सूर्य ग्रहण वैशाख मास की अमावस्या गुरुवार...
भारत में नहीं दिखेगा वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण
नई दिल्ली । वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण वैशाख मास की अमावस्या गुरुवार, 20 अप्रैल को भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए देश में इसका सूतक भी नहीं रहेगा । पूरे दिन वैशाख अमावस्या से जुड़े शुभ काम किए जा सकेंगे। अमावस्या खासतौर पर पितरों के लिए शुभ कर्म करने की तिथि है।
सांगानेर प्रताप नगर जयपुर स्थित कैर के बालाजी के महंत मुकेश जी के अनुसार गुरुवार की अमावस्या बहुत खास रहती है। इस दिन किए गए धर्म-कर्म का अक्षय पुण्य मिलता है। पितरों के लिए धूप-ध्यान करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। ऐसी शास्त्रों की मान्यता है। अमावस्या तिथि पर कुटुंब के पितर देवता वायु रूप में हमारे घर के द्वार पर रहते हैं। इस मान्यता की वजह से अमावस्या की दोपहर में पितरों के लिए धूप-ध्यान किया जाता है। महंत मुकेश जी का कहना है कि वैशाख अमावस्या पर लगने वाले सूर्य ग्रहण का कोई धार्मिक महत्व नहीं होगा, लेकिन खगोलीय और ज्योतिषीय दृष्टि से इसे खास माना जा रहा है। इस ग्रहण का असर 12 राशियों पर भी पड़ेगा।
गुरुवार को ही वर्ष का पहला सूर्य ग्रहण है, लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा, इसके चलते इसके सूतक का प्रभाव भी नहीं होगा। यह भी सिर्फ खगोलीय नजरिए से ही खास होगा। धार्मिक दृष्टि से यह महत्वपूर्ण नहीं होगा। यही वजह है कि देश में इसका सूतक काल भी नहीं माना जाएगा। अमावस्या के दिन धार्मिक कार्य करने से कोई दोष नहीं लगेगा। स्नान, दान और पूजा कर सकते हैं। भारतीय समय के अनुसार यह पूर्ण सूर्य ग्रहण सुबह करीब 7 बजकर 4 मिनट पर शुरू होगा और दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगा। करीब 5 घंटे 25 मिनट के इस ग्रहण में 1 मिनट 12 सेकंड तक वलयाकार स्थिति रहेगी।
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