G News 24:संतों का समागम प्रभु की कृपा से ही संभव : प.पू.रामदास जी

 जीव और ईश्वर में कोई ज्यादा अंतर नहीं...

संतों का समागम प्रभु की कृपा से ही संभव : प.पू.रामदास जी  महाराज 

ग्वालियर l  बिनु हरि कृपा मिलहि नहि संता- भगवान की महती कृपा से ही संतों का समागम संभव हुआ क्योंकि प्रभु ने ही संत समागम आयोजक रिंकू परमार के हृदय में यह भाव जागृत किया है उसी भाव जागरण से ही यहां सैकड़ों संतों का मिलन होता है यह कोई कुंभ से कम नहीं है यह बात गिरिराज जनकल्याण सेवा समिति द्वारा पंचवटी एबी रोड पर आयोजित विशाल संत समागम एवं उपस्थित जन समुदाय के बीच परम पूज्य महामंडलेश्वर 1008 श्री रामदास जी महाराज अपने आशीष वचनों में कहीं उन्होंने कहा कि बिनु हरि कृपा मिलहि नहि संता नवधा भक्ति पर बोलते हुए कहा कि प्रथम भक्ति संतन कर संगा अर्थात संतों का साथ पकड़े, दूसरी भक्ति प्रभु के भजन में रत रहना, तीसरी भक्ति गुड्डू एवं गौ सेवा करना,चौथी भक्ति निस्वार्थ भाव से भगवान का गुणगान करना कपट को त्याग कर, मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए परम पूज्य महामंडलेश्वर संत श्री राम भूषण दास ने कहा कि आज इस संत समागम के विहंगम दृश्य के दर्शन मात्र से मन प्रफुल्लित है l

पंचवटी स्थल पर हजारों संतों की उपस्थिति ने कुंभ का रूप ले लिया है यह किसी कुंभ से कम नहीं है इस धरा पर हम उस देश के बासी हैं जहां गंगा मैया बहती है और जहां हमारे आराध्यों के अवतरण उत्तर प्रदेश में हुए हैं लेकिन मध्य प्रदेश को ग्वालियर, उज्जैन व ओरछा ने भी भक्ति की पावनता को धन्य किया है तानसेन के गुरु हरिदास ने वृंदावन में बिहारी जी को प्रकट किया, ओरछा की महारानी गणेशकुंवरि रामलला को लेकर आयी, भगवान कृष्ण का सांदीपनि आश्रम में शिक्षा लेना आदि उन्होंने आगे प्रकाश डालते हुए कहा कि जीव और ईश्वर में ज्यादा अंतर नहीं है जैसे- आप और माँ, जल और तरंग में कोई अंतर नहीं है, यह दोनों सखा है, यह दोनों एक वृक्ष पर विराजमान हैं एक डाली पर ईश्वर रूपी पक्षी और दूसरी डाली पर जीव रूपी पक्षी बैठा है ईश्वर रूपी जीव को पकड़ने के लिए दूसरी डाली पर बैठे जीव रूपी पक्षी को उड़ान भरनी होगी परमात्मा से जब हमारा संबंध जुड़ जाएगा परमात्मा एक बार जिसको पकड़ लेते हैं उसको छोड़ते नहीं है यह नियति भी चाहती है कि एक बार भक्त मेरी ओर आवे परंतु हम परमात्मा से न जुड़ते हुए घर, मकान ,पुत्र ,सांसारिक चीजों में उलझ जाते हैं इससे पूर्व संत समागम मे सम्मिलित होने वाले संतो का गर्मजोशी से स्वागत वंदन अभिनंदन किया गया l स्वागत व्यवस्था विहवल सेंगर के नेतृत्व में पंचवटी के प्रवेश द्वार से आने वाले मेहमान संतों के ऊपर पुष्प छतरी लगाई गई एवं मंच तक उपस्थित जन समुदाय ने पुष्प वर्षा कर संतों का हृदय प्रफुल्लित कर दिया आयोजक गौरी रिंकू परमार ने सभी मंचासीन संत महात्माओं और महामंडलेश्वर ओं का चरण पखारे एवं वस्त्र मुद्रा माला इत्यादि से उनका स्वागत किया l

इस अवसर पर 51 वैदिक ब्राह्मणों द्वारा मंत्रोचार के बीच संत समागम का प्रारंभ हुआ संत समागम में प्रमुख रूप से गंगा दास की बड़ी शाला के संत रामसेवकदास जी ,परम पूज्य सच्चिदानंदनाथ धोली बुआ महाराज संत देव प्रकाश गिरी जी, गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ से बाबा लखा सिंह जी के प्रतिनिधि सेवादार गुरु जंत सिंह, महामंडलेश्वर ऋषि महाराज जी अंबाह गुफा वाले आश्रम, महामंडलेश्वर संत श्री हरिदास जी महाराज ,संत श्री बालक दास जी महाराज, संत श्री दीनबंधु महाराज पटिया वाले बाबा, स्वामी हरी ज्ञानानंद जी महाराज समर्थतीर्थ जी महाराज, महामंडलेश्वर विष्णु दास जी महाराज रोकड़िया सरकार, कमल दास जी महाराज, संतोष गुरु ,कालिदास महाराज आदि प्रमुख संत उपस्थित हुए। कार्यक्रम का संचालन अंशुमान (वंदेमातरम ) ने किया , संत समागम के पश्चात वृंदावन से आए कृष्ण रसिक भक्त महावीर सिंह भगत एवं उनके विदेशी अनुयायी के साथ उपस्थित जन समुदाय को कृष्ण भक्ति रस में सराबोर होते रहे वहीं दूसरी तरफ महा प्रसादी को ग्रहण कर हजारों हजार भक्त अपने आप को धन्य महसूस करते रहे और जय सियाराम और जय राधे श्याम का जयघोष करते रहे।

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