करेगी। कांग्रेस इसे इसलिए भी चुनावी मुद्दा बना रही है, क्योंकि महिला एवं बाल विकास विभाग मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के पास है। कांग्रेस के मुताबिक रिपोर्ट कहती है कि प्रदेश की विभिन्न फर्मों ने घटिया क्वालिटी का करीब 40 हजार मीट्रिक टन पोषण आहार बांटा है। इसकी एवज में अफसरों ने करीब 238 करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया, लेकिन घटिया क्वालिटी का पोषण आहार सप्लाई करने वाली फर्मों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई। इतना ही नहीं, जिम्मेदार अधिकारियों से इस संबंध में कोई पूछताछ भी नहीं की गई।

चेक पोस्टों पर अवैध वसूली : कांग्रेस ने कर्नाटक में भ्रष्टाचार को निशाना बनाने वाला 'PAYCM' अभियान स्टेट कॉन्ट्रैक्टर एसोसिएशन के पत्र पर खड़ा किया था। उसी तरह मध्यप्रदेश में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस को लिखे पत्र को कांग्रेस शिवराज सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मुद्दे का हथियार बनाएगी। बैस को दो बार सेवा विस्तार दिया गया है। गडकरी ने पिछले साल 16 जुलाई को एक पत्र मुख्य सचिव को लिखा था। इसमें प्रदेश की चेक पोस्ट पर वसूली का जिक्र था। उन्होंने नागपुर बीजेपी के महामंत्री जेपी शर्मा की शिकायत का हवाला दिया था। पत्र में मध्यप्रदेश के आरटीओ अधिकारी व कर्मचारियों द्वारा चेक पोस्ट एंट्री के लिए बड़े पैमाने पर हो रिश्वतखोरी के बारे में जिक्र किया गया था। कांग्रेस इसी पत्र के साथ पोस्टर तैयार कराकर प्रदेश में जगह-जगह चस्पा करने की रणनीति पर काम कर रही है।

व्यापमं से बड़ा नर्सिंग घोटाला : मध्यप्रदेश का नर्सिंग घोटाला भी कांग्रेस का चुनावी मुद्दा होगा। हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे़ को लेकर याचिका दायर की गई थी। दो से चार कमरों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को नियम तोड़कर मान्यता देने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। इसके बाद से अब तक करीब 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता निलंबित की गई है। कोरोना के संकटकाल के पहले साल 2018-19 में प्रदेश में 448 प्राइवेट नर्सिंग कॉलेज थे, लेकिन कोरोना संकट में इनकी संख्या एक साल में तेजी से बढ़कर 667 हो गई। इस दौरान अस्पतालों में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ गए। लोग प्राथमिक उपचार तक के लिए परेशान थे। इस गड़बड़ी को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। इसके बाद हुई जांच में यह तथ्य सामने आया कि 600 नर्सिंग कॉलेजों में 500 से ज्यादा फैकल्टी फर्जी हैं। इन नर्सिंग कॉलेजों के पास अस्पताल तो छोड़िए बिल्डिंग, मूलभूत संसाधन और फैकल्टी तक नहीं हैं। जब जांच की तो सब कागजों में ही मिले।

यूनिफाॅर्म घोटाला : मध्यप्रदेश में स्कूली बच्चों की यूनिफॉर्म, किताबें और मिड-डे-मील में बड़ा घोटाला हुआ है। सरकारी रिकाॅर्ड में 65 लाख बच्चों पर 1100 करोड़ रुपए खर्च किए गए, जबकि लोक लेखा समिति की बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों ने स्वीकार किया कि माध्यमिक स्कूलों में औसतन बच्चों की उपस्थिति 20 से 25 फीसदी ही रहती है। कांग्रेस का आरोप है कि सिर्फ 5 लाख बच्चों पर इतनी राशि खर्च कर दी गई? कांग्रेस इसे चुनाव में मुद्दा बनाकर शिवराज सरकार को घेरने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का सवाल है कि सरकारी स्कूलों में बच्चे बढ़ने के बजाय घट कैसे गए? हाल ही में स्कूलों में बच्चों को घटिया यूनिफॉर्म दिए जाने का मामला सामने आया है। सरकार ने कपड़ा खरीदकर इसे महिला समूहों से सिलवाकर वितरित करने के निर्देश दिए थे। एक यूनिफॉर्म के कपड़े के लिए 220 रुपए और सिलाई के लिए 70 रुपए तय किए थे। प्रति यूनिफॉर्म 290 रु. की लागत थी। राज्य शिक्षा केंद्र और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अधिकारियों को बुनकर संघ से कपड़ा खरीदकर इन्हें महिला समूहों से तैयार करवाकर 130 दिन में वितरित करना था। फिलहाल मुख्य सचिव ने इसकी जांच के निर्देश दिए हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के सीईओ एलएम बेलवाल ने इस पूरी प्रक्रिया को सही बताया है। वहीं, माध्यमिक शिक्षा के अफसरों का जवाब है कि जिन बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ा, वे शिक्षा के अधिकार कानून (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में गए।

जल जीवन मिशन : कांग्रेस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन में मध्यप्रदेश में हुए घोटाले पर शिवराज सरकार को घेरने की तैयारी में है। कांग्रेस का आरोप है कि मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन पर 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होने के बावजूद आज भी 57% घरों में पानी नहीं पहुंचा। जहां योजना को पूरा दिखाया गया है, वहां भी इससे कोई लाभ नहीं मिल रहा है। मिशन का अधिकांश काम गुजरात की कंपनियों को दिया गया है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि जल जीवन मिशन में हुए भ्रष्टाचार को ग्रामीण इलाकों में उठाने की तैयारी है। इस मिशन के अंतर्गत ही स्किल के नाम पर बड़ा घोटाला सामने आया है, जिसके तहत गांव के युवाओं को स्किल ट्रेनिंग देकर उन्हें इस काबिल बनाना था कि वे गांव में ही रोजगार प्राप्त कर सकें, लेकिन योजना के नाम पर 11 संस्थाओं ने सिर्फ कागजों पर पूरी ट्रेनिंग कर दी। हद तब हो गई जब इस ट्रेनिंग में मृतकों और ओवरएज लोगाें के भी नाम कागजों पर दिखे। जल जीवन मिशन को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हाल ही में बैठक ली थी। उन्होंने समीक्षा के दौरान पाया था कि योजना की रफ्तार धीमी है। उन्होंने अफसरों को चेतावनी भरे लहजे में काम तेजी से करने के निर्देश भी दिए थे।

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