आपत्ति दरकिनार कर दी गई व्यवस्था, वेतन निर्धारण को दी गई है चुनौती...
हाई कोर्ट की मुख्यपीठ में सुना जाएगा उज्जैन के अतिथि विद्वानों का मामला
जबलपुर। हाई कोर्ट के प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति डीडी बंसल की युगलपीठ ने उज्जैन के अतिथि विद्वानों के मामले की सुनवाई मुख्यपीठ जबलपुर में किए जाने की व्यवस्था दे दी है। यह व्यवस्था उस आपत्ति को दरकिनार करते हुए दी गई, जिसके तहत दलील दी गई थी कि उज्जैन निवासी याचिकाकर्ताओं के पास हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में याचिका दायर करने का विकल्प है। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी अतिथि विद्वान विष्णु प्रसाद झारिया के अलावा उज्जैन निवासी 11 अन्य अतिथि विद्वानों का पक्ष अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने रखा।
अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं को अतिथि विद्वान के रूप में प्रति कालखंड महज 400 रुपये का वेतन भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से एक माह में लगभग 10 हजार ही कुल वेतन बन पाता है। जबकि जिन अतिथि विद्वानों की नवीन नियुक्ति हुई है, उन्हें 30 हजार रुपये मासिक वेतन भुगतान किया जा रहा है। तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित पोर्टल में भी याचिकाकर्ता अतिथि विद्वानों को दर्ज नहीं किया गया है। यह भेदभाव है। इसके अलावा एतराज का एक बिंदु यह भी है कि 400 प्रति कालखंड व 30 हजार रुपये मासिक, दोनों ही तरह के वेतन निर्धारण अनुचित हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि इस सिलसिले में राज्य शासन को नहीं बल्कि संघ सूची अंतर्गत ही वेतन निर्धारण हो सकता है। इस सिलसिले में आल इंडिया कौंसिल फार टेक्निकल एजुकेशन को अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए।
0 Comments