पांच दिन में जवाब पेश करने के दिए निर्देश...
आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को पसंद अनुरूप नियुक्ति क्यों नहीं : हाई कोर्ट
जबलपुर। हाई कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को उनकी पसंद की वरीयता के आधार पर नियुक्ति प्रदान न किए जाने के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ राज्य शासन की ओर से पक्ष रख रहे शासकीय अधिवक्ता को निर्देश दिए कि इस सिलसिले में पांच दिन के भीतर राज्य के जवाब की प्रस्तुति सुनिश्चित कराएं। याचिकाकर्ता जबलपुर निवारसी गरिमा परटेल सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। जिसके बाद हाई कोर्ट ने यह निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता और उनके अधिवक्ताओं ने दलील दी कि स्कूल शिक्षा व आदिवसी विभाग ने प्राथमिक शिक्षकों के 20 हजार से अधिक पदों नियुक्ति आदेश जारी किए हैं। याचिका में आरोप लगाया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया में व्यापक पैमाने पर अनियमितताएं की गई हैं याचिकाकर्ता ने पात्रता परीक्षा उच्च अंक प्राप्त कर प्रदेश स्तरीय अनारक्षित वर्ग में 3079 रैंक प्राप्त की। आरक्षित वर्ग में गरिमा ने आरक्षित वर्ग में 399 रैंक हासिल की। याचिकाकर्ता ने पदस्थपना के लिए कटनी जिले के किसी भी स्कूल में वरीयता दी थी। स्कूल शिक्षा विभाग 30 मार्च को नियुक्ति आदेश जारी किए, लेकिन याचिकाकर्ता को उसकी च्वाइस पर पदस्थापना नहीं की। इतना ही नहीं, उसे आदिवासी विभाग में नियुक्ति दे दी गई। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि याचिकाकर्ता ओबीसी वर्ग की अभ्यर्थी है। सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के तहत याचिकाकर्ता को उसकी पसंद के आधार पर ओबीसी वर्ग में जिला कटनी में पदस्थापना दी जाना चाहिए थी। हाई कोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद सख्ती बरती।
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