MP में 20 से ज्यादा सीटों पर बदलेंगे समीकरण...
बगावत के बवंडर से कितना बच पायेगी BJP !
भोपाल l मध्यप्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, भाजपा की मुसीबतें बढ़ती जा रही हैं। आने वाले दिनों में यह कम होने की बजाय बढ़ेंगी ही। इसका अहसास संगठन को भी है। पार्टी को कितना नुकसान होगा। इससे निपटने के लिए ड्रेमेज कंट्रोल कैसे होगा। इन्हीं सवालों के सिलसिलेवार जवाब आपको बताते हैं। इधर, राजनीति के जानकार तो यहां तक कह रहे हैं कि चुनावी साल में जिस तरह की विद्रोही लहर बीजेपी में उठी है, उसे जल्द से जल्द शांत नहीं किया गया तो पार्टी को 20 से 22 सीटों पर भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। पिछले चुनाव की हार से भाजपा ये तो अच्छी तरह से समझ गई है कि 22 सीटों पर नुकसान का मतलब सत्ता से बहुत दूर हो जाना है।
भाजपा में पुराने व असंतुष्ट कार्यकर्ताओं का सब्र टूट गया है इसमें दीपक जोशी जैसे कार्यकर्ता हैं। इन्हें लगता है कि अब कोई वजह नहीं रही पार्टी में बने रहने की। यहां रहने पर कोई भविष्य नहीं है।असंतुष्ट होकर खुलकर बोलने लगे है l ऐसे कार्यकर्ता जो पार्टी नहीं छोड़ रहे भाजपा के खिलाफ खुलकर बोलने लगे हैं। इसमें सत्यनारायण सत्तन जैसे लोग हैं। मुख्यमंत्री से मिलकर सत्तन भले शांत हो गए हो लेकिन उनके जैसे कई कार्यकर्ता आने वाले दिनों में मुखर हो सकते हैं।
पार्टी में संतुष्ट नहीं लेकिन डिप्लोमेटिक तरीके से निपटने में माहिर: ये ऐसे कार्यकर्ता हैं जो प्रदेश संगठन की रीति-नीति और कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन पार्टी में बने रहेंगे। इसके पीछे इनकी अपनी मजबूरी भी हैं लेकिन इससे पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा। ये डिप्लोमेटिक तरीके से बोलते हैं और काम करते हैं। इंदौर के एक बड़े नेता जैसे और भी कार्यकर्ता आने वाले दिनों में सक्रियता दिखाएंगे। घुट रहे हैं लेकिन कुछ बोलेंगे नहीं: इन कार्यकर्ताओं की अपनी सियासी मजबूरी है, जिसके चलते ये कुछ बोलेंगे नहीं। चूंकि अंदर ही अंदर घुट रहे हैं, इसलिए पार्टी को इनके रवैये से नुकसान उठाना पड़ेगा।
बगावत के बवंडर से BJP के सामने 4 बड़े संकट
तीन बार के विधायक दीपक जोशी का कांग्रेस में जाना बीजेपी के लिए बहुत बड़ा झटका है। इससे पार्टी की छवि तो खराब होगी ही, खातेगांव, कन्नौद, बागली, हाटपीपल्या सहित आसपास की सीटों पर बीजेपी को नुकसान हो सकता है। इस इलाके में स्व. कैलाश जोशी का प्रभाव रहा है। उनके बेटे दीपक जोशी ने जिस तरह कांग्रेस में शामिल होते हुए तेवर दिखाए हैं, उससे लगता है कि वे क्षेत्र में चिल्ला-चिल्लाकर भाजपाइयों के कारनामे उजागर करेंगे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ का उदाहरण देते हुए कहते हैं- यहां हाल ही में अशोकनगर से बीजेपी से 3 बार के विधायक स्व. राव देशराज सिंह यादव के बेटे यादवेंद्र सिंह यादव ने कांग्रेस जॉइन की है। खास बात यह है कि बीजेपी के प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा का यह गृह जिला है। राव परिवार का अशोकनगर जिले में पिछले कई सालों से दबदबा रहा है। यादवेंद्र के छोटे भाई अजय प्रताप अभी भी भाजपा सरकार में अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग निगम उपाध्यक्ष हैं। ऐसे में चुनाव से कुछ समय पहले हुई राजनीतिक उठापटक से अशोकनगर के राजनीतिक समीकरण बदलेंगे, लेकिन सबसे ज्यादा असर यादव बाहुल्य मुंगावली सीट पर दिखेगा। यहां यादव सहित अन्य समाज भी राव परिवार से जुड़े रहे हैं।
सरकार-संगठन विफल, अब संघ ने संभाला मोर्चा
बीजेपी की मूल विचारधारा के नेताओं की नाराजगी को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित कई बड़े नेताओं ने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। हालांकि, दीपक जोशी पर उनकी समझाइश का कोई असर नहीं हुआ। ऐसे में अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े नेताओं ने मोर्चा संभाला है। राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल ने नाराज नेताओं से वन-टू-वन बातचीत करना शुरू किया है। दोनों नेताओं ने दीपक जोशी से भी संपर्क कर उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन कड़वाहट इतनी बढ़ गई कि जोशी ने बातचीत के दरवाजे बंद कर दिए।
आरोप है कि सिंधिया समर्थकों के कारण पार्टी बदनाम हो रही
भंवर सिंह शेखावत ने कहा कि ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों के कारण बीजेपी की बदनामी हो रही है। जिन लोगों ने 2018 में बीजेपी की सरकार नहीं बनने दी, उन्हें पार्टी में सम्मानित किया जा रहा है। शेखावत ने कहा कि यह टिकट की लड़ाई नहीं है। सम्मान की लड़ाई है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में बीजेपी की हालत खराब है। कांग्रेसियों के बीजेपी में आने से पार्टी की हालत खराब हुई है। पार्टी में अब जमीनी कार्यकर्ता और असली नेताओं की पूछ परख नहीं होती है।
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