G News 24:न्याय पालिका समलैंगिक विवाह को वैध घोषित न करे,यह विधायिका के क्षेत्र का है

 समलैंगिक विवाह का कई संगठनों ने किया विरोध...

न्याय पालिका समलैंगिक विवाह को वैध घोषित न करे,यह विधायिका के क्षेत्र का है 

ग्वालियर। समलैंगिक विवाह के विरोध में विभिन्न सामाजिक संगठनों ने गुरुवार को राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के लिए दायर की गई याचिका को निपटाने के लिए जिस तरह माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जल्दबाजी की जा रही है, वह किसी भी तरह से उचित नहीं है। इसके परिणाम भारत की संस्कृति और सभ्यता के लिए बेहद घातक सिद्ध होंगे। इसलिए इस विषय पर आगे बढऩे से पहले माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र, समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों की समितियां बनाकर उनकी राय लेनी चाहिए। 

धार्मिक, सामाजिक, अधिवक्ता, शैक्षणिक, मातृ शक्ति और चिकित्सा क्षेत्र के लोगों ने सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर समलैंगिक संबंधों को प्रकट करने पर मनाही है और दूसरी ओर उनके विवाह की अनुमति पर विचार किया जा रहा है। क्या इससे निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं होगा? उन्होंने कहा कि इसकी अनुमति देने से अंतहीन विवाद शुरू हो जाएंगे। इसलिए इस विषय पर आगे बढऩे से पहले माननीय सर्वोच्च न्यायालय को धर्मगुरुओं, चिकित्सा क्षेत्र, समाज विज्ञानियों और शिक्षाविदों की समितियां बनाकर उनकी राय लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समलैंगिक विवाह न्याय पालिका द्वारा वैध घोषित नहीं किया जाए, क्योंकि उक्त विषय पूर्ण रूप से विधायिका के क्षेत्राधिकार में आता है। 300 से ज्यादा लोगों द्वारा ज्ञापन सौंपने वालों में डॉ.अनुराग शर्मा, डॉ.हिमांशु जी, डॉ.संतोष शर्मा, प्रांकुश शर्मा, अंकित शर्मा, मीना सचान, विनीता जैन, नीरू शर्मा, कल्पना शर्मा, नीलम शुक्ला, सर्वजीत सिंह ज्ञानी, हरभजन सिंह, जगदीश शर्मा, सतेन्द्र दुबे, मोहित शिवहरे, जितेन्द्र कुशवाह आदि शामिल थे।

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