G.NEWS 24 : इसका एक ही मतलब है की जनता को देश की न्याय व्यवस्था पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है

जनता अगर बुलडोजर चलने पर, एनकाउंटर होने पर खुश हो रही है तो...

इसका एक ही मतलब है की जनता को देश की न्याय व्यवस्था पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है !

देश की न्याय व्यवस्था पर भरोसा सिर्फ नेता और पैसे वाले करते है  क्योंकि ये ही न्याय को खरीद पाते है | कोई भी आम नागरिक देश के सिस्टम , न्याय , संविधान पर भरोसा नहीं करता ये ही सच है

संजय दत्त को इतने बड़े अपराध की इतनी छोटी सजा मिली और वो भी पूरी पेरोल मे कट गई

लालू यादव मेडिकल ग्राउन्ड के नाम पर जेल से बाहर रहते है,सलमान खान की गाड़ी कोई नहीं चला रहा था वो अपने आप ही चाल रही थी हिरण ने भी खुद आत्महत्या कर ली थी

राणा अयूब को कोर्ट ये कहकर छोड़ देता है की 12 करोड़ की रकम छोटी होती है इसके लिए महिला को जेल मे नहीं रख सकते | वही कोर्ट 50 रु की बात पर पोस्टमेंन  को 10 साल जेल कटवा देता है रवि तिवारी ने 25 साल जेल काटी उस अपराध के लिए जिसमे अधिकतम सजा 1 साल होती है |

अट्रासिटी ऐक्ट , दहेज प्रताड़ना के 95% केस फर्जी होते है पर फिर भी एसे कानून है | बेअंत सिंह के हत्यारों को फासी नहीं दी 25 साल हो गए , क्योंकि वोट बैंक का मामला है | तमिलनाडु मे राजीव गांधी की हत्या करने वालों को नहीं दी , वोट बैंक का मामला है |

लाखों लोग जेलों मे बंद है अपनी सजा से 20 गुना जयदा तक सजा जेल मे काट चुके है , क्योंकि मिलॉर्ड से सुनवाई की तारीख नहीं मिल रही , क्योंकि जमानत के लिए पैसे नहीं है | पार्टियों की कोर्ट मे याचिका लगती है तो 1 दिन मे डेट मिल जाती है , आम आदमी को सालों मे भी नहीं |

आज बाहर कोई छेड़छाड़ कर रहा हो , गुंडाई कर रहा हो , दुर्घटना ग्रस्त हो तो आम आदमी चाह कर भी मदद के लिए आगे नहीं आता , क्योंकि बाद मे कोर्ट मे उसका खून पी लिया जाएगा , जैसे आप ही अपराधी हो | आप पुलिस के पास जाएंगे वहा लूटा जाएगा , कोर्ट मे जाएंगे वहा और  लूटा जाएगा |

संविधान संविधान कितना भी गा लो , सब कुछ प्रत्यक्ष है

संविधान बनाने वाले सब वकील थे , इसलिए न्याय का सिस्टम वकीलों की कमाई के लिए बना है न्याय देने के लिए नहीं ? जुडीसीयरी एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के जैसे काम करती है ! हम जानते है की हर गुंडा जेल से बहार आ जाता है , इसलिए हम खुश होते है एनकाउंटर होने पर 

और ये खुश होने से ज्यादा , देश के लोकतंत्र और संविधान पर शर्मिंदा होने की बात ज्यादा है |

Reactions

Post a Comment

0 Comments